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Thursday, September 19, 2024
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ऑपरेशन लोटस टला जरूर, पर हेमंत सरकार पर कायम है दिल्ली की वक्रदृष्टि

नारायण विश्वकर्मा
झारखण्ड में दूसरी बार सरकार गिराने का फार्मूला फेल हुआ है. यह सही है कि “ऑपरेशन लोटस” एक बार फिर बेअसर साबित हुआ, पर सरकार गिराने के मामले का अभी पूरी तरह से पटाक्षेप नहीं हुआ है. हेमंत सरकार पर दिल्ली की वक्रदृष्टि कायम है. हेमंत सरकार गिराने की कोशिश 2021 से जारी है. जुलाई 2021 में कांग्रेस के एक दर्जन विधायक पाला बदलने की फिराक में थे. इस खबर को मैंने ही पहली बार ब्रेक किया था. तब लोगों को यकीन नहीं हुआ था. 6 जुलाई 2021 को हमने ‘झारखंड में सियासी भूकंप की आहट…!’ शीर्षक से यह बताने की कोशिश की थी कि कैसे सरकार गिराने का खेल शुरू किया गया था. खबर प्रकाशित होने के मात्र 8 दिनों बाद यानी 15 जुलाई 21 को सरकार गिराने की साजिश का खुलासा किया गया था. उस समय भी करीब-करीब वही कांग्रेसी विधायक थे, जिनकी हरकतों से सत्ता के गलियारों में सनसनी फैल गई थी. खासकर कांग्रेसी खेमे में खलबली मच गई थी.
9 एमएलए के नाम कौन और क्यों छिपा रहा है?
बता दें कि उन दिनों मीडिया के निशाने पर विशेष रूप से कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी सुर्खियों में छा गए थे. इस बार वह तीन विधायकों के साथ रंगे हाथ पकड़े गए. सरकार गिराने की पहली कोशिश को कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने कथित तौर पर नाकाम कर दिया था. इस बार भी उन्होंने ही विधायकों की खरीद-फरोक्त की पोल पट्टी खोली. हालांकि पकड़े गए विधायकों ने अभी तक अन्य कांग्रेसी विधायकों का नाम नहीं लिया है और न अनूप सिंह ने बाकी विधायकों के नाम उजागर किए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अन्य 9 विधायकों के नाम कौन और क्यों छिपा रहा है? संभव है कोलकाता पुलिस की पूछताछ के बाद ही गिरफ्तार विधायक अन्य विधायकों के बारे में कुछ बता पाएं.
MLA के भाई-देवर और मामा रकम लेने पहुंचे थे..!
वैसे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस के अन्य 9 विधायक सत्ता के सौदागरों के संपर्क में जरूर थे. एक विधायक के मामा, दूसरे के भाई और तीसरे के देवर पैसे लेकर रफूचक्कर हो गए. हालांकि कोलकाता की सीआईडी पुलिस ने जुलाई में 75 लाख रुपए कांग्रेसी विधायकों में मिलने की बात कही है. इसके अलावा चर्चा यह भी है कि कांग्रेस के एक बुजुर्ग विधायक को राज्यपाल बनाने का ऑफर मिला था. एक निर्दलीय विधायक को उप मुख्यमंत्री और कइयों को मंत्री पद मिलने की बात हुई थी. सत्ता के सौदागरों से ये तमाम बातें दिल्ली और गुवाहाटी में हुई थी. कई दौर की बातचीत के बाद बड़ी रकम देने का निर्णय लिया गया था. कोलकाता सीआईडी पुलिस को गुवाहाटी और दिल्ली पुलिस ने सूत्रधारों से मिलने नहीं दिया, वरना कुछ न कुछ सच्चाई सामने जरूर आ सकती थी.

