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Thursday, November 21, 2024
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अनुसूचित जनजाति समूहों का योजनाबद्ध ढंग से विकास हो,इसके लिए राज्य सरकार कारगर नीति बनाए: बंधु तिर्की

रांची: पूर्व मंत्री एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि झारखण्ड स्थापना के 22 साल बाद भी अधिकांश जनजातीय समूहों का अभावग्रस्त रहना और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रहना चिंता का विषय. श्री तिर्की ने कहा कि झारखण्ड में वर्तमान में अनुसूचित जनजाति की सूची में 32 जातियां सूचीबद्ध हैं, लेकिन उन सभी के योजनाबद्ध विकास के लिये राज्य सरकार को नये सिरे से अपनी योजना तैयार करनी चाहिये,  क्योंकि अब तक यह बात पूरी तरीके से प्रमाणित हो चुकी है कि कई कारणों से विविध सरकारी योजनाओं का उन जनजातीय समूहों को अभी तक पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाया है.

‘ST के शैक्षणिक विकास पर सरकार करे फोकस,यह समय की मांग है’

उन्होंने कहा कि, प्रत्येक जनजातीय समुदाय अपनी एक विशिष्ट संस्कृति, सभ्यता और रहन-सहन के मामले अलग पहचान है. कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार को योजनाओं के कार्यान्वयन में बेहद सक्रिय, संवेदनशील एवं जागरूक अधिकारियों को सम्बद्ध किया जाना चाहिये क्योंकि झारखण्ड का गठन ही यहां की संस्कृति के संरक्षण एवं जनजातीय समूहों की सभ्यता, जीवन पद्धति आदि के संरक्षण-उन्नयन के साथ ही उनके आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक विकास के प्राथमिक उद्देश्य के साथ किया गया था. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि प्रत्येक जनजातीय समूहों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक विकास के लिये सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण जनजातीय समूह बर्बादी के कगार पर’

उन्होंने कहा कि कई जनजाति समूह प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण विलुप्त होने के कगार पर हैं, जबकि अधिकांश जनजाति समूहों को अपने जीवन-यापन के लिये पलायन का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सभी जनजातीय समुदायों में जागरूकता के स्तर को बढ़ाने के लिये विशेष प्रयास किया जाना चाहिये. श्री तिर्की ने सुझाव दिया कि, सरकार विशेष रुप से जनजातीय समुदाय के विशेषज्ञ लोगों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर उसे इस बात का दायित्व सौंपे कि वह सीमित अवधि में सभी जनजातीय समुदायों के संतुलित एवं समन्वित विकास की प्रभावी योजना तैयार करे. कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो उन सभी विविध जनजातीय समूहों के समन्वित-संतुलित और अपेक्षित विकास की कल्पना करना भी बेमानी है, जिसके लिये अलग झारखण्ड का गठन किया गया था.

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