-नारायण विश्वकर्मा–
अपना दागदार दामन बचाने-छिपाने में नाकामयाब रहे IAS छविरंजन होटवार जेल चले गए. ईडी को छह दिन की रिमांड अवधि मिलने के बाद उनसे बहुत सारे सवाल होंगे, जिसका जवाब देने में उनके पसीने छूट जाएंगे. सेना की जमीन के फर्जीवाड़े के अलावा अब खाता-140 पर भी उनसे सवाल-जवाब होगा. छविरंजन से पूछताछ के लिए ईडी को मिले छह दिन की रिमांड अवधि के दौरान कई और लोगों पर भी ईडी की दबिश बढ़नेवाली है. इस बीच छविरंजन को निलंबित कर दिया गया है.सूत्र बताते हैं कि ईडी बहुत जल्द एक सीनियर आईएएस अफसर और अभिषेक प्रसाद पिंटू को फिर से समन कर सकता है. छविरंजन का प्रकरण सामने आने बाद वैसे तो सत्ता प्रतिष्ठान में थोड़ा सन्नाटा है, पर राजधानी रांची में ईडी के खौफ से दहशतजदा कुछ दागी अधिकारियों के होशफाख्ता हैं.
रांची : IAS छविरंजन की गिरफ्तारी के बाद खाता-140 के साहू परिवार को काफी राहत मिली है. ईडी की गिरफ्तारी के समय अश्विनी साहू ने मीडिया के सामने छविरंजन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली. श्री साहू ने Jharkhand weekly को बताया कि हमने अपने पूर्वजों की जमीन से जुड़े सभी तरह के कागजात जिला प्रशासन से लेकर हाईकोर्ट के आदेश तक की कॉपी उपलब्ध करा दिया है. इस मामले में अगर उन्हें पूछताछ के लिए ईडी की ओर से बुलावा आता है तो, वह बताएंगे कि कैसे जमीन दलाल से लेकर दागी आईएएस अफसर छविरंजन ने किस तरह से अपने रसूख का खुलेआम गलत इस्तेमाल कर उनके पूर्वजों की जमीन अपने दोस्तों के हवाले कर दी. श्री साहू ने कभी वार्ड पार्षद रहे और लंबे समय से जमीन माफिया सुधीर दास, हेहल के तत्कालीन सीओ दिलीप कुमार और 2015 में सब रजिस्ट्रार रहे राहुल चौबे (ईडी घासी राम पिंगुआ व वर्तमान सब रजिस्ट्रार अवधमणि त्रिपाठी से पूछताछ कर चुका है) से भी ईडी से पूछताछ करने का आग्रह किया है.
‘छविरंजन ने ‘खाओ और खाने दो’ की नीति अपनायी’
श्री साहू ने बताया कि जमीन दलाली में महारत हासिल कर चुके सुधीर दास ने ही 2015 में हमारी जमीन का फर्जी कागजात विनोद कुमार सिंह के पिता रूप नारायण सिंह के नाम पर बनवाया था. लेकिन हेहल सीओ-एलआरडीसी और सब रजिस्ट्रार रहे राहुल चौबे ने सुधीर दास के जाली कागजात पर कोई नोटिस नहीं लिया. पांच साल बाद जब 2020 में छविरंजन रांची के डीसी बने, तब जमीन माफिया सुधीर दास की सक्रियता बढ़ी और फिर उच्च स्तर पर सेटिंग-गेटिंग का दौर शुरू हो गया. फिर सीओ-एलआरडीसी और सब रजिस्ट्रार ने वह सब कुछ कर दिया, जिसे पांच साल पूर्व सबने निरस्त कर दिया था. उनका आरोप है कि क्योंकि सब पर डीसी का दबाव था. छविरंजन ने खाओ और खाने दो के आधार पर सबको मौखिक आदेश देकर गलत काम में साथ देने के लिए अपने पक्ष में कर लिया. उन्होंने कहा कि हमारी जमीन की जड़ में सुधीर दास जैसा जमीन माफिया है. इसलिए मेरा मानना है कि ईडी अगर सुधीर दास को गिरफ्त में लेता है तो, हमारे अलावा राजधानी में अन्य विवादित जमीनों के फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा हो सकता है. इसके बाद कई रसूखदार के चेहरों से नकाब उठेंगे.
‘आयुक्त की जांच रिपोर्ट पर सरकार अभी तक चुप क्यों?’
उन्होंने कहा कि हमारी जमीन के फर्जीवाड़े को लेकर हेमंत सरकार ने खुद तत्कालीन कमिश्नर नितिन मदन कुलकर्णी से छविरंजन के एक साल के कार्यकलापों की जांच करायी. आयुक्त ने जांच रिपोर्ट में छविरंजन पर कई गंभीर आरोप लगाए और नियम विरुद्ध कार्य करने के लिए उन्हें दोषी ठहराया. लेकिन जांच रिपोर्ट मिलने के साल भर बाद भी सरकार चुप क्यों है? यह बड़ा सवाल है. उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार बताए कि साल भर बाद भी जांच की फाइल किसकी टेबुल पर धूल फांक रही है? उन्होंने कहा कि अगर उस फाइल पर सत्ता शीर्ष कुंडली मारे नहीं बैठा होता तो, साल भर पहले ही छविरंजन को राजधानी के डीसी पद से हटाकर उनके खिलाफ अभी विभागीय जांच चल रही होती. उनका आरोप है कि क्योंकि हमारे मामले में सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद पिंटू के नेतृत्व में छविरंजन और पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश काम कर रहे थे, फिर आयुक्त की जांच रिपोर्ट पर कैसे अमल होता.
