रांची : चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत की चारों तरफ खूब वाहवाही हुई. रांची के सांसद संजय सेठ सहित भाजपा और एक आजसू यानी झारखंड के कुल 12 सांसदों में से अधिकतर सांसद ने हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के योगदान का गुनगान किया, पर एचईसी के कर्मचारियों-अधिकारियों की किसी ने सुध नहीं ली. अंतत: एचईसी मजदूर यूनियन ने 21 सितंबर को दिल्ली में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है. एचईसी के इंजीनियरों सहित 100 से अधिक कर्मचारियों को 18 महीने से वेतन नहीं मिला है. इसकी जानकारी रांची के सांसद संजय सेठ को भी है. लेकिन उन्होंने एचईसी के इंजीनियरों का साथ नहीं दिया. यूनियन के अध्यक्ष भवन सिंह का स्पष्ट कहना है कि हमें झारखंड के भाजपा और आजसू पार्टी सांसदों से अब कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि उनमें केंद्र सरकार के सामने आवाज उठाने की हिम्मत नहीं है. हमने केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री से भी मिलने का समय मांगा है.
झारखंड के प्रतिनिधियों ने एचईसी के मामले में कभी संसद में आवाज नहीं उठायी
श्री सिंह ने बताया कि हमारे कुछ सदस्य पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं और सांसदों और अन्य नेताओं से संपर्क कर रहे हैं, ताकि वे हमारे प्रदर्शन में शामिल हो सकें. प्रदर्शनकारी चंद्रयान-3 की कट-आउट प्रतिकृतियों के साथ दिल्ली में प्रदर्शन करने की तैयारी कर ली है. आरोप है कि केंद्र सरकार रांची के धुर्वा इलाके में स्थित एचईसी भारी उद्योग मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है. लेकिन इसपर प्रधानमंत्री ने कभी ध्यान नहीं दिया और यहां के प्रतिनिधि ने कभी संसद में आवाज नहीं उठायी.
एचईसी के योगदान को भुला दिया गया
बता दें कि यूनियन की ओर से पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में उन्हें चंद्रयान-3 और इसरो के आदित्य एल-1 सौर परियोजना में एचईसी के योगदान की याद दिलाई गई है. कहा गया कि एचईसी ने आदित्य परियोजना के लिए भी लॉन्चपैड बनाया था. चंद्रयान-3 के लिए एचईसी के इंजीनियरों ने 400/60 ईओटी (इलेक्ट्रिक ओवरहेड ट्रैवलिंग) क्रेन, 200/30टी ईओटी क्रेन, 10 टन हैमरहेड टावर क्रेन, एफसीवीआरपी (फोल्डिंग कम वर्टिकल रिपोजिशनेबल प्लेटफॉर्म), क्षैतिज स्लाइडिंग दरवाजा और इसरो के मोबाइल लॉन्चिंग पेडस्टल का निर्माण किया था. 21 सितंबर को प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए ये कर्मचारी चंद्रयान-3 की कट-आउट प्रतिकृतियों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं. सिंह ने कहा सीपीएम सांसद ने इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे को पत्र लिखकर 2,800 कर्मचारियों की दुर्दशा को उजागर किया था, जो वेतन न मिलने के कारण भुखमरी के कगार पर हैं. उन्हें उम्मीद है कि अन्य दलों के सांसद भी धरने में शामिल होंगे.
विभिन्न दलों के कई सांसदों का प्रदर्शनकारियों का मिलेगा समर्थन
21 सितंबर को प्रदर्शन के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शनकारी जुटेंगे. यूनियन के अध्यक्ष ने बताया कि हम जनता को दिखाने और केंद्र को इसरो के हालिया चंद्रयान मिशन में योगदान की याद दिलाने के लिए चंद्रयान-3 की कट-आउट प्रतिकृतियां भी ले जा रहे हैं. एचईसी के कर्मचारियों और इंजीनियरों ने दावा किया कि उन्होंने इसरो के दूसरे लॉन्चिंग पैड के कई हिस्सों का निर्माण किया है, जिसका इस्तेमाल चंद्रयान-3 के लिए किया गया था. सिंह ने यह भी बताया कि विभिन्न दलों के कई सांसदों ने उनके मुद्दे के प्रति एकजुटता व्यक्त की है और वे जंतर-मंतर रोड पर धरने में शामिल होंगे. सिंह ने यह भी कहा कि केरल से सीपीएम सांसद एलामारम करीम पूरे दिन प्रदर्शन में मौजूद रहने के लिए सहमत हुए हैं.
प्रधानमंत्री को पूर्व में भी पत्र लिखकर एचईसी के हालात की जानकारी दी गई है
हालांकि झारखंड में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं ने पिछले हफ्ते राजभवन के समक्ष आंदोलन किया था और राज्यपाल के जरिए प्रधानमंत्री को संबोधित एक पत्र सौंपा था, जिसमें एचईसी के आधुनिकीकरण और पुनरुद्धार और इसके कर्मचारियों और अधिकारियों के लंबित वेतन को मंजूरी देने का अनुरोध किया गया था. पत्र में कहा गया था कि बहुत सारे ऑर्डर मिलने के बावजूद एचईसी आज मरणासन्न स्थिति में है, क्योंकि यहां कोई आधुनिकीकरण नहीं हुआ है. बैंक गारंटी बंद होने और कार्यशील पूंजी उपलब्ध नहीं होने के कारण एचईसी ऑर्डर पूरा करने में असमर्थ है. बीते जुलाई महीने में भी चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के ठीक बाद एचईसी के इंजीनियरों को वेतन न दिए जाने का मुद्दा उठाया था. मई माह में अपनी रिपोर्ट में बताया गया था कि करीब 2,800 कर्मचारियों और 450 अधिकारियों को पिछले 18 महीनों से वेतन नहीं मिला है. इससे पूर्व नवंबर 2022 में भी कंपनी के अधिकारियों को पूरे साल और कर्मचारियों को आठ-नौ महीने से वेतन नहीं मिला है. कहा गया था कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, रक्षा मंत्रालय, रेलवे, कोल इंडिया और इस्पात क्षेत्र से 1,500 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिलने के बावजूद 80 फीसदी काम धन की कमी के कारण लंबित है. अब देखना है कि इस प्रदर्शन से केंद्र सरकार पर क्या असर होता है.