नारायण विश्वकर्मा
आखिरकार खनन व टेंडर घोटाले के बहुचर्चित नाम पंकज मिश्रा पर ईडी ने शिकंजा कस दिया है. उनपर सीएम का विधायक प्रतिनिधि होने का तमगा लगा हुआ है. दरअसल, झारखंड कई मामलों में नई इबारत लिखता रहा है. झारखंड में किसी भी मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र का विधायक प्रतिनिधि कभी इतनी सुर्खियों में नहीं रहा. पंकज मिश्र का नाम रांची से लेकर दिल्ली चर्चा में है. यहां तक कि झारखंड हाईकोर्ट को भी कहना पड़ा था कि पंकज मिश्र और सीएम का प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू का नाम बहुत सुना जा रहा है. अब पता नहीं कोर्ट की टिप्पणी को सीएमओ ने क्यों नजरअंदाज किया? वैसे पंकज मिश्रा जब-जब मीडिया से मुखातिब हुआ तो, उन्होंने बहुत ही दिलेरी से जांच एजेंसियों की खिल्ली उड़ायी. उनकी साफगोई ऐसी कि जैसे वह पूरी तरह से दूध का धुला हुआ हो.
पंकज मिश्रा की गिरफ्तारी के राजनीतिक मायने…?
सत्ता के गलियारे में पंकज मिश्रा की गिरफ्तारी के अब राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. क्योंकि उनके साथ सीएम हेमंत सोरेन और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम का नाम भी जुड़ा हुआ है. बता दें कि पंकज मिश्रा सीएम हेमंत सोरेन का पहला विधायक प्रतिनिधि है जिसे मंगलवार को ईडी ने गिरफ्तार किया. पंकज मिश्रा मंगलवार को एयरपोर्ट रोड स्थित ईडी ऑफिस पहुंचे थे. वहां उनसे पूछताछ के बाद अंतत: उनकी गिरफ्तारी हुई. हालांकि इस बात का अंदेशा पहले से ही था कि डाहु यादव की पूछताछ के बाद पंकज मिश्रा का पकड़ा जा सकता है. इससे पूर्व ईडी ने डाहू यादव से अवैध पत्थर खनन मामले में पूछताछ जारी रखी. इसके कुछ दिनों बाद ईडी ने उनके बैंक खाते को 1.60 करोड़ रुपये अटैच कर लिया था. डाहू यादव का पंकज मिश्रा से करीबी का रिश्ता है. दरअसल, पिछले दिन अवैध खनन मामले में पंकज मिश्रा, डाहू यादव और उनके सहयोगियों के 38 बैंक खातों में जमा 11.88 करोड़ रुपये ईडी ने जब्त कर लिया है. ईडी ने साहिबगंज, बरहेट, राजमहल, मिर्जा चौकी और बरहरवा में 19 स्थानों पर तलाशी ली थी. इस दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज और 5.34 करोड़ रुपये नकदी जब्त की गई थी. इस तलाशी अभियान के दौरान, ईडी ने साइट से अवैध रूप से संचालित किये जा रहे पांच स्टोन क्रशर, पांच अवैध बंदूक और कारतूस भी जब्त किए थे. यहां तक कि स्टोन चिप्स के भंडारण इधर-उधर खपाने की तैयारी को भी पुलिस ने नाकाम कर दिया था.
अब चर्चा के केंद्र में है अभिषेक प्रसाद
खबर है कि साहेबगंज में अवैध खनन से 100 करोड़ की कमाई की गई है. खास बात यह है कि इसमें कई नौकरशाहों और राजनेताओं के पैसे भी शामिल हैं. बाकायदा ईडी ने 15 जुलाई को जारी प्रेस रिलीज में यह बातें कही थी. इसके बावजूद पंकज मिश्रा अपनी हेकड़ी दिखा रहा था. वह बीमार भी पड़ गया. ईडी को विभिन्न व्यक्तियों के बयानों, डिजिटल साक्ष्यों और दस्तावेजों सहित जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूतों से पता चला कि जब्त नकदी-बैंक बैलेंस वन क्षेत्र सहित साहिबगंज क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किए जा रहे अवैध खनन से प्राप्त हुए हैं. खनन के मामले में सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद पर ईडी की निगाह है. संभव है कुछ दिनों के बाद उनपर भी ईडी की गाज गिरे. वैसे पंकज मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद सीएमओ में एक तरह का अजीब सन्नाटा है. कुछ लोग दबी जुबान से कह रहे हैं कि अबकी बार पिंटू उस्ताद की बारी है. पिंटू से जले-भुने झामुमो के कई कार्यकर्ता और कुछ नेता-विधायक अंदर से बहुत खुश नजर आ रहे हैं.
मंत्री के भाई से भी हो सकती है पूछताछ…!
उल्लेखनीय है कि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पंकज मिश्रा के खिलाफ गत चार जून को केस दर्ज किया था. उन पर साहिबगंज जिले के बरहरवा थाने में वर्ष 2020 में एफआईआर दर्ज की गयी थी. इसी तहत उन्हें अभियुक्त बनाया गया है. इस मामले में ईडी ने शंभु नंदन कुमार का बयान भी दर्ज किया था. शंभु ने ईडी को दिये अपने बयान में राज्य के कैबिनेट मंत्री आलमगीर आलम का भी नाम लिया था. साहिबगंज जिले के बरहरवा में जून 2020 के टेंडर विवाद में एक केस दर्ज किया गया था. जिसे इडी ने टेकओवर कर लिया है. इस मामले में दोनों ही आरोपियों को साहिबगंज पुलिस ने क्लीन चिट दे दी थी. ऐसे पुलिस अधिकारियों से भी ईडी की पूछताछ कर सकती है. मंत्री आलमगीर आलम के भाई की कंपनी नगर पंचायत बरहरवा में वाहन प्रवेश शुल्क वसूली के टेंडर में शामिल थी. उक्त कंपनी ने एक डमी कंपनी खड़ी कराकर पांच करोड़ रुपये तक की बोली लगवा दी. बाद में पैसा जमा नहीं कराने पर दूसरी बोली 1.46 करोड़ में आलमगीर आलम की कंपनी ने ठेका ले लिया. शंभु ने बड़ी चालाकी से इस ठेके को 1.80 करोड़ में ले लिया. शंभु ने 22 अप्रैल को इडी में आवेदन देकर पूरे मामले की जानकारी दी थी और अपनी जान की सुरक्षा की गुहार लगाई थी. चर्चा है कि ईडी आलमगीर आलम के भाई से पूछताछ कर सकती है. अब देखना है कि ईडी के रडार पर अगला निशाना कौन है?