रांची : राजधानी रांची में झारखंड की राजनीतिक तपिश की आंच से हेमंत सरकार बेखबर नहीं है. गुरुवार को ईडी के समक्ष पेश होने की पूर्व संध्या पर हेमंत सोरेन अपने साथी दलों के साथ बैठक की, फिर झामुमो की अलग से बैठक हुई. इधर, रांची के मोरहाबादी मैदान में महाजुटान को लेकर लोगों का रांची पहुंचना जारी है, तो दूसरी तरफ ईडी कार्यालय के आसपास की सुरक्षा का घेरा बढ़ा दिया गया है. ईडी ने इसके लिए डीजीपी को सूचना दे दी है. सत्ता प्रतिष्ठान के ब्यूरोक्रेट्स भी अपनी ड्यूटी में लग गए हैं. यानी कि अवैध खनन मामले में हेमन्त सोरेन 17 नवंबर को ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए पेश से पूर्व अच्छी एक्सरसाइज कर ली गई है. वहीं सीएम के करीबी लोगों की ईडी द्वारा कड़ी घेराबंदी से यूपीए नेताओं की बेचैनी भी देखी जा रही है।
कार्यकर्ताओं के जुटान के बहाने…!
बताया जा रहा है 1932 के खतियान और ओबीसी आरक्षण को लेकर सीएम को शुक्रिया कहने के बहाने झामुमो कार्यकर्ताओं का जुटान तो सिर्फ एक बहाना है। याद करें… तीन नवंबर को भी समन के दिन विभिन्न जिलों से झामुमो कार्यकर्ता रांची पहुंचे थे, तब हेमन्त सोरेन ने कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए आक्रामक बयानबाजी की थी। उसके अगले दिन यूपीए की ओर से ईडी सहित केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई और भाजपा के खिलाफ राज्यभर में प्रदर्शन हुआ था। बताया गया कि हेमन्त की दहाड़ के बीच भाजपा ने भी जिलों में हेमन्त सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का कार्यक्रम तय किया है। हेमन्त सरकार की विफलता और भ्रष्टाचार को लेकर 19 नवंबर को भाजपा राज्य भर में व्यापक प्रदर्शन की जोरदार तैयारी में जुटी हुई है।
आसन्न संकट से निबटने की तैयारी में सरकार
उधर, कई बार की बैठकों में ईडी की चुनौती स्वीकार करते हुए रणनीति और आसन्न संकट से निबटने की तैयारी में हेमंत सरकार ने मंथन किया. यूपीए विधायकों को रांची के आसपास ही रहने की हिदायत दी गई है. दो दिन पूर्व सरकार के बेहतर संचालन के लिए झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की अध्यक्षता में समन्वय समिति गठित की गई। बहरहाल, गुरुवार को दिनभर राजनीतिक कोलाहल उफान पर रहेगा. सरकार अपने सैड बैक को धकियाते हुए फ्रंटफूट पर भाजपा जवाब देना का मन बनाए हुए है, ताकि हेमंत सरकार के रुख का पता दिल्ली को भी चले. अब देखना दिलचस्प होगा है कि पूछताछ में हेमंत सोरेन ईडी के सवालों पर कैसे रिएक्ट करते हैं…?