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Friday, September 20, 2024
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हेमंत सोरेन ने सैकड़ों एकड़ जमीन आदिवासियों को वापस दिलाई, उसे ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया, हम कानूनी लड़ाई जीतेंगे, क्योंकि सत्य हमारे साथ है : सुप्रियो भट्टाचार्य

कानूनी दावपेंच में फंसाकर बदनाम करने का प्रयासकेंद्र सीएम को सत्ता से हटाने का कुचक्र रच रहा हैहम केंद्र के हर षड्यंत्र से वाकिफ हैं…केंद्र हमें डराने का काम बंद करे…!! 

रांची : एक बार फिर ईडी द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बुलाए जाने पर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा रोष व्यक्त किया है. पार्टी की ओर कहा गया है कि केन्द्र हमें डराने का काम न करें, क्योंकि अगर हम थोड़ा सा भी नाराज हो गये, तो देश की बत्ती गुल हो जायेगी, क्योंकि सबसे ज्यादा खनिज-राजस्व देश को झारखण्ड ही देता है। झामुमो के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रदेश कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर केंद्र को चेताते हुए कहा कि हम आदिवासी डरनेवाले नहीं हैं…शिबू सोरेन का बेटा डरेगा नहीं…जिस शिबू सोरेन ने हाथ में तीर-कमान लेकर महाजनों के चंगुल से जमीन छुड़ायी, उन्हें आप डराओगे! हम बॉन्ड पेपर पर लिखकर देते हैं कि समय आने पर सबका पर्दाफाश होगा। यह लड़ाई राजनीति और कानूनी दोनों तरीके से लड़ेंगे। हम जीतेंगे, क्योंकि सत्य हमारे साथ है.

‘केंद्र की प्राथमिक सूची से आदिवासी हमेशा गायब रहे’

श्री भट्टाचार्य ने चुनौती देते हुए कहा कि सूबे के सीएम हेमंत सोरेन और उनके लाखों कार्यकर्ताओं को पता है कि महाजनों, सामंतों, सूदखोरों, शोषण व अत्याचार के खिलाफ कैसे लड़ाई लड़ी जाती है? हम देश के लिए खुद को ही नहीं, बल्कि कई पीढ़ियों को कुर्बान कर देते हैं, ये देखना है तो जादुगोड़ा जाकर देख आइये. इसलिए देश के लिए त्याग करनेवालों को डराने की कोशिश मत कीजिए। सुप्रियो ने कहा कि भाजपा झारखण्ड में अधिकतर समय तक शासन किया. कभी आदिवासी दिवस नहीं मनाया। द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति अवश्य बनाया, जनजातीय मंत्रालय का गठन जरुर किया, पर उनकी प्राथमिक सूची से आदिवासी हमेशा गायब रहे। दरअसल, भाजपा नहीं चाहती कि  भारत के किसी कोने में भी आदिवासियों का राज हो। उन्होंने याद दिलाया कि हमें यह नहीं भूलना नहीं चाहिए कि जब हम सत्ता में आये तो, दो वर्ष कोरोना से जूझने में ही समय बीत गया। जब कोरोना काल खत्म होने के बाद हेमन्त सरकार को अस्थिर करने का षड्यंत्र शुरू हो गया। लेकिन हम केंद्र के हर षड्यंत्र से वाकिफ हैं.

जमीन घोटाले पर रोक लगाने में सीएम ने स्वयं रुचि दिखाई

उन्होंने कहा कि जिस मनरेगा घोटाले को हमने उजागर किया और अर्जुन मुंडा और रघुवर दास के शासनकाल में उसे क्लीन चिट थमा दिया। उसी का बहाना बनाकर केन्द्रीय एजेंसियों ने राज्य सरकार को अस्थिर करने का काम शुरू किया। उन्होंने कहा कि भाजपा के रघुवर शासनकाल में पांच सालों तक हेमन्त सोरेन और उनके परिवार पर जमीन घोटाले का ठप्पा लगाने का काम किया गया। बताया गया कि सोरेन परिवार ने जमीन घोटाला किया है। प्लॉट नंबर, फोटो कॉपी, एसआईटी का गठन तक कर दिया गया। उस एसआईटी की जांच रिपोर्ट में भी सोरेन परिवार पाक साफ साबित हुआ है, पर उस एसआईटी की रिपोर्ट आखिर अभी तक सार्वजनिक क्यों नहीं की गई? सुप्रियो ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सैकड़ों एकड़ जमीन आदिवासियों को वापस दिलाई, उसे ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया है. 9-10 अगस्त को जब आदिवासी चेतना ने अंगड़ाई ली तो भाजपा भयभीत हो गई।

‘केंद्र-भाजपा की हर चुनौती हमें स्वीकार है’

सुप्रियो ने सवाल उठाया कि सभी अखबारों में कोई अधिकारिक सूचना नहीं हैं। लेकिन तरह-तरह के प्लॉट नंबर, खाता नंबर, मुख्यमंत्री की उसमें संलिप्तता की खबरें दी जाने लगी। ये विडम्बना नहीं तो और क्या है? सच्चाई क्या है, राज्य सरकार ने जमीन घोटाले पर रोक लगाने के लिए स्वयं रुचि दिखाई। मुख्य सचिव ने संज्ञान लिया. रांची डीसी द्वारा अंचल में प्राथमिकी दर्ज करायी गई। राज्य सरकार चाहती है कि जमीन घोटाला बंद हो, उसी को आधार बना दिया गया। सुप्रियो का मानना है कि दरअसल जो भी विपक्ष का क्षत्रप एनडीए या भाजपा को चुनौती देने लगता है, उसे किसी तरह कानूनी दावपेंच में फंसाकर बदनाम करने की कुत्सित प्रयास शुरू हो जाता है और फिर केंद्र उसे सत्ता से हटाने का कुचक्र रचने लगता है.

 

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