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Saturday, November 23, 2024
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RIMS में प्रतिमाह 934 व साल में 11,205 गरीबों की बेहतर इलाज के अभाव में हो जाती है मौत : वीएस नायक

रांची : झारखंड राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में बेहतर इलाज के अभाव में प्रतिमाह 934 और साल में 11,205 गरीब-गुरबा मरीजों की मौत हो जाए, उस राज्य के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है. शनिवार को झारखंडी सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष विजय शंकर नायक ने ये बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य के झारखंडी नेता-मंत्री-अधिकारी अपने परिवारों को प्राइवेट व उच्च गुणवत्ता वाले राज्य के बाहर अस्पताल में इलाज करा कर अपने परिवारों की जान बचाने का कार्य कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर झारखंडी गरीब-गुरबा मरीजों को मरने के लिए अव्यवस्था का शिकार रिम्स अस्पताल को नारकीय स्थिति में बना कर रखे हुए हैं।

न्यू ट्रामा सेंटर में सबसे ज्यादा मरीजों की मौत

श्री नायक ने कहा कि रिम्स को अगर सुचारू रूप से झारखंड की सरकार नहीं चला पा रही है तो कम से कम अब रिम्स को (सेना के हवाले) एमओयू कर सौंप दिया जाना चाहिए ताकि गरीब-गुरबा मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके ताकि उनकी जान को बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में पिछले वर्ष 2022 के जनवरी से दिसंबर तक 11,205 गरीब गुरबा और असहाय मरीजों की जानें जा चुकी हैं. मौत का आंकड़ा कुल भर्ती मरीजों 79,302 की तुलना में 14.14 फ़ीसदी है. चिंता और आक्रोश का विषय यह है कि सबसे ज्यादा मरीजों की मौत न्यू ट्रामा सेंटर में हुई है, जहां 604 मरीजों को भर्ती किया गया. इनमें 342 लोगों की मौत हो गई. मौत का प्रतिशत 56.6 है. मेडिसिन विभाग में भी मौत का आंकड़ा 6,010 है, जो विभाग में कुल भर्ती मरीजों का 24.76 फीसदी है. यहां 24,277 मरीजों को 1 वर्ष में भर्ती किया गया था.

न्यूरो सर्जरी विभाग में 1 वर्ष में 1,963 मरीजों की मौत

उन्होंने यह बताया कि न्यूरो सर्जरी विभाग में 1 वर्ष में 1,963 मरीजों की मौत हुई. यह मौत कुल भर्ती मरीज 8,644 की तुलना में 22.71 फीसदी है, तो रिम्स के सर्जरी विभाग में 10,723 मरीजों को ऑपरेशन के लिए भर्ती किया गया,  जिसमें 946 लोगों की मौत इलाज के दौरान हो गई। वहीं कार्डियोलॉजी में 5,961 का इलाज किया गया, जिसमें से 238 की मौत हो गई। आज स्थिति इतना भयावह है कि 2015 में जारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार एम्स में जहां रोजाना 10 मरीजों की मौत होती है, वहीं रिम्स में यह आंकड़ा 30 मरीजों का है, जबकि एम्स में प्रतिवर्ष 2.50 लाख से ज्यादा मरीज भर्ती होते हैं और रिम्स में लगभग 80 हजार मरीज.

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