गुमला, अप्रैल 2025:
हाल ही में संसद में पारित वक्फ संशोधन विधेयक अब कानून का रूप ले चुका है, लेकिन इसके बावजूद कई जगहों पर विरोध और राजनीतिक तनाव देखने को मिल रहा है। यह कानून, जो गरीब और पिछड़े मुस्लिम तबकों के हित में लाया गया है, अब राजनीतिक दलों के बीच टकराव का कारण बनता जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह विधेयक दोनों सदनों में पारित हुआ। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि यह कानून देश के अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। हालांकि, विपक्षी दल इसे “वोट बैंक की राजनीति” के खतरे के रूप में देख रहे हैं और कानून के विरोध में सड़क पर उतर आए हैं।
विरोध क्यों हो रहा है?
भाजपा युवा मोर्चा गुमला के जिलाध्यक्ष संदीप प्रसाद के अनुसार, “यह कानून मुस्लिम समाज के वंचित तबकों को लाभ देने के लिए बनाया गया है, लेकिन कुछ नेता सिर्फ अपने राजनीतिक स्वार्थ के कारण इसका विरोध कर रहे हैं। उन्हें डर है कि उनका परंपरागत वोट बैंक खिसक सकता है।”
गुरुवार को गुमला शहर के कई प्रमुख चौकों पर विपक्षी नेताओं के खिलाफ पोस्टर अभियान चलाया गया। इस अभियान में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष अमन यादव भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा, “भाजपा किसी धर्म की राजनीति नहीं करती। हम ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत पर काम करते हैं। यह कानून भी उसी सोच का हिस्सा है — ताकि कोई भी समुदाय पीछे न रहे।”
कार्यकर्ताओं की मौजूदगी और समर्थन
इस प्रदर्शन में कई भाजपा कार्यकर्ता शामिल हुए, जिनमें यशवंत सिंह, निर्मल गोयल, राजेश कुमार सिंह, भोला चौधरी, और अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित थे। उनका दावा है कि विपक्ष द्वारा कानून का विरोध करना, केवल राजनीति से प्रेरित है, न कि आम जनता की भलाई से।
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया
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