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Wednesday, December 18, 2024
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कुसुंडा में भू-धंसान से बचा मजदूर का परिवार, बाथरूम 5 फीट धंसा, पड़ोसन की पत्नी जहरीली गैस से हुई बेहोश,जीएम ने सभी को तत्काल दूसरी जगह शिफ्ट करवाया

केंदुआ (धनबाद) : बीसीसीएल कुसुंडा क्षेत्र की एनजीके कोलियरी अंतर्गत कुसुंडा केडीएसके साइडिंग से महज कुछ दूरी पर गोधर 6 नंबर (अग्नि प्रभावित) क्षेत्र में रह रहे दैनिक मजदूर विनोद विश्वकर्मा के घर के बाथरूम में शनिवार की  देर शाम लगभग साढ़े चार फीट के दायरे में गहरा भू-धंसान हो गया. इस घटना में उसका परिवार बाल-बाल बच गया, जबकि घर से सामान निकलने के क्रम में पड़ोस में रहनेवाले समीर की पत्नी सुजाता देवी भू-धंसान स्थल से निकल रही जहरीली गैस से बेहोश हो गयी, जिसे प्रबंधन ने एम्बुलेंस से अस्पताल भेज दिया. इस संबंध में कुसुंडा जीएम वीके गोयल ने पूछे जाने पर बताया कि भू-धंसान स्थल के पास रहनेवाले परिवारों के लिये वैकल्पिक व्यवस्था प्रबंधन की ओर से लाल बंगला में रहने के लिये किया गया है. किसी के बहकावे में लोग वापस लौट आये हैं. लोगों से अपील है कि सुरक्षित स्थान पर जाकर रहें. घटना के बारे में विनोद विश्वकर्मा की पत्नी आशा देवी ने बताया कि सुबह जब पांच बजे झाड़ू लगाने के लिये जब वह उठीं, तो घर का फर्श ज्यादा गर्म पाया. इसके बाद बाथरूम में गयी तो गैस निकलती दिखाई पड़ी. थोड़ी देर बाद वापस लौटी व घर का सामान परिवार के अन्य लोगों के साथ बाहर निकालने लगी. इसी बीच लगभग नौ बजे अचानक बाथरूम में भू-धंसान हुआ. इससे गर्म जहरीली गैस निकलने लगी.

घटना की आशंका से डरे परिवार पूर्व में प्रबंधन को किया था आगाह

विनोद विश्वकर्मा की पत्नी बताती हैं कि घर से सामान निकालने के क्रम में पड़ोस में रहनेवाली सुजाता गैस की चपेट में आने से अचेत जैसी हो गयी. आशा देवी ने बताया कि घर के पीछे के कमरे का फर्श दो तीन माह पूर्व से ही गर्म था, जिसकी सूचना एनजीके कोलियरी प्रबंधन को देकर क्वार्टर की मांग की थी, लेकिन प्रबंधन ने क्वार्टर नहीं होने के बात कहकर रवानी बस्ती के समीप लाल बंगले में जाकर रहने को कहा था. आशा देवी ने बताया कि लाल बंगले में खिड़की, दरवाजा नहीं रहने व चारों ओर जंगल-झाड़ के कारण हमलोग वहां नहीं गये. इसी बीच ये घटना घटी. अब मजबूरी में लाल बंगला में जाना होगा. हमलोग रोज कमाने खानेवाले गरीब लोग वहां कैसे रहेंगे. प्रबंधन सुरक्षित स्थान पर हमें बसाने का कार्य करे.

घटना के बाद छह विश्वकर्मा परिवार हुए लाल बंगले में शिफ्ट

भू-धंसान की घटना के बाद स्थानीय लोगों ने मासस के केंद्रीय सचिव हरि प्रसाद पप्पू को सूचित किया, इसके बाद हरि प्रसाद पप्पू ने एनजीके कोलियरी प्रबंधन से फोन पर बात कर पीड़ित परिवार को तत्काल सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कराने व अधिकारी को घटनास्थल पर भेजने की मांग की, जिसके बाद एनजीके कोलियरी के सेफ्टी ऑफिसर प्रदीप मिश्रा अपने सहयोगियों के साथ व गोधर कोलियरी के बीसीकेयू नेता विवेक कुमार घटनास्थल पहुंचे. इसके बाद पीड़ित परिवार सहित आसपास रह रहे कुल छह परिवार सनोज विश्वकर्मा, प्रमोद विश्वकर्मा, मनोज विश्वकर्मा, समीर विश्वकर्मा व सरजू विश्वकर्मा के परिवार को भू-धंसान स्थल के जद से हटने का आग्रह कर तत्काल रवानी बस्ती के समीप लाल बंगले में शिफ्ट करने के लिये गाड़ी मुहैया करायी. भू-धंसान स्थल के पास रहनेवाले छह परिवार शिफ्ट करने के लिये लाल बंगला समान लेकर पहुंचे. इसके बाद लाल बंगला के पास मौजूद कुछ लोगों ने भू-धंसान स्थल के पास से आये लोगों का विरोध करना शुरू कर दिया. इसके बाद भू-धंसान स्थल के समीप से लाल बंगला रहने गये छह परिवार समान सहित वापस लौट गये व भू-धंसान स्थल के पास टेंट डाल बैठ गये. घटना की सूचना मिलने के बाद पूर्व मंत्री मन्नान मल्लिक गोधर पहुंचे व पीड़ित परिवारों से बात की. मामले में पूर्व मंत्री मन्नान मल्लिक ने बताया कि कुसुंडा जीएम से संपर्क नहीं हो पाया. धनबाद एसडीओ व स्थानीय थाना प्रभारी से बात हुई है. पीड़ित परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कराया जाये.

कुसुंडा एरिया में गोफ की शिकायतों से लोग दहशत में, प्रबंधन लापरवाह

बता दें कि गोधर 6 नंबर बस्ती स्थित कुसुंडा एरिया के क्षेत्रीय विद्युत सब स्टेशन के समीप बीते 26 मई को हुए आठ फीट भू-धंसान स्थल के 50 मीटर के दायरे में रहनेवाले मनोज पासवान की पत्नी बसंती देवी ने घर के कमरे के फर्श में बढ़ रही दरार को दिखाते हुए कहा था कि गोफ होने के बाद से रोज दहशत में हमलोग रह रहे हैं. घर के कमरे में फर्श की दरार बढ़ रही है. पति मनोज टेंपू चलाकर किसी तरह परिवार का भरण-पोषण करते हैं. प्रबंधन से घटना के बाद कई बार सुरक्षित स्थान पर क्वार्टर देने के लिये गुहार लगायी, लेकिन प्रबंधन ने अनसुना कर दिया. गोधर 6 नंबर नगीना पासवान ने बताया कि यहां 150 से 200 परिवारों को शिफ्ट कराना जरूरी है, जिसमें 15 से 20 परिवारों को शिफ्ट कराना बेहद जरूरी है. 26 मई को हुई घटना के बाद एनजीके प्रबंधन को हमलोगों ने सुरक्षित स्थान पर बसाने की मांग की है, लेकिन प्रबंधन ने अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की है.
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