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Saturday, September 21, 2024
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गिरिडीह डीसी ने कहा-मिशन इंद्रधनुष एक बुस्टर टीकाकरण कार्यक्रम है…ग्रामीण इलाकों पर खास नजर रखने का निर्देश दिया

गिरिडीह : समाहरणालय सभागार कक्ष में शनिवार को उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा की अध्यक्षता में मिशन इंद्रधनुष 5.0 विषय को लेकर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मिशन के तहत नियमित टीकाकरण को लेकर विचार-विमर्श किया गया। कार्यशाला की शुरुआत करते हुए डीसी ने कहा कि मिशन इंद्रधनुष एक बूस्टर टीकाकरण कार्यक्रम है, जो टीकाकरण का कवरेज करने के लिए चिह्नित जिलों में चलाया जाता है। जिले में सघन मिशन इंद्रधनुष (एमआई) 5.0 कार्यक्रम के तहत नियमित टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई है। नियमित टीकाकरण को गति देने के उद्देश्य से संचालित इस अभियान की सफलता को लेकर विभागीय स्तर से जरूरी तैयारियां की जा रही हैं।

तीन चरणों में संपन्न होगा अभियान

उन्होंने कहा कि मिशन इन्द्रधनुष कार्यक्रम की सफलता को ले केंद्र सरकार के स्तर से जरूरी दिशा-निर्देश दिये गये हैं। इस विशेष अभियान से बच्चों में होनेवाली बीमारियों के वायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ाने का काम किया जायेगा। इस अभियान में एक भी बच्चा टीकाकरण से वंचित नहीं हो, इसका ध्यान रखा जा रहा। सुदूर ग्रामीण इलाकों पर खास नजर रखने का निर्देश दिया गया है। मिशन इंद्रधनुष विशेष टारगेट पर काम करता है। यह ऐसे क्षेत्रों में कारगर होगा, जहां नियमित टीकाकरण नहीं होता है। इसमें उन गांव और टोलों को प्राथमिकता दी जा रही है, जहां नियमित टीकाकरण नहीं हुआ है। जिले में मिशन इंद्रधनुष अभियान के तहत विशेष रूप से मिजिल्स 01, मिजिल्स 02, खसरा रुबेला के छूटे हुए बच्चों एवं पीसीबी का बूस्टर एफ़आईपीबी का तीसरा डोज, गर्भवती महिला का प्राथमिक रूप से टीकाकरण करना है, जो तीन चरणों में संपन्न होगा। पहला चरण 7 अगस्त से 12 अगस्त,  दूसरा चरण 11 सितंबर से 16 सितंबर एवं अंतिम चरण 9 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तय किया गया है.

सीएस ने कहा- 70 प्रतिशत बच्चे होनेवाले रोगों से वंचित रहे

सिविल सर्जन ने बताया कि भारत में मिशन के तहत ”टीकाकरण कार्यक्रम” की शुरुआत वर्ष 1985 में चरणबद्ध तरीके से की गई थी। जो कि विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक था। इसका उद्देश्य देश के सभी जिलों को 90% तक पूर्ण प्रतिरक्षण प्रदान करना था। लेकिन इस मंशा में बाधा आई है, जिससे वैक्सीनेशन का प्रतिशत कम हुआ है। नतीजा केवल 65 से 70% बच्चों को उनके जीवन के प्रथम वर्ष में होने वाले रोगों से पूरी तरह से सुरक्षित पाया गया। इस कारण से ही 25 दिसंबर 2014 को ‘मिशन इन्द्रधनुष’ की शुरुआत हुई। इसका असर भी व्यापक तौर पर देखने को मिला। कार्यशाला में उपरोक्त के अलावा सीओ, सीडीपीओ प्रवेक्षिका, एएनएम समेत स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मी उपस्थित थे।

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