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Tuesday, April 8, 2025
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गुमला में चैती दुर्गा पूजा का शांतिपूर्ण समापन, श्रद्धा और सुरक्षा की मिसाल बनी विदाई यात्रा

गुमला, 6 अप्रैल 2025 – गुमला जिला मुख्यालय में चैती नवरात्रि के पावन अवसर पर आयोजित श्री श्री मां जगदंबे आदिशक्ति दुर्गा पूजा रविवार को श्रद्धा और शांति के वातावरण में संपन्न हुआ। भक्तिभाव से ओतप्रोत विसर्जन जुलूस के साथ पूजा का समापन छठ तालाब, सिसई रोड में प्रतिमा विसर्जन के जरिए किया गया।

भक्ति और भव्यता का संगम

शहर के प्रमुख पूजा स्थलों—माता शीतला मंदिर परिसर (ज्योति संघ रोड) और पालकोट रोड स्थित आध्या शक्ति चैती दुर्गा पूजा समिति—ने पूरे आयोजन को गरिमामय और भक्तिपूर्ण बना दिया। सुबह-शाम की महाआरती, शंखनाद, और जयकारों से गूंजते माहौल ने जिले को धर्ममय कर दिया।

पूजा के अंतिम दिन, श्रद्धालुओं ने अश्रुपूरित नेत्रों से मां आदिशक्ति दुर्गा की विदाई की और पूरे नगर में भक्ति भाव से भरा विशाल विसर्जन जुलूस निकाला गया, जो नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए छठ तालाब तक पहुंचा।

नवीन समिति ने जोड़ा नया रंग

पालकोट रोड पर स्थापित आध्या शक्ति पूजा समिति ने इस वर्ष पहली बार चैती दुर्गा पूजा का आयोजन किया। समिति के अध्यक्ष दुर्जय पासवान ने बताया कि “स्थानीय निवासियों के अनुरोध पर इस वर्ष पूजा की शुरुआत की गई है और अगले वर्ष इसे और भव्य रूप में मनाने की तैयारी की जाएगी।”

सुरक्षा व्यवस्था में रहा प्रशासन सतर्क

जुलूस की शांति और सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस पूरी तरह मुस्तैद रही। उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी और पुलिस अधीक्षक शंभू कुमार सिंह ने खुद जिले के संवेदनशील स्थानों पर निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं की निगरानी की।

सभी प्रमुख चौक-चौराहों और जुलूस मार्गों पर मजिस्ट्रेट व सशस्त्र पुलिस बल (महिला व पुरुष) की तैनाती की गई थी। उपायुक्त और एसपी लगातार फील्ड से अपडेट लेते रहे और किसी भी आपात स्थिति से निपटने की पूरी तैयारी सुनिश्चित की गई थी।

प्रशासन ने साफ किया था कि अगर कोई व्यक्ति विसर्जन यात्रा के दौरान माहौल बिगाड़ने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

जगह-जगह भक्तों द्वारा माता की आरती उतारी गई और ‘जय माता दी’ के नारों से पूरा शहर गूंज उठा। भक्तगण उत्साह और श्रद्धा के साथ जुलूस में शामिल हुए और पूरे आयोजन को सफल बनाया।

गुमला ने इस अवसर पर यह दिखा दिया कि जब श्रद्धा और सुरक्षा एक साथ चलती हैं, तो त्योहार न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक बनते हैं, बल्कि सामाजिक समरसता की मिसाल भी कायम करते हैं।

न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया

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