24 अप्रैल को दिया गया LRDC को आवेदन
बता दें कि हाईकोर्ट से डबल बेंच में केस जीतने के बाद अश्विनी साहू के परिवार ने एलआरडीसी को पिछले 24 अप्रैल को आवेदन देकर अपने पूर्वजों के नाम से जमाबंदी का आग्रह किया है. आवेदन में कहा गया है कि मार्च 2021 में तत्कालीन डीसी छविरंजन के निर्देशानुसार विनोद कुमार सिंह के नाम से खाता सं.140, कुल रकबा 7 एकड़ 16 जमीन की जमाबंदी झारखंड हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. इसलिए हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार विनोद कुमार सिंह की जमाबंदी रद्द कर पूर्व की भांति साहू परिवार के नाम से जमाबंदी जारी कर लगान निर्धारण कर दिया जाए. आवेदन में बजरा मौजा के सं.140, कुल रकबा 7 एकड़ 16 जमीन और प्लॉट नं- 1323,1324, 1333, 1334, 1338, 1339 1349 की सभी जमीन हाईकोर्ट ने 17 नवंबर 2022 और 18 अप्रैल 2023 को निरस्त कर दिया है. आवेदन में साहू परिवार की ओर से राजेश कुमार, यशवंत कुमार, अश्विनी कुमार साहू, हरिहर साहू, चंदन कुमार और शिवनंदन प्रसाद के हस्ताक्षर हैं. आवेदन की प्रतिलिपि रांची के उपायुक्त, अपर समाहर्ता और हेहल के अंचलाधिकारी को प्रेषित की गई है.
राज्यसभा सदस्य आदित्य साहू ने भी डीसी को पत्र लिखा
इससे पूर्व पहली बार हाईकोर्ट से केस (17 नवंबर 2022) जीतने के बाद 10 दिसंबर 2022 को राज्यसभा सदस्य आदित्य प्रसाद ने रांची के वर्तमान उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा को पत्र लिखकर कहा था कि हाईकोर्ट ने श्याम सिंह, लव सिंह भाटिया और राज्य सरकार की दलील खारिज कर दी है. उनकी अवैध जमाबंदी को निरस्त कर दिया है. इसलिए मूल रैयत के नाम पर जमाबंदी कायम कर देने का आपसे आग्रह है. लेकिन पांच माह बीत जाने के बावजूद वर्तमान रांची डीसी ने अबतक कोई कार्यवाही नहीं की है.
CS से हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने का आग्रह
साहू परिवार ने 24 अप्रैल को सीएस समेत सभी उच्चाधिकारियों और सीएमओ तक को कागजात से साथ आवेदन देकर हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करने का आग्रह किया है. 18 अप्रैल 2023 को हाईकोर्ट के डबल बेंच का फैसला भी साहू परिवार के पक्ष में आने के बाद (17 नवंबर 2022 और 18 अप्रैल 2023) की कॉपी के साथ साहू परिवार ने मुख्य सचिव, राजस्व पार्षद, अपर मुख्य सचिव, भू-राजस्व विभाग और सीएमओ को पत्र पत्र भेजा है. अश्विनी साहू ने बताया कि इससे पूर्व तमाम कागजात और हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी के साथ भू-राजस्व विभाग के सचिव से मिला. वहां कहा गया कि सरकार इसमें आपकी कोई सहायता नहीं करेगी.
सत्ता के संरक्षण के बिना घोटाले परवान नहीं चढ़ते
कहते हैं किसी भी तरह के आर्थिक घोटाले हों, जबतक सत्ता का संरक्षण नहीं प्राप्त होता, तबतक घोटाले परवान नहीं चढ़ते. मसलन, निलंबित आईएएस पूजा सिंघल का आर्थिक घोटाला सामने आया. बाद में लीपापोती के लिए एसीबी ने जांच की, तो पू्र्व सीएम अर्जुन मुंडा और आगे चलकर रघुवर सरकार ने उन्हें क्लीन चिट थमा दी. हेमंत सरकार ने उनपर किसी तरह की कार्रवाई के बदले उन्हें पूरा खान विभाग ही थमा दिया. इसके अलावा भुईंहरी जमीन पर निर्मित पल्स अस्पताल की जांच के लिए तो खुद सीएम ने आदेश दिया था. ढाई साल बाद भी जांच की फाइल लंबित है. उसी तरह से हेमंत सरकार पर यह आरोप है एक चार्जशीटेड आईएएस को राजधानी का डीसी बना दिया. इस तरह छविरंजन को अघोषित रूप से पहले ही क्लीन चिट मिल गई थी.
सच कहा जाए तो झारखंड में अगर ईडी का चाबूक नहीं चलता तो, आर्थिक भ्रष्टाचारियों का कुछ नहीं बिगड़नेवाला था. ब्यूरोक्रेट्स हो या जमीन माफिया तत्व, सभी को अगर सत्ता का संरक्षण मिल जाए तो, फिर सबकुछ मैनेजेबुल हो जाता है. बहरहाल, सूत्रों की मानें तो ईडी ने कई घोटाले में संलिप्त कई भ्रष्ट नेताओं की सूची भी तैयार कर ली है। उनसे पूछताछ कब होगी, यह अभी नहीं कहा जा सकता. मनरेगा घोटाला, खनन घोटाला, जमीन घोटाला, परिवहन घोटाला, टेंडर घोटाला और विधानसभा में नियुक्ति घोटाला जैसे कई ऐसे मामले हैं, जिसका कनेक्शन कहीं न कहीं रसूखदारों से जुड़ा हुआ है।
नोट: IAS छविरंजन से जुड़े घपले-घोटालों की कहानी अभी जारी है…!