नई दिल्ली : जिस गति से मोदी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में ट्रेन, स्टेशन, योजना, जिला, संग्रहालय, स्टेडियम आदि के नाम बदले हैं, उससे विपक्षी पार्टियों को तो दिक्कत होती ही है, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को होती है, क्योंकि हर परीक्षा से पहले उनके सिलेबस में कम से कम 10-15 नए नाम जुड़ चुके होते है. मोदी सरकार इसे देश की विरासत को संजोने और अपने इतिहास पर गर्व करने के लिए उठाया गया कदम बताती रही है। अब इस सरकार ने एक जगह का नाम बदलने का फैसला लिया है। जिसके तहत दिल्ली में स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम को अब पीएम म्यूजियम के नाम से जाना जाएगा। नेहरू मेमोरियल का नाम बदले जाने के बाद पूरी कांग्रेस पार्टी आग बबूला हो गई है। कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार के इस कदम का विरोध किया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम नरेन्द्र मोदी है।
विकास के बदले नाम बदलने में मोदी सरकार अव्वल साबित हुई
देश की राजधानी दिल्ली की कई सड़कों के नाम राजनीतिक, कला क्षेत्र, खेल, साहित्य व विज्ञान सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जुड़े हुए नामचीन हस्तियों पर रखे गए हैं। इसी कड़ी में भाजपा ने केंद्र में आने के बाद दिल्ली के चर्चित औरंगजेब रोड का नाम बदल कर महान वैज्ञानिक और देश के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम रख दिया है. इसी तरह से 26 जनवरी को देश के गणतंत्र दिवस पर भारत की विविधता में एकता की झलक दिखाती झांकियां और विश्वस्तरीय परेड के लिए पूरी दुनिया में राजपथ के नाम से एतिहासिक अब कर्तव्यपथ हो गया है। 2022 में केंद्र सरकार द्वारा राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ रख दिया गया। मोदी सरकार ने विकास से अधिक नाम बदलने को अधिक प्राथमिकता दी है.