रांची : हम किसी भी सूरत में वन नेशन वन इलेक्शन को नहीं मानने वाले हैं। इसके सहारे भाजपा चुनाव की पूरी प्रक्रिया को दूषित करना चाहती है। दरअसल, भाजपा निर्वाचित सरकारों के अधिकारों पर हमला करने पर आमादा है. सरकारों को गिराना-तोडना इनका धर्म है. भाजपा का काम विधायकों की खरीद-फरोख्त करने में माहिर है। झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बुधवार को पीसी को संबोधित कर रहे थे. सुप्रियो ने कहा कि विधायकों की तरफ चारा फेंकती फिर अपने जाल फंसाकर पहले उनको मकड़जाले की तरह उलझा कर रख देती है. जो इनके जाल में नहीं फंसता है, उन पर मुकदमे लाद देती है। श्री भट्टाचार्य ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन के जरिए भाजपा अधिनायकवाद को स्थापित करना चाहती है। भाजपा जिस तरह से आगे बढ़ रही है, उससे लग रहा है कि वह संविधान बदलने की नीयत के साथ आगे बढ़ रही है। शुक्र है कि लोकसभा चुनाव में पिछले-दलित वर्गों ने इनकी मंशा को भांप लिया और इन्हें पूर्ण बहुमत से बहुत दूर कर दिया. अब दो राज्यों के विधानसभा चुनाव में हारने की आशंका के मद्देनजर भाजपा में खदबदाहट है.
‘इस प्रस्ताव से देश के 25 लाख जनप्रतिनिधियों के अधिकारों पर सीधे हमला है’
उन्होंने कहा कि दरअसल, वन नेशन वन इलेक्शन के सहारे संविधान बदलने की पटकथा लिखी जा रही है। मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के 100 दिन बीतते ही वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसकी तिथि भी 2029 चुनी गई है। कहा कि इस प्रस्ताव से देश के कम से कम 25 लाख जनप्रतिनिधियों के अधिकारों पर हमला किया गया है। वन नेशन वन इलेक्शन आदिवासी परंपरा पर भी कुठाराघात करने की कोशिश है. उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार के इस प्रस्ताव को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। भाजपा हर जगह चुनाव हार रही है। लेकिन चुनाव हारने के बाद भी अपना मनमाना शासन थोपना चाहती है। कहा कि पीएम भूत की चर्चा करते हैं और भूत भगाने के लिए भी लोग आ जाते हैं। सवालिया लहजे में उन्होंने पूछा कि आखिर किसने कह दिया कि एक साथ चुनाव से वोटिंग प्रतिशत बढ़ जाएगा। इस तरह की झूठी दलीलें देना भाजपा बंद करे और पहले झारखंड में विधानसभा चुनाव जीत कर दिखाए. बाहर के राज्यों से लाये नेताओं के भरोसे झारखंड में जीतने का सपना कभी पूरा नहीं होनेवाला है.