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Friday, September 20, 2024
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गुमला जिला में अवैध महुआ , शराब ( दारू) का धंधा जोरों पर

दोहरा लाभ लेकर भी आबकारी विभाग अनजान क्यों ,,,,,?? पूछती है आम जनता।

गुमला – गुमला जिले में अवैध शराब का धंधा जोरों पर है और प्रशासन इस पर रोक लगाने में अनदेखी कर चुप्पी साधे हुए हैं, कारण है, अवैध महुआ दारू शराब और हंडिया नशीला पदार्थ छोटा नागपुर – झारखंड की राजधानी सहित गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच है अवैध शराब (दारू) हडिया का , क्योंकि आदिवासी समाज के जन्म से लेकर मृत्यु संस्कारों में इसे प्रयोग किया जाता है और तो और न्यायालय में अवैध महुआ शराब दारू और हडिया पीते या घर में बनाकर बेचते पाए जाने के बावजूद और अपराध न्यायालय के समक्ष स्वीकार करने बावजूद मात्र और मात्र जुर्माना लेकर उन्हें दोष मुक्त कर दिया जाता है , फलस्वरुप सुदूर ग्रामीण क्षेत्रो में घर घर में अवैध जावा महुआ से चुलईया शराब दारू तैयार कर धड़ल्ले से बेचा जा रहा है, शराब दारु और हडिया दशकों से कुटीर उद्योग का रूप ले लिया है , गुमला लोहरदगा सिमडेगा सहित मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में कुटीर उद्योग रूप धारण कर चुकी है फलस्वरुप खुले आम बेची जा रही है अवैध शराब दारू हडिया जिसे और नशीला बनाने के लिए और तैयार करने में सल्फेट , यूरिया , रानू, नौसादर ,सहित अन्य अनेक जहरीली दवा और और कीटनाशक रासायनिक पदार्थो का भी जमकर प्रयोग और उपयोग किया जाता है , और क्वांटिटी अधिक पढ़ने पर उक्त शराब और हड्डियां जहरीले हो जाते हैं फल स्वरुप उक्त जहरीले अवैध महुआ जावा शराब एवं हडिया पदार्थ पीने से लोगों की मृत्यु भी हो जाती है , उक्त मादक पदार्थों की वजह से प्रत्येक दिन अपराधिक घटनाएं मारपीट , हत्या, बलात्कार, चोरी , डकैती आदि घटनाएं घटती रहती है, उक्त मादक पदार्थो की वजह से सैकड़ो परिवार यहां कंगाली के कगार पर पहुंच चुके हैं, साथ ही साथ कई परिवार शराब दारु हडिया और जुआ के कारण बुरी तरह बर्बाद हो चुके हैं, और तो और सरकार की दोहरी नीति ने तो इस क्षेत्र की गरीब जनता को कंगाली के कगार पर पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी है , एक तरफ सरकार लाखों करोड़ों रुपया खर्च कर , शराब जहर है , शराब गरीबी बीमारी और तबाही लाती है , शराब का जो हुआ शिकार उजड़ा उसका घर संसार आदि अनेक आकार प्रकार के विज्ञापनों और जागरूकता फैलाने में खर्च करती है, और इसके बचाव के लिए क्षेत्रीय भाषा में ( एन्दरा अखदय नीन ) आदि नशाखोरी रोकने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के आकर्षक एवं लुभाने विज्ञापन पत्र पत्रिकाओं में , पंपलेट पोस्टर आदि में प्रकाशित कर समय-समय पर जनसंपर्क विभाग एवं एनजीओ , संगठनों द्वारा प्रचार प्रसार करवाती रहती है , वहीं दूसरी ओर करोड़ों करोड़ों रुपए के राजस्व प्राप्ति हेतु देसी दारू भट्टी , देसी शराब , विदेशी शराब, बीयर बार , आदि के लिए लाइसेंस भी निर्गत करती है , उक्त दोहरी नीति ने इस झारखंड राज्य (छोटा नागपुर क्षेत्र ) के भोली भाली गरीब जनता को गुमराह कर कंगाली के कगार पर पहुंचा दिया है , नशाखोरों के पास इतना सोचने का वक्त और समय कहां होता है , फलस्वरुप नशाखोर अवैध और घटिया शराब दारु हडिया पी पीकर बीमार पड़ रहे हैं और कल के गाल में समा जा रहे हैं, उक्त अवैध धंधे को फलता फूलता देखकर उक्त समस्त क्षेत्र में अवैध जावा महुआ का चुलईया शराब दारू , हडिया, और अब गांजा ,भांग ,अफीम , हीरोइन , ब्राउन शुगर , डेंनेराइट , कोरेक्स, सिरप , नशे के टैबलेट , आदि एवं मादक पदार्थों का अवैध धंधा गली-गली चौक चौराहों, बस स्टैंड, आदि स्थानों पर बेखौफ धड़ल्ले से कुटीर उद्योग की तरह खुला खेल फर्रुखाबादी खेला जा रहा है , चाहे पान की घूमती हो या किरण की दुकान चाहे जीवन रक्षक दवा की दुकान आदि ऐसी कोई जगह नहीं बच्ची जहां उक्त धंधा नहीं चलाया जा रहा हो,,,?? इतिहास गवाह है कभी गुमला में ( गो – मेला लगा करता था , फलस्वरुप इस क्षेत्रों गोमला और फिर कालान्तर में * गुमला * नाम पड़ा ) जहां दूध दही की गंगा बहा करती थी, आज गुमला जिला एवं आसपास के क्षेत्र में शराब दारू हडिया आदि मादक नशीले पदार्थो की ,,,,, गंगा बह रही है । उक्त धंधा नगर पालिका क्षेत्र में बड़ाइक मोहल्ला , सरना टोली , चाहा , चेटर, पूगू , मिशन चौक, सोसो ग्राम सहित झारखंड की राजधानी रांची के विभिन्न क्षेत्रों में सड़क किनारे उक्त जावा महुआ का चुलईया तैयार शराब दारू और हडिया का खुला खेल फर्रुखाबादी , सुबह से , देर रात्रि तक , उक्त अवैध धंधा का खेल खेला जाता हैं , और शराब दारू हडिया पीने पिलाने का दौर चलता रहता है, क्योकि – शाम समस्त – झारखण्ड मस्त, हो जाता है, जिसे कोई नहीं है देखन हारा,,,?? आबकारी उत्पाद विभाग सब कुछ देख कर , समझ कर , अपने आंखों में पट्टी बंध चुकी है , कभी-कभी आबकारी विभाग (उत्पाद विभाग ) दिखावे के लिए छापामारी जरूर करती है और अवैध जावा महुआ से तैयार चुलईया शराब दारू भी जब्त करती है और तो और उक्त ग्रामीणों के बर्तन तक उठाकर ले आते हैं , लेकिन बाद में मामला सेटिंग गेटिंग , ले – दे – कर उक्त मामले को रफा दफा कर दिया जाता है और दोहरी कमाई अर्जित कर ली जाती है , उक्त विभाग की चाल को समझते हुए , अब पुलिस विभाग स्वयं कमान संभाल ली है , यहां के वाशिंदों का एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जिस दिन , कोई ना कोई , अपराधक घटनाओं से उन्हें रूबरू और दो चार नहीं होना पड़ता है ।

News – गनपत लाल चौरसिया 

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