रांची : आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री झारखण्ड, केंद्रीय जनजाति मंत्री को ईमेल भेजने के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि झारखंड राज्य के घासी समाज वर्तमान में अनुसूचित जाति झारखंड के पुराने बाशिंदों में से एक है. घासी समाज पूर्व से ही जनजातीय समाज रहा है. इस संदर्भ में श्री नायक ने पीएम-सीएम स्मरण कराया कि…The Superintendent of census Operations,Bengal (Apperndex VIII) जब हो रहा था तब H.C Streatfeild,Eso,Deputy Commissioner, Ranchi ने पत्र संख्या 265 C dated,Ranchi the 1st October 1901 को The Superintendent of Census Operations Bengal के पत्र संख्या-184 T dated- 25th May last 1902 के जवाब में जनजातीय समाज की एक सूची बनाकर भेजा था, जिसमें 43 जनजातीय लोगों को चिन्हित किया गया था, जिसमें क्रमांक-16 नंबर पर (घासी) को जनजातीय की सूची में चिन्हित किया गया था, जिसकी छाया प्रति संलग्न किया गया है.
भोक्ता को पूर्व में अनुसूचित जाति और वर्तमान में जनजाति का दर्जा दिया गया है
उन्होंने कहा कि इसके बाद भारत सरकार के गजट अधिसूचना गृह विभाग नंबर 18 शिमला दिनांक 2 में 1913 प्राधिकार द्वारा उस मॉरिस भारत सरकार के सचिव (गृह) के हस्ताक्षर से प्रकाशित किया जो, अपने पत्र संख्या 550 में या अधिसूचित किया गया कि, जबकि सामान्य से भिन्न वे जनजाति जो मुंडा उरांव संथाल, हो, भूमिज, खड़िया घासी के नाम से जाने जाते हैं. उनके अपने प्राथमिक उत्तराधिकार एवं विरासत की रुढ़िगत प्रथा कायम है जो, कि भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1865 के प्रावधानों से सर्वथा असंगत है. इन जनजातियों के लोगों पर उक्त अधिनियम के प्रावधानों को लागू करना व्यर्थ है। इस अधिनियम के भाग 332 में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए गवर्नर जनरल काउंसिल में उक्त सभी जनजातीय जनजाति जो मुंडा, उरांव, संथाल, हो, भूमि खड़िया और घासी के नाम से जाने जाते हैं. बिहार एवं ओडिशा प्रांत के मध्य निवासित हैं, को इस अधिनियम के प्रावधानों की कार्रवाई की भूतलक्षी प्रभाव के साथ बाहर रखने की छूट देने में संतुष्ट हैं, जिसकी छाया प्रति संलग्न है। उन्होंने पीएम-सीएम को भेजे गए पत्र के द्वारा अनुरोध किया गया है कि भोक्ता को पूर्व में अनुसूचित जाति, वर्तमान में जनजाति का दर्जा दिया गया है. उसी की तर्ज पर आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अंतिम पायदान में बैठे झारखंड के सबसे कमजोर समाज घासी को झारखंड में पुनः अनुसूचित जनजाति की सूची में रखने की दिशा में अग्रेतर कार्रवाई की जाए.