नारायण विश्वकर्मा
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद को ईडी द्वारा समन भेजने के बाद झारखंड सरकार पर अब खतरा मंडराने लगा है. कहते हैं त्रिभुज के दो कोण जब बराबर हो जाते हैं, तो तीसरा कोण स्वत: बराबर हो जाता है. त्रिभुज के तीसरे कोण पर भी देर-सबेर ईडी की नजरें इनायत हो सकती है. हेकड़ीबाज पंकज मिश्र की गिरफ्तारी के बाद से ही सत्ता के गलियारे में इस बात की चर्चा थी कि अब अभिषेक प्रसाद पर ईडी की गाज गिरेगी. ईडी का अभिषेक प्रसाद को समन मिलने के बाद सीएमओ के अंदरखाने में खदबदाहट है. वहीं झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के घर में भी इसकी धमक महसूस की जाने लगी है. शिबू सोरेन की पोती और दुर्गा सोरेन सेना की अध्यक्ष जयश्री सोरेन ने मीडिया में यहां तक कह दिया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सही हैं, पर सरकार में कुछ गलत लोग घुस गए हैं और वे सरकार की छवि को खराब कर रहे हैं. उधर, पंकज-पिंटू पर कार्रवाई से पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता-नेता और विधायक अंदर से खुश हैं और बाहर जमकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. नाम नहीं छापने की शर्त पर पार्टी के पुराने समर्पित कार्यकर्ता-नेता अपनी भावना व्यक्त कर रहे हैं.
सूरज ने कभी फंसाया था गुरू जी को, हेमंत को फंसाया दलालों ने
झामुमो के एक पुराने समर्पित कार्यकर्ता ने पंकज मिश्रा की गिरफ्तारी और अभिषेक प्रसाद को ईडी का समन मिलने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सच तो यह है कि जैसे भोले-भाले गुरुजी को सूरज मंडल ने फंसाया था, उसी तरह से शालीन और सुलझे हुए हेमंत सोरेन को उनकी चंडाल चौकड़ी ने फंसा दिया है. खासकर अभिषेक प्रसाद को लेकर वे अंदर से उबल रहे हैं. कहा गया कि अग्रवाल बंधु, सिन्हा-श्रीवास्तव, पांडे, राउत, ठाकुर और अन्य चाटुकार अधिकारियों के चक्रव्यूह में हमारे अभिमन्यू (हेमंत सोरेन) बुरी तरह से फंस चुके हैं. कहा कि पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद ही हमारे कार्यकारी अध्यक्ष को सचेत हो जाना चाहिए था. ईडी और मीडिया को ललकारने वाले पंकज मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद अभिषेक प्रसाद का फंसना तय था. इसके बाद भी सीएम साहब उनके (पिंटू) मोहपाश में उलझे हुए हैं तो, कोई क्या कर सकता है. लेकिन पार्टी के भविष्य के लिए यह कतई शुभ संकेत नहीं है.कुछ चाटुकारों ने पार्टी को हाईजैक कर लिया है
पार्टी के एक अन्य पुराने नेता ने कहा कि झामुमो अब गुरुजी की पार्टी नहीं रही. कुछ चाटुकार लोगों ने झामुमो को हाईजैक कर लिया है. पार्टी को अपनी जागीर बना ली है. यही कारण है कि गुरुजी के परिवार में भी बागी स्वर तेज हो रहे हैं. इसके बावजूद हेमंत सोरेन पर इसका कोई मलाल नहीं है. गुरुजी के एक कट्टर समर्थक (संताली) ने कहा कि पंकज मिश्रा की कारस्तानियों के कारण झामुमो के दुर्ग (संतालपरगना) की रक्षा करना पार्टी के लिए चुनौती बन गई है. पंकज मिश्रा को लेकर झामुमो के समर्थकों में गहरी नाराजगी है. झामुमो के वरिष्ठ नेता और विधायक लोबिन हेंब्रम ने पिछले दिन जो भी कहा है उसपर भी हमारे रहनुमा (हेमंत सोरेन) की नींद नहीं खुली है. हालांकि साहेबगंज में उनकी दहाड़ का असर ये हुआ है कि बरहेट में पंकज मिश्रा के खिलाफ झामुमो कार्यकर्ता गोलबंद होने लगे हैं. उनका कहना है कि बाहरी लोग धन-बल के जोर पर सरकार और पार्टी पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया है. मंत्रालय और सीएम हाउस के आसपास मंडराते लोगों में कितने आदिवासी-मूलवासी नजर आते हैं? इसे देखा जा सकता है.
पिंटू का आदेश यानी सीएम का आदेश
सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद के फर्श से अर्श तक पहुंचने के पीछे की कहानी के बारे में झामुमो के कई पुराने कार्यकर्ताओं और नेताओं ने बताया कि मूल रूप से 2011-12 में झामुमो में पिंटू का प्रवेश हुआ. महज तीन-चार साल के बाद वह मोटा आसामी बन कर उभरा. 2016 में जब उसे खनिज आवंटित हुआ तो, बरहेट के विधायक के रूप में हेमंत सोरेन का उसे भरपूर साथ मिला. ईडी को सूचना मिली है कि पिंटू के इशारे पर ही पंकज मिश्रा संताल में अवैध खनन करवाते थे. कहा जाता है कि अवैध खनन और परिवहन पर पिंटू का ही नियंत्रण था. पंकज-पिंटू की बातचीत की विवरणी भी ईडी के हाथ लग गई है. इसलिए पंकज की गिरफ्तारी के बाद पिंटू ही नहीं सीएमओ के उच्चाधिकारियों और कारोबारियों के होश फाख्ता हैं. क्योंकि पिंटू के तार सभी से जुड़े हुए हैं. सीएमओ में उनका आदेश सीएम का आदेश माना जाता है. अब पिंटू की वजह से सीएम से लेकर कई अधिकारी और सरकारी दलाल सकते में हैं.
स्कूटर पर चलनेवाला… अब अरबों का मालिक कैसे बना?
कहा जाता है कि पिंटू कभी एक स्कूटर से चला करता था और टीवी रिपेयरिंग कर अपनी जीविका चलाता था. आज वह अरबों का मालिक बन बैठा है. करीब 20 साल पूर्व उसने शिव शक्ति इंटरप्राइजेज के नाम से पीएमआरवाई स्कीम के तहत लोन लेकर रातू रोड में मोटर पाटर्स की दुकान खोली थी. साहेबगंज में खनन के लिए शिवशक्ति इंटरप्राइजेज के नाम पर ही उसने 11 एकड़ से अधिक जमीन खनन के लिए आवंटित कराया है. इसके अलावा उनके खिलाफ सरकारी कोष में जालसाजी करने व 18 करोड़ रूपए तक के गबन की शिकायत दर्ज है. अंडर ग्रेजुएट होने के बावजूद उसे प्रेस सलाहकार बना दिया गया. पंकज मिश्रा की तरह पिंटू भी ईडी से पूछताछ के क्रम में उसे मजबूरी में कुछ ऐसे राज खोलना पड़ सकता है, जिससे सरकार में भूचाल आ सकता है. वहीं विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष हेमंत सोरेन के अलावा ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के खिलाफ हल्ला बोलेगा, जो सरकार की मुसीबत में ही इजाफा करेगा. अब देखना है कि सत्तापक्ष कैसे और किस तरह से अपना बचाव करता है, यह देखना दिलचस्प होगा.