गिरिडीह (कमलनयन) केन्द्र एंव राज्य की सरकारें सरकारी योजनाओं के जरिए गरीबों व जरूरतमंदों के पेट भरने का यथासंभव प्रयास करती है. केंद्र सरकार कोरोना काल से ही रेगुलर राशन के अलावा राशन की दुकानों के जरिये प्रति व्यक्ति पांच किलो ग्राम मुफ्त अनाज दे रही है. झारखंड में सतारूढ़ झामुमो की हेमंत सोरेन की सरकार अनाज को ससमय सही ढंग से लाभुकों तक पहुंचाने का काम कर रही है। इसमें संदेह नहीं कि हेमंत सरकार सरकारी संसाधनों को निष्ठा और ईमानदारी के साथ गरीबों व जरूरतमंदों के बीच साझा कर राजधर्म का पालन कर रही है. इसके परिणामस्वरूप राज्य स्तर पर आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम का अभियान चल रहा है. विशेष शिविरों के जरिये ही लंबे समय के बाद राज्य के अंतिम पायदान पर वर्षों से आशावान लाभुकों को उनके घरों में सरकारी संसाधनों का लाभ मिल रहा है। लेकिन सिस्टम की महत्वाकांक्षी कल्याणकारी योजनाओं पर कहीं न कहीं हावी है। जिससे पार्टी समर्थकों का मनोबल गिरता है और भ्रष्ट तत्वों का मनोबल बढ़ता है. गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड की तिरला पंचायत के एक पीडीएस ङीलर आदिवासी मनोज मुंडा का मामला भी ऐसा ही प्रतीत होता है, जो मानवीय दृष्टिकोण से कतई सही नहीं है.
आखिर मुंडा की मशीन एक अवैध डीलर को कैसे मिल गई?
40 वर्षीय मनोज मुंडा की दुकान मामूली गलती को लेकर पिछले साल निलम्बित कर ई-पॉश मशीन जब्त कर ली गई। यह दीगर है कि आरोप सिद्ध नहीं होने के बाद भी कई महीनों तक निलंबन मुक्त नहीं किया गया। और जब निलम्बन मुक्त किया गया तो, मनोज मुंडा की मशीन एक अवैध डीलर को दे दी गई। इधर, मशीन के अभाव में विभागीय अधिकारी ने तीन माह तक ऑफ लाइन राशन वितरण करवा दिया। चौथे माह ऑन लाइन वितरण दर्ज नहीं होने से नियमतः डीलर मनोज मुंडा का आंवटन रोक दिया गया। फलस्वरूप लाभुक आए दिन राशन की मांग को लेकर हंगामा करने लगे। सरल स्वभाव आदिवासी युवा असहनीय तनाव नहीं झेल सका और ब्रैन हेमरेज की चपेट में आ गया। घर वालों ने धनबाद अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन कई दिनों तक इलाज के क्रम में बीते शुक्रवार को मनोज जिंदगी की जंग हार गया। और छोड़ गया कई ऐसे सवाल, जिसका जवाब सड़ांध से भरा सिस्टम शायद ही ढूंढ़ पाए.
दोषी एमओ के खिलाफ कार्रवाई हो : दिनेश यादव
मनोज मुंडा की असमय मौत का कारण पीडीएस डीलर संघ विभागीय अधिकारी को मानते है. संघ के जिला अध्यक्ष एवं जिला सांसद प्रतिनिधि दिनेश यादव का आरोप है कि बगोदर के एमओ की लापरवाही के कारण एक आदिवासी पीडीएस डीलर तनावग्रस्त था और अंतत: उनकी जान चली गई। श्री यादव ने कहा कि पीडीएस डीलर भी हमारे समाज के अंग हैं और समाज के बीच से ही आते है। कोरोना काल में राज्यभर के डीलरों ने अपनी जान को जोखिम में डालकर अनाज का वितरण किया। ङीलरों के इस सराहनीय कार्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर डीलर गलती करता है तो, कार्रवाई स्वाभाविक है. हम इसके पक्षधर हैं.
जांच के बाद दोषी पर र्कारवाई होगी : डीएसओ
इस बीच गिरिडीह के डीएसओ गौतम भगत ने कहा कि बगोदर का मामला संज्ञान में आया है. मामले की जांच होगी. जांच में एमओ दोषी पाये गये तो कार्रवाई जरूर होगी। लेकिन डीलर की मौत को इस प्रकरण से जोड़ना व्यावहारिक नही है.