जब प्रभु यीशु येरूशलेम में प्रवेश कर रहे थे, तो उन्हें पता था कि यह उनका अंतिम प्रवेश है
गुमला – गुमला जिला के विभिन्न क्षेत्रों सहित चैनपुर प्रखंड मुख्यालय मे खजूर त्योहार रविवार पर्व का आयोजन संत जॉन कैथलिक चर्च परिसर चैनपुर में भव्य रूप से मनाया गया। रविवार की सुबह, सभी ईसाई धर्मावलंबी ने अपने अपने हांथों में खजूर की डालियां लिए हुए चर्च परिसर में एकत्रित हुए।कार्यक्रम की शुरुआत फॉदर जेब्रियानुस कुजूर द्वारा खजूर डाली की आशीष देने के साथ हुई और इसके बाद, ईसाई समुदाय के लोगों ने एक जुलूस के रूप में, अपने अपने हांथों में खजूर की डालियां लिए हुए और धार्मिक गीत गाते हुए , संत कैथलिक चर्च में प्रवेश किये और बाद में प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
फॉदर जेब्रियानुस किंडो ने इस अवसर पर कहाकि यह खजूर पर्व , ईसा मसीह के येरूशलेम में प्रवेश की याद में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि ईसा मसीह ने 40 दिन और 40 रात का उपवास और प्रार्थना करने के बाद जब येरूशलेम लौट रहे थे, तब शहरवासियों ने उनका स्वागत खजूर की डालियां काटकर सड़क पर बिछाकर किया था।
फॉदर जेफ्रियानुश किंडो ने अपने संदेश में कहा, “जब प्रभु येशु येरूशलेम में प्रवेश कर रहे थे, तो उन्हें पता था कि यह उनका अंतिम प्रवेश है। फिर भी, वह अपने ईश्वर पिता की आज्ञा का पालन करते हुए येरूशलेम में आए। उनका यह प्रवेश एक ज़ोरदार राजा के स्वागत की तरह था, लेकिन कोई अधिकारी वहां उपस्थित नहीं था, न ही कोई बैंड बाजा। बल्कि, प्रभु स्वयं एक गधे पर सवार होकर आए थे, जो उनकी दीनता और मानवता के प्रति उनके प्यार को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि वह एक सांसारिक राजा नहीं, बल्कि एक ईश्वर द्वारा चुने गए अद्भुत राजा हैं।”
इस कार्यक्रम में फॉदर राजेंद्र तिर्की, फॉदर पवन कुजूर, फॉदर अगस्तुश सहित अनेक धर्म बहनों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। फॉदर राजेंद्र ने भी इस अवसर पर प्रेरणादायक संदेश दिया, जो उपस्थित सभी लोगों को छू गया।खजूर रविवार पर्व ने सभी को एक साथ ला दिया और ईसाई समुदाय में एकता और विश्वास के भाव को और भी मजबूत किया। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि लोगों के बीच प्रेम और सहयोग की भावना को भी प्रकट करता है।
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया