समारोहपूर्वक मना विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग का 33वां स्थापना दिवस
बोले सांसद मनीष जायसवाल, विभावि के विकास में देते रहेंगे योगदान
कुलपति ने गिनाई उपलब्धियां, कुलसचिव ने प्रस्तुत किया वार्षिक प्रतिवेदन
सम्मानित किए गए सेवानिवृत्त शिक्षक-शिक्षकेत्तरकर्मी और विभावि का मान बढ़ाने वाले दो विद्यार्थी
हजारीबाग। विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग का 33वां स्थापना दिवस मंगलवार को समारोहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार ने सभी को विभावि स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग को देश को उच्च मुकाम तक पहुंचाना हम सबकी जिम्मेवारी है। उन्हें खुशी है कि संत विनोबा भावे के नाम से संचालित इस विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए हर गतिविधियां बेहतर ढंग से संचालित हो रही हैं। लेकिन उच्च शिक्षा में काफी कार्य होना अभी शेष है। झारखंड में विकास की असीम संभावनाएं हैं। यहां बेहतर शैक्षणिक वातावरण तैयार करना होगा। इसके साथ ही शोध में भी सुधार की जरूरत है। एकेडेमिक कैलेंडर का शत प्रतिशत अनुपालन होना चाहिए। वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने की जरूरत है। सिर्फ तकनीकी शिक्षा से काम नहीं चलने वाला, व्यावहारिक और नैतिक शिक्षा के साथ सामाजिक जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का ज्ञान भी होना जरूरी है। समाज और राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों के निर्वहन की सीख मिलनेवाली पढ़ाई भी पढ़नी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के इसीलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लेकर आयी है। उन्हें खुशी है कि विनोबा भावे विश्वविद्यालय इसे लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। एनईपी बेहद लचीली, समावेशी, नवाचार से विद्यार्थियों को जोड़नेवाली शिक्षा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल का उदाहरण देते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों को बेहतर बनाने के लिए वह हमेशा चिंतित और उस दिशा में प्रयत्नशील रहती हैं। हमें भूदान यज्ञ के प्रणेता संत विनोबा भावे से प्रेरणा लेते हुए एक बेहतर राष्ट्र के निर्माण के लिए संकल्पित रहना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए कुलाधिपति ने कहा कि मोदी जी ने एक विकसित भारत के निर्माण के लिए 2047 का जो लक्ष्य रखा है, उसमें विनोबा भावे विश्वविद्यालय महती भूमिका निभाएगा, ऐसा उनका विश्वास है। मोदी जी वैश्विक मंच पर भारत की एक अलग पहचान बनाई। आर्थिक दृष्टिकोण से भारत आज तीसरे स्थान पर स्थापित होने को तैयार हैं और दुनिया भी भारत को इसी रूप में देख रही है।
बतौर विशिष्ट अतिथि हजारीबाग के सांसद मनीष जायसवाल ने कहा कि वह सदैव विभावि के विकास के लिए पूर्व की भांति सहयोग करते रहेंगे। उन्होंने खेल व अन्य गतिविधियों को बढ़ावा देने की वकालत की। उन्होंने हमेशा यहां हाईयर एजुकेशन को प्रोमोट किया है। अन्य महत्वपूर्ण स्टडीज के लिए भी विश्वविद्यालय को बैच विकसित करने की जरूरत है। भारत सरकार से मिले 100 करोड़ के फंड का सदुपयोग कर विनोबा भावे विश्वविद्यालय स्वयं को अपग्रेड कर सकता है।
इससे पहले विभावि की कुलपति सह उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल की आयुक्त सुमन कैथलीन किस्पोट्टा ने राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार और सांसद मनीष जायसवाल समेत विवेकानंद सभागार में मौजूद सभी विद्वतजनों और पदाधिकारियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के 33 वर्षों के स्वर्णिम सफर की बेशुमार उपलब्धियों को गिनाया। उन्होंने बताया कि विभावि अंतर्गत 19 पीजी, 21 अंगीभूत, 34 संबद्ध,25 बीएड, दो ला कालेज, तीन होम्योपैथिक, एक-एक आयुर्वेदिक व इंजीनियरिंग कालेज संचालित हैं। वहीं वोकेशनल में एमबीए, एमसीए, बायो-टेक्नोलाजी, योगा समेत अन्य कोर्सेज कराए जाते हैं। विभावि को नैक में ‘बी’ ग्रेड हासिल है।
वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कुलसचिव मो. मोख्तार आलम ने बताया कि विभावि का विस्तार करते हुए 1.79 एकड़ भूमि जिला प्रशासन के सहयोग से मिला है। यह बिहार-झारखंड का एकमात्र विश्वविद्यालय है, जिसे पीएम पुसा के तहत शैक्षणिक अनुसंधान के लिए 99.79 करोड़ का अनुदान प्राप्त हुआ है। वाई-फाई कैंपस, दिव्यागों, वृद्धजनों और छात्राओं के लिए नि:शुल्क ई-रिक्शा की सुविधा, महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देते हुए महिला स्वयं सहायता समूह से संचालित आहार कैंटीन, सोलर सिस्टम, डिजिटल स्टूडियो, आनलाइन पढ़ाई, साइबर सिक्योरिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि की पढ़ाई की सुविधाएं दी जा रही हैं। रूसा के माध्यम से नेशनल डिपोजिट योजना चलाई जा रही है। किसी भी शिक्षक-शिक्षिकाएं स्तरों का वेतन, सेवानिवृत्तों का पेंशन, फैमिली पेंशन का समय पर भुगतान किया जाता है। उन्होंने कहा कि यहां एकमात्र प्रोफेसर हैं और शिक्षकों की कमी है। इसके लिए सरकार और जेपीएससी को प्रस्ताव भेजा गया है। 1800 विद्यार्थियों वाला बहुउद्देशीय भवन, ढाई सौ बेड वाला छात्रावास, स्वास्थ्य केंद्र समेत कई सुविधाएं मौजूद हैं। वर्ष 2026 से नई शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई चालू हो जाएगी। उन्होंने उपलब्धियों को गिनाया और एनएसएस डे पर दिल्ली में नेशनल अवार्ड लेनेवाले अभिषेक रंजन, गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाली छात्रा कोमल रानी और राष्ट्रीय युवा महोत्सव में विभावि की विजेता टीम और खेलो झारखंड में राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक विजेता विकास कुमार राय के बारे में बताया कि ऐसे विद्यार्थियों से विभावि गौरवान्वित हुआ है। उन्हें राज्यपाल ने सम्मानित भी किया। उन्होंने बताया कि सातवें वेतनमान के अनुरूप शिक्षक-शिक्षिकेत्तर कर्मियों को वेतन दिया जा रहा है। 436 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा गया है। शिक्षकों की प्रोन्नति की प्रक्रिया भी तेजी पर है।
कार्यक्रम के पूर्व राज्यपाल और सांसद ने संत विनोबा भावे की प्रतिमा पर फूलमाला अर्पित कर सादर नमन किया। अतिथियों ने सेवानिवृत्त शिक्षकों और शिक्षकेत्तरकर्मियों को सम्मानित किया। कुलपति ने अतिथियों को शाल और स्मृतिचिह्न भेंट कर सम्मानित किया। विद्यार्थियों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की छटा बिखेरी। मंच संचालन छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष डा. मिथिलेश कुमार सिंह ने किया। मंच पर वित्त सलाहकार सुनील कुमार सिंह भी मौजूद थे। विभावि के कुलगीत के अलावा राष्ट्रगान से आरंभ कार्यक्रम का समापन भी जन, गण, मन…से हुआ। मौके पर संयुक्त बिहार के पूर्व मंत्री मनोज कुमार यादव, पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, डीआईजी सुनील भास्कर, एसपी अरविंद कुमार सिंह, बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद के कुलपति डा. राजकुमार सिंह, सीसीडीसी डा केके गुप्ता, वित्त पदाधिकारी डा सुरेन्द्र कुशवाहा, एनसीसी पदाधिकारी डा. शत्रुघ्न पांडेय, एनएसएस की समन्वयक डा. जानी रूबिना तिर्की, परीक्षा नियंत्रक डा सुनील कुमार दुबे, डा बीरेंद्र कुमार गुप्ता, डा राखो हरि प्रसाद, डा विकास कुमार, डा केदार सिंह, डा केके गुप्ता, डा सुबोध सिंह शिवगीत, डा राजू राम, डा इब्शा खुर्शीद, डा विनोद रंजन, विकास कुमार, प्रो केपी शर्मा, डा. कमला प्रसाद, डा. शौकत अली, डा अनवर मल्लिक, बंशीधर रुखैयार आदि सहित संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, अन्य पदाधिकारी, प्राचार्य, शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी और विद्यार्थी मौजूद थे।
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सम्मानित होनेवाले शिक्षक और शिक्षकेत्तरकर्मी
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डा एलपी मिश्रा, डा. जनक मिश्र, डा. प्रकाश चंद्र देवथरिया, डा. चंद्रशेखर सिंह, डा गोपाल शरण पांडेय, डा. सरिता सिंह, डा.सुरेशचंद्र जैन, राघवेन्द्र नाथ झा, डा. सावित्री शर्मा, डा. अमरकांत सिंह, डा. सतीश कुमार सिंह, डा सीटीएन सिंह, डा.श्यामसुंदर प्रसाद सिंह, डा. सीताराम वर्णवाल, डा.शारदा शर्मा, डा.कृष्णचंद्र दूबे, रघुवंश सिंह, डा. रणधीश कुमार कर्ण, नरसिंह महतो, विजय कुमार, राजकुमारी, भुवनेश्वर प्रसाद सिंह, जयप्रकाश नारायण, नंदलाल महतो, प्रभा देवी, महेश राम, रामाशीष प्रसाद, मंगलेश्वर उरांव, त्रिवेणी सिंह, अरविंद कुमार सिंह समेत अन्य लोग शामिल थे।
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