निशिकांत आखिर अनूप सिंह पर हमलावर क्यों?
इधर, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे कांग्रेस विधायक अनूप सिंह के खिलाफ ट्विटर वार चलाए हुए हैं. सांसद के ट्विटर का असर हेमंत सरकार पर भारी पड़ता रहा है. सांसद ने 10 अगस्त को अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि मैंने आज नई फिल्म के लिए कहानी फाइनल की. फिल्म का नाम होगा एक था अनूप...! दरअसल, निशिकांत दुबे ने फिल्म के टाइटल में था लिखा हुआ है. कहीं वे ये तो नहीं कहना चाह रहे कि कुछ दिनों बाद अनूप सिंह के राजनीतिक कैरियर का अंत हो जाएगा…? इसी तरह से निशिकांत दुबे ने पिछले 2 अगस्त को ट्वीट किया कि पूरे सीसीएल में विधायक अनूप सिंह के कारनामों की जांच सीबीआई से करानी चाहिए. वैसे बेरमो कोयलांचल के लोगों को पता है कि कई कोलियरी प्रबंधन से उनकी गजब की साठगांठ है. कहा जाता है कि अनूप सिंह के छोटे भाई गौरव कुमार के नाम से कई खदान आवंटित हैं.
2021 में सांसद ने गौरव पर भी सवाल खड़े किए थे
बताते चलें कि निशिकांत दुबे पिछली बार सरकार गिराने में अनूप सिंह के छोटे भाई गौरव कुमार पर हमलावर थे. सांसद ने अपने ट्विटर पर गौरव कुमार को सरकार गिराने की कथित साजिश के मामले में तो एक नया शिगूफा ही छेड़ दिया था. जुलाई 21 में उमाशंकर अकेला, डॉ. इरफान अंसारी के अलावा बरकट्ठा विधायक अमित कुमार यादव दिल्ली गये थे। इनमें रांची से दिल्ली जाने के लिये जिस पीएनआर का इस्तेमाल किया गया है, इसको लेकर गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने सवाल खड़े किये थे. सांसद ने इस मामले में अपने ट्विटर हैंडल पर पूछा है कि कुमार गौरव कौन हैं? कहीं विधायक अनूप सिंह के भाई तो नहीं हैं? दो भाई की लड़ाई में सीएम व झारखंड पुलिस मूर्खतापूर्ण कार्रवाई कर ठेका मजदूर व सब्जी बेचनेवाले से सरकार तो नहीं गिरा रही? हालांकि, इस मामले में झारखंड यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष कुमार गौरव ने निशिकांत को आड़े हाथों लेते हुए पलटवार करते हुए कहा था कि मेरे और मेरे बड़े भाई जयमंगल सिंह (अनूप सिंह) के बीच किसी बात को लेकर कोई लड़ाई नहीं है। निशिकांत दुबे बेकार की गलतफहमी न पालें। 15 जुलाई की फ्लाइट से मैं दिल्ली नहीं गया था, बल्कि 14 जुलाई की रात मैं दिल्ली से वापस रांची आया था। कुमार गौरव नाम का कोई दूसरा शख्स शायद उस फ्लाइट से गया हो। एक चर्चा यह भी है कि कुमार गौरव बेरमो कोयलांचल की एक खदान को लेकर वन विभाग से फॉरेस्ट क्लियरेंस चाह रहे थे. इसके लिए उन्होंने अनूप सिंह से फॉरेस्ट क्लियरेंस कराने के लिए सीएम से कहलवाया था.
साल भर बाद भी चार्जशीट दायर नहीं, आरोपियों को बेल
हालांकि, पिछले साल हुए घटनाक्रम में पकड़े गए लोगों के तार दिल्ली-मुंबई से जुड़े हुए थे. इस बार के घटनाक्रम में गुवाहाटी और दिल्ली से जुड़े हुए तार हैं. ये और बात है कि साल भर बीतने के बावजूद पुलिस ने अभी तक चार्जशीट दायर नहीं की. तीन माह पूर्व सरकार गिराने के सभी आरोपियों को जमानत मिल गई है. अनूप सिंह ने ही 22 जुलाई 2021 रांची के कोतवाली थाने में सरकार गिराने की कथित साजिश के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी. उस दौरान बोकारो से लेकर रांची तक हाईवोल्टेज ड्रामा चला था. बोकारो का दुंदीबाद बाजार विधायकों की खरीद-फरोख्त की मंडी बनने जा रहा था। मजेदार बात तो यह है कि इस बार जिस गाड़ी से तीनों विधायकों धरे गए हैं, उस गाड़ी का नंबर जेएच 09 है, जो बोकारो का कोड है.

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