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विजिंजम पोर्ट: भारत के समुद्री सामर्थ्य का नया द्वार खुला

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया देश का पहला पूर्ण स्वचालित गहरे समुद्र वाला बंदरगाह

तिरुवनंतपुरम, 2 मई 2025 — देश की समुद्री क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर मजबूती देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के तट पर बने विजिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट को राष्ट्र को समर्पित किया। यह बंदरगाह भारत का पहला पूर्णतः स्वचालित और गहरे समुद्र वाला बंदरगाह है, जो न केवल आधुनिक तकनीक का प्रतीक है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करता है।

तीन दशक पुरानी परिकल्पना को मिला वास्तविक आकार

वर्ष 1991 में जिसकी परिकल्पना की गई थी, वह सपना अब साकार हो चुका है। कई दशकों तक नीति, निवेश और सुरक्षा के मुद्दों में उलझी यह परियोजना 2015 में नई गति पकड़ी, जब इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत केरल सरकार और अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ) ने मिलकर आगे बढ़ाया। यह पहली बार था जब किसी निजी क्षेत्र को इतनी बड़ी समुद्री परियोजना में भागीदारी दी गई।

प्राकृतिक और सामाजिक चुनौतियों से जूझती रही परियोजना

बंदरगाह निर्माण के दौरान कई बड़ी बाधाएं सामने आईं। 2017 में आए चक्रवात ओखी ने निर्माणाधीन ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचाया। उसके बाद निर्माण सामग्री, विशेष रूप से चूना पत्थर की कमी और स्थानीय समुदायों की चिंताओं के चलते विरोध-प्रदर्शन जैसी बाधाएं भी उत्पन्न हुईं। कोरोना महामारी ने कार्य में और देरी की, लेकिन अदाणी समूह ने परियोजना से पीछे नहीं हटते हुए स्थानीय संवाद, तकनीकी नवाचार और तेज निर्माण कार्य के माध्यम से योजना को पटरी पर लौटाया।

भारत का पहला गहरे समुद्र वाला पूरी तरह से स्वचालित पोर्ट

जुलाई 2024 में जब विशाल कंटेनर जहाज “सैन फर्नांडो” ने विजिंजम बंदरगाह पर पहला लंगर डाला, तो वह भारत के समुद्री इतिहास में एक नया अध्याय बन गया। इसके बाद एमएससी क्लॉड गिरार्ड और एमएससी तुर्किये जैसे दिग्गज जहाज भी यहां आ चुके हैं। अब तक 280 से अधिक जहाज इस पोर्ट पर पहुंच चुके हैं और 6 लाख TEU कंटेनर की हैंडलिंग हो चुकी है।

यह बंदरगाह 18 मीटर की प्राकृतिक गहराई पर स्थित है, जिससे समुद्र की खुदाई की आवश्यकता नहीं पड़ी। यहाँ स्थापित AI-आधारित ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली और देश के सबसे ऊँचे शिप-टू-शोर क्रेन इसे तकनीकी रूप से उन्नत बनाते हैं।

भारत को मिलेगा वैश्विक ट्रांसशिपमेंट में नया विकल्प

विजिंजम की सबसे बड़ी विशेषता इसका रणनीतिक भू-स्थानिक स्थान है। यह पोर्ट अंतरराष्ट्रीय ईस्ट-वेस्ट शिपिंग रूट से महज 10 नॉटिकल मील दूर है, जिससे यह कोलंबो, सिंगापुर और दुबई जैसे ट्रांसशिपमेंट हब का भारत केंद्रित विकल्प बन सकता है। इससे अब भारत को अपने ही कंटेनरों की लोडिंग-अनलोडिंग के लिए विदेशी बंदरगाहों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

औद्योगिक लागत में संभावित गिरावट, निर्यात को बढ़ावा

विशेषज्ञों के अनुसार, इस पोर्ट से भारतीय उत्पादकों की लॉजिस्टिक लागत में 30–40% की कमी आ सकती है, जिससे एक्सपोर्ट सेक्टर अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा। वर्ष 2028 तक विजिंजम पोर्ट की कंटेनर हैंडलिंग क्षमता 50 लाख TEU तक पहुँचाने का लक्ष्य है।

स्थानीय विकास को मिलेगा नया आयाम

अदाणी समूह ने अब तक इस परियोजना में 4500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है और भविष्य में 20,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश की योजना है। इससे 5000 से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है और केरल की पर्यटन, मत्स्य और सेवाक्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय उछाल आने की उम्मीद है।

एक बंदरगाह, अनेक संभावनाएं

विजिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट केवल एक अवसंरचना परियोजना नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प, तकनीकी नवाचार और साझेदारी की प्रेरक गाथा है। यह पोर्ट आने वाले समय में न केवल भारत के व्यापारिक परिदृश्य को बदलेगा, बल्कि भारत को वैश्विक समुद्री ताकत के रूप में स्थापित करेगा।

News – Muskan

 
 

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