गिरिडीह: (कमलनयन) भाकपा माओवादियों की शरणस्थली के लिए चर्चित रहा गिरिडीह जिले के पीरटांड़ इलाके के गांवों में हाल के वर्षों में बंदूक की गोली और विस्फोटक की आवाज अब थम सी गई है. अद्धसैनिक बलों और झारखंड पुलिस के बेहतर प्रयासों से इलाके के सीधे-सादे लोग विभिन्न क्षेत्रों में मेहनत-मजदूरी करके अपना भविष्य संवारने में लगे हुए हैं. इनमें महिलाओं की भूमिका सराहनीय है. जैनियों के तीर्थ क्षेत्र मधुबन से सटे गांव सिंहपुर और बिरनगड्डा की महिलाएं बांस से हस्तशिल्प के अनूठे घरेलू सामान तैयार करने में जुटी हुई हैं. महिलाएं इलाके में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है. जिससे स्थानीय महिलाओं की जीवनशैली बदल ऱही है. सिंहपुर की महिलाएं बांस से बनने वाले टेबुल लैंप ,शेड, पेनसेट, फूलदानी,पूजा सामग्री की बास्केट, चाय-कॉफी कप, नाइटलैंप सहित उपहार में दिये जानेवाले घरेलू सामानों के आर्कषक रेंज तैयार करने में जुटी हुई हैं। जिन्हें देखकर आसपास के कई अन्य गावों की महिलाएं भी जुड़ कर अपनी आमदनी बढ़ाने को लेकर इनसे प्रशिक्षण प्राप्त कर ऱही हैं.
महिलाओं द्वारा निर्मित घरेलू उत्पाद देखकर राज्यपाल अभिभूत हुए
दो दिवसीय गिरिडीह दौरे के क्रम में सूबे के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन शुक्रवार को पीरटांड़ के सिंहपुर गांव पहुंचे। वहां महिलाओं द्वारा बनाए जाए रहे बांस के घरेलू उत्पाद देख कर वे काफी खुश हुए। दरअसल, सिंहपुर गांव के इसी हस्त शिल्प कला केंद्र की तारीफ पीएम मोदी ने अपने मन की बात रेडियो प्रोग्राम के एक एपिसोड में की थी। पीएम मोदी से मिली तारीफ के बाद एक-दो नहीं, बल्कि आसपास के आधा दर्जन गांवों की महिलाओं के जीवन स्तर में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला है. लिहाजा, पीएम मोदी की तारीफ से प्रेरित महिलाओं के बांस के विभिन्न प्रयोग से जो उत्पाद तैयार कर रही है, उसे झारखंड में बाजार मिल गया है। यहां की महिलाओं का जज्बा देखकर जिले के उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा भी उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं. डीसी महिलाओं के कामकाज को और बढ़ावा देने के इच्छुक हैं.
SHG की सदस्य चिंता की ‘चिंता’ खत्म हो गई…!
इसी हस्तशिल्प कला केंद्र में बांस से बनी घरेलू सजावट के सामान बना रही महिलाओं के स्वयं सहायता समूह की एक सदस्य चिंता कुमारी ने बातचीत में कई जानकारी दी। कहा कि उन्हें सरकार से हर संभव सहयोग मिल रहा है। बांस से महिला-बहनें चाय पीने वाले कप बनाने से लेकर घर में सजावट के लिए स्टैंड और पानी के बड़े जहाज तक बना रही है। इतना ही नहीं, फूलों के ढेर रखने के लिए गुलदस्ते और दरवाजे सजाने के लिए झालर तक इसी बांस से बनाया जा रहा है।
नाबार्ड के जरिए सामान बनाने की ट्रेनिंग दी गई
चिंता कुमारी ने बातचीत के क्रम में आगे बताया कि सरकार ने नाबार्ड के माध्यम से उन्हें इन सामानों को बनाने की पूरी ट्रेनिंग दी है। बांस काटने की मशीन उपलब्ध करायी गई. उसे काट कर अलग-अलग सजावट के सामान बनाने और रंग भरने तक की ट्रेनिंग दी गयी। उनके घरेलू उत्पाद बाजारों तक पहुंचे। इसकी मार्केटिंग की व्यवस्था भी नाबार्ड द्वारा की गयी। सिंहपुर गांव में अब ट्रेनिंग सेंटर खोला गया है, जहां हर रोज सौ से अधिक महिलाएं ट्रेनिंग ले रही हैं। सौ से अधिक महिलाएं सामान बना भी रही हैं। हर रोज सौ महिलाओं को 2 सौ से 400 तक की कमाई हो रही है।
मन की बात प्रोग्राम में सिंहपुर की चर्चा के बाद महिलाओं का आत्मविश्वास और बढ़ा
देश-विदेश से सम्मेद शिखर मधुबन आनेवाले पयर्टक हस्तशिल्प निर्मित घरेलू रेंज के सामान क्रय करते हैं. महिलाओं को जुड़ते देखकर अब सिंहपुर गांव के साथ पीरटांड़ के वीरेनगडा समेत आधा दर्जन गांव की महिलाओं ने ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी है। बांस को काट कर सजावट के सामान बना रही है। कई महिलाओं ने कहा कि पीएम मोदी द्वारा मन की बात प्रोग्राम में सिंहपुर की चर्चा किये जाने के बाद उनका आत्मविश्वास का बढ़ा है. शुक्रवार को राज्यपाल के आगमन के बाद तो महिलाओं में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है. इनका मनना है कि उनके उत्पाद का मार्केट बढ़ेगा। जिससे आर्थिक रूप से वह और भी संबल होगी।
जिला प्रशासन चाहे तो, महिलाओं को बाजार मुुुुहैया हो सकता है: शिक्षक
इस बाबत सिंहपुर के स्कूली शिक्षक मनोज अग्रवाल का मानना है कि तकरीबन एक हजार की आबादी वाले सिंहपुर और उतनी ही आबादी वाले बिरनगडा जैसे मधुबन से सटे गांवों के महिला-पुरुष काफी मेहनती हैं. इनकी मेहनत तभी पूरी सार्थक होगी, जब हस्तशिल्प बांस के उत्पाद को महानगरों का बाजार मिलेगा। श्री अग्रवाल कहते हैं कि अभी इनके लिए बाजार बहुत सीमित है. जिला प्रशासन चाहे तो इसे बड़े फलक पर पहुंचा सकता है.