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Sunday, September 8, 2024
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सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनकर तैयार, बहाली निकली पर, अस्पताल को नहीं मिले रहे डॉक्टर्स, अत्याधुनिक मशीनें अब जा रही हैं बाहर, केंद्र-राज्य सरकारें कब दिखाएंगी सक्रियता…?

 धनबाद : 25 एकड़ जमीन पर बना है अस्पताल, 2012 में बनी थी कार्ययोजना, 2015 में राज्य व केंद्र सरकारों के बीच हुआ था एमओयू, 2016 में शुरू हुआ था निर्माण कार्य, 2017 दिसंबर की जगह इस साल पूरा हुआ निर्माण, 80 करोड़ रुपए भवन निर्माण पर खर्च, 87 करोड़ रुपये मशीन व उपकरण की खरीदारी पर खर्च, अब मशीनें जाएगी बाहर, अहम सवाल…187 करोड़ खर्च के बाद भी क्या खुल पाएगा अस्पताल…!

नारायण विश्वकर्मा

धनबाद : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश-विदेश में दावा किया है कि देश में हर साल एक एम्स अस्पताल का निर्माण हो रहा है. धनबाद का शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) को तो सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का दर्जा मिलना था. यहां तक कि इस अस्पताल को एम्स का दर्जा देने की बात चली थी. इस बीच छह साल बीत गए पर धनबाद के भाजपा सांसद पीएन सिंह ने कभी इसपर गंभीरता नहीं दिखाई. उधर, देवघर में गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने बहुत कम समय में एम्स बनवा दिया. इधर, एसएनएमएमसीएच कैंपस में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल छह साल से बनकर तैयार है, पर चिकित्सक नहीं मिलने के कारण इसे शुरू भी नहीं किया जा सका है. अब खबर यह है कि सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के लिए मंगायी गयीं मशीनें दूसरी जगह ले जाने की तैयारी कर ली गई है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की मानें तो सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के लिए मशीनें उपलब्ध करानेवाली एजेंसी हाइट्स ने यहां की मशीनों को एम्स, कल्याणपुर व जबलपुर शिफ्ट करने की बात कही है.

मशीनें हो सकती हैं खराब, इस वजह से मशीनों को दूसरी जगह भेजना जरूरी

अत्याधुनिक मशीनें उपलब्ध कराने वाली एजेंसी हाइट्स ने इस संबंध में बताया कि अस्पताल के अब तक शुरू नहीं होने और इसके लिए चिकित्सक नहीं मिलने के कारण ऐसा निर्णय किया गया है. इसकी जानकारी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को दे दी गई है. एजेंसी ने कहा है कि इस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के शुरू होने की संभावना नहीं दिख रही है. ऐसे में यहां रखी अत्याधुनिक मशीनों की ठीक से देखरेख नहीं होने से खराब हो जाएगी. इस वजह से मशीनों को दूसरी जगह भेजना आवश्यक है. जब सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल शुरू होगा, तो दूसरी मशीनें धनबाद के लिए मुहैया करायी जा सकती हैं. बता दें कि सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के लिए लगभग 87 करोड़ रुपये की लागत से मशीनें मंगवायी गयीं हैं. इनमें से कई मशीनों को एजेंसी ने इंस्टॉल भी कर दिया है.

चार बार निकली वेकेंसी, डॉक्टरों ने नहीं दिखाई दिलचस्पी

सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल सरकार ने कुल चिकित्सकों के 94 पद स्वीकृत किये हैं. अब तक चार बार चिकित्सकों की बहाली के लिए वैकेंसी भी निकाली गयी, लेकिन साक्षात्कार के लिए एक भी डॉक्टर नहीं पहुंचा. इसके लिए एमसीएच और इससे समतुल्य पद के डॉक्टरों की बहाली होनी है. इसके अलावा प्रशिक्षित कर्मचारियों की भी बहाली होनी है. इसके लिए 300 से ज्यादा कर्मचारियों के पद सृजित किये गये हैं. हाल ही में रांची में इसके लिए साक्षात्कार का आयोजन किया गया था, पर एक भी चिकित्सक उसमें शामिल होने नहीं आया. एसएनएमएमसीएच को फिलहाल नए अधीक्षक के रुप में डा. अनिल कुमार मिले हैं.

  • जमीन विवाद के कारण काम पर असर पड़ा, तो कोरोना महामारी ने भी डाला व्यवधान.

