रांची : झारखंड में लगभग एक साल से केंद्रीय जांच एंजेसियों के क्रियाकलापों को लेकर जेएमएम के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कई सवाल दागे. श्री भट्टाचार्य राज्य सरकार को अस्थिर करने का भी आरोप मढ़ दिया. उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद से जब सरकार ने राज्य हित में काम करना शुरू किया, तब से ही केंद्र सरकार राज्य में सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों को भेज कर राज्य सरकार को सही ढंग से काम नहीं करने दे रही है. उन्होंने यह कहा कि राज्य में केंद्र की जांच एजेंसियां इस तरह से काम कर रही हैं कि चपरासी से लेकर अधिकारी तक को डर समाया हुआ है। दरअसल, केंद्र सरकार नहीं चाह रही है कि राज्य सरकार सही तरीके से काम करें।
‘सीबीआई-ईडी अब राज्य में एक अजीब मकड़जाल की तरह दिख रहा है’
श्री भट्टाचार्य ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया के समक्ष कहा कि राज्य में मनरेगा घोटाले से ईडी का प्रवेश हुआ। अब यह कई शाखाओं-प्रशाखाओं में फैल गया है। एजेंसियों द्वारा सीएम-अधिकारियों को समन होता है। छापेमारी होती है। कागजातों, पैसों की बरामदगी की बातें सामने आती हैं, पर इसके बारे में कोई औपचारिक सूचनाएं जारी नहीं होतीं। इसके विपरीत अखबारों में कमोबेश एक जैसी ही खबरें होती हैं। उन्होंने जांच एजेंसियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर मीडिया में ये बातें कैसे आती हैं। कौन सूचनाएं जारी करता है। वहीं आरोप लगाते हुए कहा कि सीबीआई-ईडी अब राज्य में एक अजीब मकड़जाल की तरह दिख रहा है। ऐसे में अब कोई अधिकारी भी यहां किसी से बात करने में कतराता है।
‘एजेंसियों के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना चाहिये’
सुप्रियो केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अब तो देश में आलम ऐसा है कि पिछले 9 सालों में गैर भाजपा शासित राज्यों में बार-बार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है। केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार नहीं चाहती कि झारखंड में सरकार तरीके से काम करे। जनकल्याण, लोक सेवा की राह पर आगे बढ़े। भारत सरकार की एजेंसियां जिस तरह से यहां काम कर रही हैं, उससे यही लगता है। सुप्रियो ने कहा कि केंद्र सरकार की एजेंसियों के रवैये को देखते सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना चाहिये।
‘केंद्र ये प्रस्ताव पास कर दे कि गैर भाजपा शासित राज्य नहीं’ होंगे
उन्होंने कहा केंद्रीय एजेंसियों द्वारा बार-बार सीएमओ का नाम घसीटा जाता है। ऐसे में सिस्टम कैसे चलेगा? ये सबसे बड़ा सवाल है. केंद्र सरकार को चाहिये कि वह लोकसभा में प्रस्ताव पास कर दे कि गैर भाजपा शासित राज्य नहीं होंगे। सिर्फ और सिर्फ जब तक यह सृष्टि है, भाजपा ही केंद्र से लेकर राज्य तक रहे। इससे केंद्र को किसी तरह की नौटंकी करने की जरूरत ही नहीं होगी। एजेंसियों को काफी मशक्कत भी नहीं करनी पड़ेगी.