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Friday, September 20, 2024
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गिरिडीह डीसी ने कहा-टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने में सबकी सहभागिता जरूरी

गिरिडीह: जिले के उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बैठक में डीसी ने अधिक से अधिक नि-क्षय मित्रों की सहभागिता से ही वर्ष 2025 तक भारत टीबी मुक्त हो पाएगा। इसके लिए सभी अधिकारियों को विशेष प्रयास करना होगा। इस अभियान के तहत नि-क्षय पोषण योजना के अंतर्गत रोगियों को पोषण के लिए मिलनेवाले प्रतिमाह 500 रुपये के अतिरिक्त कारपोरेट क्षेत्रों, निजी संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए ये प्रखंड या टीबी यूनिट गोद लेंगे। गोद लेनेवाली संस्थाओं को ही नि-क्षय मित्र नाम दिया गया है।

इलाज व पोषाहार देकर टीबीमुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित

बैठक में डीसी ने कहा कि इस वर्ष का थीम YES!! We can End TB 2023′  रखी गई है। राष्ट्रीय यक्ष्मा रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 2025 तक नि-क्षय भारत को टीबी रोग मुक्त बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश कर रही है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रही है कि ऐसी सुविधायें दूर-दराज के इलाकों में भी उपलब्ध हों। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य टीबी के मरीजों का इलाज उपरोक्त संस्थाओं की ओर से या व्यक्तिगत रूप से जिला, प्रखंड, पंचायत और टोला स्तर पर व्यक्तिगत स्तर पर रोगियों के इलाज के दौरान गोद लेते हुए टीबी मुक्त होने तक या कम से कम छह माह तक इलाज व पोषाहार देकर उन्हें टीबी मुक्त बनाना है। वर्तमान में टीबी के मरीजों को सरकार की तरफ से सहायतार्थ पांच सौ रुपए पोषाहार के लिए मुहैया कराया जाता है।

अभियान को जन-आंदोलन बनाना होगा: डीसी

डीसी ने कहा कि उच्च प्राथमिकता के साथ इस अभियान को जन-आंदोलन बनाना सभी नागरिकों का कर्तव्य है। इस अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए लोगों में टीबी के बारे में जागरूकता पैदा करनी होगी। उन्हें बताना होगा कि इस बीमारी का रोकथाम संभव है। इसका इलाज प्रभावी और सुलभ है तथा सरकार इस बीमारी का रोकथाम और उपचार के लिए निःशुल्क सुविधा प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य टीबी मुक्त भारत के लिए जन भागीदारी बढ़ाना है। साथ ही टीबी रोग पर नियंत्रण के लिए लोगों को सावधानियां बताते हुए जागरूक करने का प्रयास किया जाये।

सीएस ने सहियाओं से डोर-टू-डोर जाने का दिया निर्देश

इस मौके पर सिविल सर्जन ने बताया कि आनेवाले दिनों में घर-घर जाकर टीबी के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा और टीबी के मरीजों को चिन्हित कर उनका इलाज कराया जाएगा। इसके तहत सभी सहिया बहनें डोर-टू-डोर जाकर कार्यक्रम की सफलता को लेकर लोगों को जागरूक करेंगी और टीबी जैसी गंभीर बीमारी को आनेवाले वर्ष 2025 में भारत को टीबी मुक्त करने में अपना योगदान देंगी। टीवी की रोकथाम के लिए टीवी का मुफ्त जांच, दवाएं, परामर्श सहायता, नि- क्षय पोषण योजना अंतगर्त सभी टीबी रोगी को उपचार अवधि में पोषण सहायता राशि 500 रुपये प्रतिमाह की दर से दिया जाएगा।

स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया

टीबी उन्मूलन के लिए विशिष्ट योगदान देनेवाले सात स्वास्थ्य अधिकारियों/कर्मियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। जिनमें डॉ रियाज अहमद, (सीनियर चिकित्सक), वरुण कुमार सिंह, (एसटीएलएस, गांडेय), फ्रांसिस मुर्मू, (एसटीएस, गांडेय),  मो. नजरूल अंसारी, ( एलटी, बगोदर), श्रीमती रीता मुर्मू, (सहिया, गांडेय),  श्रीमती मंजू देवी, ( सहिया, सदर प्रखंड), श्रीमती मीरा देवी (सहिया, सदर प्रखंड) शामिल हैं।  बैठक में आईएएस प्रशिक्षु उत्कर्ष कुमार, सिविल सर्जन, जिला आरसीएच पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रश्मि सिन्हा समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीगण व अन्य कर्मी उपस्थित थे।

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