  • पीएसएसवाइ के तहत मिली राशि का 85 प्रतिशत केंद्र सरकार व 15 प्रतिशत राज्य सरकार ने किया वहन.

  • केंद्र सरकार ने सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के लिए 167 करोड़ रुपये आवंटित किये.

  • अस्पताल की क्षमता 200 बेड की है. इसमें 160 जनरल और 40 आइसीयू बेड हैं.

  • आठ माड्यूलर ऑपरेशन थियेटर अस्पताल में स्थापित किये गये हैं.

आखिर यहां क्यों नहीं आना चाहते डॉक्टर्स…?

कोयलांचल की राजधानी धनबाद में अबतक एक एयरपोर्ट नहीं होना दुखद है. सुपर स्पेशियलिटी के लिए यह ग्रहण साबित हो रहा है. एयरपोर्ट नहीं होने के कारण बाहर के चिकित्सक धनबाद आना नहीं चाहते हैं. धनबाद के चिकित्सक भी इस बात को मानते हैं. दूसरी तरफ सुरक्षा को लेकर भी चिकित्सक धनबाद आने से कतराते हैं. हाल के कुछ वर्षों में यहां चिकित्सकों पर हमले तेज हुए हैं. यहां के चिकित्सक गैंगस्टरों के रडार पर हैं. चिकित्सकों से रंगदारी मांगने की बात भी सामने आ चुकी है. चिकित्सकों को सुरक्षा की गारंटी देना पुलिस-प्रशासन के लिए चुनौती बनी हुई है.

अस्पताल को बचाना जनप्रतिनिधियों के लिए चुनौती बनी

कोयलांचल में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बदहाल है. यहां एकमात्र सरकारी अस्पताल एसएनएमएमसीएच है. इस अस्पताल में अभी भी कॉर्डियोलॉजी, नेफरोलॉजी, न्यूरोलॉजी जैसी बीमारियों के उपचार की व्यवस्था नहीं है. यहां एम्स लाने की बात हुई थी. प्रस्ताव भी बना था. लेकिन, एम्स का निर्माण देवघर में हो गया. उसके विकल्प के रूप में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को पेश किया जा रहा था. लेकिन अब इसपर भी ग्रहण लग चुका है. उधर, धनबाद के सांसद और विधायकों के लिए अस्तपताल को बचाना चुनौती बन गई है. इस संबंध में डॉ. ज्योति रंजन प्रसाद, प्राचार्य, एसएनएमएमसीएच, धनबाद सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के लिए मशीन मुहैया कराने वाली एजेंसी हाइट्स ने मशीनों को दूसरी जगह शिफ्ट करने संबंधित जानकारी दी है. हालांकि, अबतक मशीनों को दूसरी जगह शिफ्ट करने संबंधित कोई लिखित निर्देश केंद्रीय स्वास्थ्य मुख्यालय से प्राप्त नहीं हुआ है. मुख्यालय से जैसा निर्देश मिलेगा, उसी मुताबिक कार्य किया जायेगा.

सांसद की निष्क्रियता से धनबाद को नहीं मिला एम्स

कोयलांचल में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है. लंबे समय से पीएन सिंह धनबाद के सांसद रहे. लेकिन इसपर उन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया. सिर्फ लोगों को आश्वासन की घुट्टी पिलाते रहे. जब एम्स की बात चली तो धनबाद के लोगों को लगा कि उनके सांसद केंद्र पर दबाव बनाएंगे. लेकिन इस बीच गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे केंद्रीय सहायता लेने में सफल हो गए और देवघर में एम्स खुल गया और पीएन सिंह हाथ मलते रह गए. लोग बताते हैं कि झारखंड के महानगर धनबाद में पीएन सिंह ने एम्स को लेकर कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई. लेकिन एसएनएमएमसीएच परिसर में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को लेकर छह साल से उनकी निष्क्रियता जगजाहिर है. एक भाजपा नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि प्रधानमंत्री ने हाल में कहा कि हमारे देश में हर साल एक एम्स बन रहा है. हालांकि यह कोरी बकवास है. लेकिन धनबाद में लंबे समय से रहे सांसद पीएन सिंह अगर चाहते तो केंद्र पर एम्स के लिए दबाव बना सकते थे. लेकिन वो तो सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को लेकर भी छह साल से चुप हैं. बहरहाल, अब देखना है कि धनबाद के सांसद-विधायक और हेमंत सरकार इस मामले में कबतक सक्रियता दिखाते हैं…?

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