– पारसनाथ में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालुओं ने शिरकत की, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला व नेपाल के पूूूर्व उप प्रधानमंत्री,दो सांसद और बाबा रामदेव मुनिश्री प्रसन्न सागर से मिले. जैनमुनि का स्वागत हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कर एंव अन्य कई धार्मिक विधान से किया गया.
गिरिडीह सम्मेदशिखर: (कमलनयन) अंहिसा परमो: घर्म के संदेशवाहक जैनधर्मावलंबियों के प्रर्वतक भगवान पार्श्वनाथ की पवित्र धरा सम्मेदशिखर में जैन मुनि आचार्य श्री108 प्रसन्न सागर जी महाराज ने 557 दिनों के महापारणा-मौन व्रत तोड़ा। शनिवार को सम्मेद शिखर-पारसनाथ पर्वत की सर्वोच्च चोटी पर स्थित गुफा से निकलने के बाद विशेष पालकी (डोली) में मुनिश्री की भव्य पालकी यात्रा नीचे मघुबन पहुंची। इस पावन अवसर पर आयोजित ऐतिहासिक समारोह में पधारे मुनिश्री ने अपने श्री मुख से ‘ नमः ऊँ श्री’ वचन बोलकर मौनव्रत तोड़ा। उन्होंने सक्षिप्त संदेश में कहा कि आत्मा अमर है, जिससे डरने की जरूरत नहीं। 557 दिनों की मौन साधना के दौरान मुनिश्री ने 61 दिनों की लघु पारणा एंव शेष दिनों में निर्जला उपवास किया। ढोल-नगाड़ों एंव विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के बीच देश-विदेश से हजारों की संख्या में इस ऐतिहासिक बेला का गवाह बने भक्तों ने जैनमुनि का स्वागत हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कर एंव अन्य कई धार्मिक विधान कर किया।
देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचे
महापारणा महोत्सव में शामिल होने करीब बीस से तीस हजार की संख्या में देश-विदेश से हजारों किलोमीटर सड़क, रेल एवं हवाई मार्ग की दूरी तय कर श्रद्धालु पारसनाथ पहुंचे थे। क्रार्यकम को लेकर जैन समाज के भक्तों में भारी उत्साह था। पूरे मधुबन क्षेत्र में इस अनुष्ठान को लेकर लोग उत्साहित थे। जैन बैंड पार्टी और अलग-अलग राज्य से आए आदिवासी समुदाय के लोगों ने अपने परंपरागत तरीके से झूमते हुए मुनिश्री का स्वागत किया। जैन समाज की महिलाओं और युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मुंबई समेत अन्य राज्यों से आए जैन समाज के लोगों ने अपने-अपने तरीके से जैन मुनि का स्वागत किया। खुशी से महिलाएं झुम रही थीं. युवक नृत्य करते हुए भजन गा रहे थे। जैनियों के 24 में से 20 तीर्थंकर के निर्वाण भूमि सम्मेद शिखर मधुबन के मैदान में सालों बाद शुरू हुए आठ दिवसीय महापारणा महाप्रतिष्ठा महोत्सव के पहले दिन शनिवार को जैन मुनि अंतर्मना प्रसन्न सागर जी ने एकांतवास और मौन साधना पर विराम लगाते हुए पालकी यात्रा पारसनाथ पर्वत से नीचे उतरी तो पूरा मधुबन उत्साह और खुशी से झूम उठा।
70 हजार भक्तों के बैठने की खास व्यवस्था
मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज की डोली सीधा महापारणा महाप्रतिष्ठा आयोजन स्थल पहुंची, जहां 70 हजार से भी अधिक भक्तों के बैठने की खास व्यवस्था की गई थी। एक लाख वर्गफीट में बने भव्य पंडाल की सजावट भव्य तरीके से की गई थी। श्री प्रसन्न सागर जी के साथ भव्य पंडाल में जैन मुनि पीयूष सागर जी महाराज समेत दिगंबर जैन समाज के 15 से अधिक जैन मुनि मंचासीन थे। इस दौरान प्रथम दिवसीय धार्मिक कार्यक्रमों का संचालन दिगंबर जैन समाज के पदधारी ऋषभ जैन के साथ संजय जैन ने मंच संचालन किया। महापारणा को लेकर स्थानीय प्रसासन द्वारा पूरे क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये थे. कई स्थानों पर पुलिस जवानों की तैनाती की गई थी।
संतों के मार्गदर्शन से ही भारत विश्वगुरु बनेगा : केन्द्रीय मंत्री रूपाला
महापारणा महाप्रतिष्ठा समारोह में भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के साथ नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री फुलमनी और नेपाल के दो सांसद भी आयोजन में शामिल हुए। मौके पर केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि संतों की महानिर्वाण भूमि में वो इतने बड़े आयोजन में शामिल हुए हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अगर विश्व गुरु बनने के मार्ग पर है, तो इसका बड़ा कारण संतों का देश को मिल रहा मार्गदर्शन है। क्योंकि पूरे विश्व में भारत की बड़ी पहचान संतों के कारण भी है। जैन समाज के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल सम्मेद शिखर मधुबन को निर्वाण भूमि कहा जाता है। क्योंकि 20 तीर्थंकर के इस निर्वाण भूमि में इस आयोजन का होना भक्ति और आस्था में डूबने जैसा है। केंद्रीय मंत्री ने मौके पर मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज के कठिन तप और साधना की भी सराहना की।
योग गुरु स्वामी रामदेव ने मुनिश्री का आर्शीवाद लिया
योग गुरु स्वामी रामदेव जी महाराज शनिवार को गिरिडीह के सम्मेद शिखर मधुबन में आयोजित महापारणा महाप्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होने पहुंचे।
मधुबन के मैदान में आयोजित महापारणा में शामिल होने आए योग गुरु स्वामी रामदेव जी का भव्य स्वागत जैन समाज द्वारा उत्साह के साथ किया गया। जिस गाड़ी से योग गुरु स्वामी रामदेव जी पहुंचे थे, उस पर सवार होकर जैन भक्तों के अभिवादन को योग गुरु ने स्वीकार किया। इसके बाद वो मंच पर गए, जहां तप और साधना तोड़ कर महापारणा के लिए पहाड़ से नीचे उतरे मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज का आशीर्वाद लिया। इस दौरान संतों की परंपरा भी मंच पर खूब दिखी। दोनों संतों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया, तो मंच पर लगे सिंहासन से मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज ने योग गुरु स्वामी रामदेव जी को कई उपहार भेंट किया।