2 अगस्त से चल रहे स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग में आयोजित साप्ताहिक व्याख्यानमाला का आज समापन हो गया। अंतिम दिन का व्याख्यान भारतीय दार्शनिक एवं समाज सुधारक विनोबा भावे के जीवन दर्शन पर आधारित था। इस व्याख्यानमाला में छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। समापन समारोह के दौरान टीचिंग लर्निंग असेसमेंट के माध्यम से तीन सर्वश्रेष्ठ छात्रों को पुरस्कृत किया गया, साथ ही सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
विभागाध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा, विनोबा भावे भारतीय दर्शन के महान चिंतक और मानवता के पुजारी थे। उनका जीवन संयम, स्वतंत्रता और सामाजिक उत्थान के सिद्धांतों पर आधारित था। उन्होंने ‘जय जगत’ का नारा दिया, जो विश्व कल्याण का संदेश है। इस मौके पर सहायक प्राध्यापक डॉ. यामिनी सहाय ने कहा कि विनोबा भावे के विचार यज्ञ, दान और तप पर आधारित हैं। उन्होंने आधुनिक दौर में भी महापुरुषों के विचारों की प्रासंगिकता पर जोर दिया।
सहायक प्राध्यापक विजय कुजूर ने भूदान आंदोलन को विनोबा भावे का सर्वोदय के रास्ते की शुरुआत बताया। शोधार्थी अमित रंजन और अनिल रविदास ने भी अपने विचार साझा किए, जहां उन्होंने विनोबा भावे के विचारों को आत्मसात करने की जरूरत पर बल दिया। इस अवसर पर शोधार्थी मोहम्मद फजल, राजेश कुमार, सबा फिरदौस, विजय चौधरी सहित कई अन्य उपस्थित थे।
News – Vijay Chaudhary.