टेंडर विवाद में एक केस में ईडी ने साहिबगंज जिले के बरहड़वा थाने में जून 2020 में एफआईआर दर्ज की है. इस मामले में ईडी ने शंभु नंदन कुमार का बयान भी दर्ज किया था. शंभु ने ईडी को दिये अपने बयान में आलमगीर आलम का भी नाम लिया था. आलमगीर के भाई पर भी ईडी की गाज गिर सकती है.
रांची : झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बाद उनकी सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को भी बुधवार की शाम ईडी ने गिरफ्तार कर लिया. 7 घंटे तक चली लंबी पूछताछ के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई. गिरफ्तारी के बाद सदर अस्पताल से आई डॉक्टरों की टीम ने उनका हेल्थ चेकअप किया। मेडिकल जांच कर बाहर निकले चिकित्सक ने बताया कि मंत्री आलमगीर आलम का ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल, हार्ट रेट और पल्स रेट चेक किया गया। डॉक्टर ने बताया कि बाकी आलमगीर आलम को कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं है। बता दें कि इससे पहले मंगलवार को भी ईडी ने मंत्री से करीब 10 घंटे तक पूछताछ की थी। ईडी की ओर से इस मामले में राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल और जहांगीर अंसारी के ठिकानों समेत अन्य ठिकानों पर छापेमारी कर करीब 37 करोड़ रुपये कैश बरामदगी से जुड़े मामले में उन्हें समन किया गया था। मंत्री आलमगीर आलम को ईडी ने देर शाम गिरफ्तार किया। आज रात उन्हें ईडी ऑफिस में ही गुजरेगी। बताया जा रहा है कि ईडी की ओर से गुरुवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी की सूचना मिलने के बाद उनके परिजन भी ईडी ऑफिस पहुंचे। दो महिला सदस्य भी आलमगीर आलम से मिलने ईडी दफ्तर पहुंची।
टेंडर कमीशन में बरामद अधिकतर पैसे मंत्री के बताए गए
बता दें कि मंत्री के ओएसडी संजीव लाल और जहांगीर आलम 18 मई तक ईडी की रिमांड पर हैं। नौकर जहांगीर आलम के हरमू रोड स्थित फ्लैट से कुल 32 करोड़ 20 लाख रुपये बरामद किए गए थे। वहीं संजीव लाल और उनसे जुड़े ठिकानों से करीब छह करोड़ रुपयों की बरामदगी हुई थी। पूर्व में गिरफ्तार आरोपियों और गवाहों ने पूछताछ में ईडी के सामने यह स्वीकारा था कि ग्रामीण विकास विभाग में नीचे से ऊपर तक के अधिकारियों में टेंडर कमीशन का पैसा बंटता था। संजीव लाल और जहांगीर आलम के ठिकानों से बरामद रुपयों में अधिकतर रुपये मंत्री आलमगीर आलम के बताए गए हैं। पूछताछ में पुष्टि के बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया है। ईडी की टीम ने संजीव लाल और जहांगीर आलम को गिरफ्तार करने के बाद रांची के प्रोजेक्ट भवन स्थित झारखंड मंत्रालय भी पहुंची थी। दूसरे तल्ले पर स्थित मंत्री कोषांग में संजीव के चेंबर को खंगाले के बाद करीब पौने 3 लाख रुपये कैश मिले थे। इसके अलावा कई फाइलें और कागजात भी जब्त की गई थीं।
2020 के टेंडर विवाद में आलमगीर के भाई पर भी कस सकता है ईडी का शिकंजा
उल्लेखनीय है कि टेंडर विवाद में एक केस में ईडी ने साहिबगंज जिले के बरहड़वा थाने में जून 2020 में एफआईआर दर्ज की थी. इस मामले में ईडी ने शंभु नंदन कुमार का बयान भी दर्ज किया था. शंभु ने ईडी को दिये अपने बयान में आलमगीर आलम का भी नाम लिया था. जिसे इडी ने टेकओवर किए हुए है. इस मामले में दोनों ही आरोपियों को साहिबगंज पुलिस ने क्लीन चिट दे दी थी. ऐसे पुलिस अधिकारियों से भी ईडी की पूछताछ कर चुकी है. मंत्री आलमगीर आलम के भाई की कंपनी नगर पंचायत बरहरवा में वाहन प्रवेश शुल्क वसूली के टेंडर में शामिल थी. कंपनी ने एक डमी कंपनी खड़ी कराकर पांच करोड़ रुपये तक की बोली लगवा दी. बाद में पैसा जमा नहीं कराने पर दूसरी बोली 1.46 करोड़ में आलमगीर आलम की कंपनी ने ठेका ले लिया. शंभु ने बड़ी चालाकी से इस ठेके को 1.80 करोड़ में ले लिया. शंभु ने 22 अप्रैल को इडी में आवेदन देकर पूरे मामले की जानकारी दी थी और अपनी जान की सुरक्षा की गुहार लगाई थी. अब चर्चा है कि ईडी आलमगीर आलम के भाई से भी पूछताछ कर सकती है.
आलमगीर का राजनीतिक सफर
आलमगीर आलम झारखंड सरकार में संसदीय कार्य और ग्रामीण विकास विभाग का संभाल रहे थे। इसके अलावा वे कांग्रेस विधायक दल के नेता भी है. वे पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र से चार बार कांग्रेस टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. वे 20 अक्टूबर 2006 से 12 दिसंबर 2009 तक झारखंड विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं. सरपंच का चुनाव जीत कर राजनीति में प्रवेश करने वाले आलमगीर आलम ने 2000 में पहली बार पाकुड़ से जीत हासिल की। पाकुड़ के लोगों पर उनकी अच्छी पकड़ बतायी जाती है. विधानसभा क्षेत्र में कई लोग पत्थर व्यवसायी से भी जुड़े हुए हैं.