खलारी। शांत पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए आज अध्यात्म के बिना शांति संभव नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि पत्रकारों के जीवन में अध्यात्म का समावेश हो। शांति पर बात करने के लिए पहले खुद के जीवन में शांति, प्रेम, सौहार्द्र होना जरूरी है। उक्त बातें डकरा वीआईपी क्लब में हो रहें झारखंड आंचलिक पत्रकार संध के एक सम्मान समारोह में पत्रकारों को संबोधित करते हुए डकरा सुभाष नगर गीता पाठशाला की नियमित बीके प्रीति बहन ने कही। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हमें समस्या पर चर्चा करने की जगह समाधान का हिस्सा बनना होगा। इसके लिए हमें अपने जीवन में सबसे पहले समाधान और शक्ति के संकल्पों को लाना होगा। सारे विश्व की नजर भारत पर है। क्योंकि भारत के पास ही दुनिया की समस्याओं को हल करने की शक्ति और ताकत है। मीडिया को ऐसे सकारात्मक कदम उठाने होंगे, राह दिखाना होगी कि समाज को नई प्रेरणा, नई राह मिले। समाज में जैसे-जैसे टीवी, सीरियल, फिल्म आदि का विस्तार होता गया वैसे-वैसे बदलाव आते गए। जो हम सुनते, देखते और पढ़ते हैं उससे मन का स्वास्थ्य बनता है। जो बार-बार संकल्प कर लिया वह हमारी सोच बन जाती है। सोच से संस्कार और संस्कार, कर्म में बदल जाते हैं। यही कर्म हमारा भाग्य बनाते हैं। मीडिया से जुड़े भाई जब अपनी सोच को बदल देंगे तो वह जो लिखेंगे, समाचार पेश करेंगे तो समाज में श्रेष्ठ सामग्री ही जाएगा। आगे उन्होंने ने कहा कि मीडिया सबसे बड़ी ताकत है। प्राकृतिक आपदा में मीडिया महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाता है। इसलिए मीडिया की बड़ी जिम्मेदारी है। कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ में दिए जा रहे ज्ञान और शिक्षा को मीडियाकर्मी अपने जीवन में अपनाएंगे तो निश्चित रूप से उनके अपने जीवन और पत्रकारिता में बदलाव आएगा। मौके पर गीता पाठशाला के रामधनी भाई, कमल भाई, जोशीला बहन, ममता बहन, पिंकी बहन, टिंकी बहन, भूमि बहन, हनी बहन ने मुख्य अतिथि व वशिष्ठ अतिथियों सहित कई वरिष्ठ पत्रकारों को ईश्वरीय सौगात भेट किये।