रांची : पहले हरियाणा का चुनाव महाराष्ट्र के साथ होता था। लेकिन इस बार हरियाणा में अकेले चुनाव कराया गया और अब झारखंड-महाराष्ट्र का चुनाव एक साथ हो रहा है। यह बताने को काफी है कि किसके इशारे पर चुनाव आयोग कम कर रहा है। जेएमएम प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने बुधवार को एक प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे. सु्प्रियो हेमंत सरकार के पिछले पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धियों के साथ-साथ राज्य की चुनौतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक फिल्म आई थी बंटी और बबली, जिसने ताजमहल को बेचा था। ऐसे ही बंटी और बबली भाजपा और चुनाव आयोग हो गये हैं जो, जम्हूरियत को बेचने में लगे हुए हैं। उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पहले चरण में 43 सीट पर ही चुनाव की घोषणा क्यों हुई, 47 भी हो सकती थी। इसमें मांडू और रामगढ़ और खिजरी का नाम क्यों नहीं है?
‘चुनाव आयुक्त को ‘नॉनसेंस’ जैसे शब्द से परहेज करना चाहिए था’
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि जब 2019 के चुनाव जब हमारी गठबंधन की सरकार बहुमत में आने के दो साल तो कोरोना की भेंट चढ़ गया. जब इससे बाहर आए तो फिर सरकार को गिराने की साजिश शुरू हो गई। लेकिन एक-एक कर हर चीज से निपटने में सरकार सफल साबित हुई। अब चुनाव की घोषणा हो गई है फिर से चुनावी मैदान में जाना है। अब चुनाव में इन उपलब्धियों को लेकर जनता के पास जायेंगे। सुप्रियो ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना छोड़ो बेकार की बातें। फिर नॉनसेंस जैसे शब्द का प्रयोग करना, संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देता. चुनाव की घोषणा से पूर्व भाजपाइयों को कैसे पता चल गया. इसपर चुनाव आयुक्त को साफगोई पेश करनी चाहिए. सुप्रियो ने कहा कि हरियाणा में EVM में खेल हुआ है। हरियाणा चुनाव के परिणाम चीख-चीख कर बता रहे हैं कि चुनाव निष्पक्ष नहीं हुआ है।
‘चुनाव आयोग को भाजपा ने गुलाम बनाकर रख लिया है’
उन्होंने कहा कि रामगढ़ और हजारीबाग जिले में मांडू पड़ता है। रामगढ़ में खड़े होकर रांची को प्रभावित करने का काम भाजपा के नेता करेंगे। एक साजिश के तहत किया गया है कि एक विधानसभा 13 नबंबर को और दूसरा बगल की सीट है, को 30 नवंबर को दूसरे चरण में रखा गया। सवाल उठता है कि आखिर एक ही जिले में अलग-अलग चरण में चुनाव क्यों रखा गया? दरअसल, चुनाव को कैसे हाईजैक किया जाये, इसकी पटकथा पहले असम सरकार के भवन में लिखी गई। इसके बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित कार्यालय में अनुमोदन हुआ और फिर उसे पास चुनाव आयोग ने किया। यह सबकुछ केंद्र के इशारे पर किया गया. अब सिर्फ कहने को चुनाव आयोग संवैधानिक रूप से एक निष्पक्ष तंत्र है। लेकिन भाजपा ने इसे गुलाम बनाकर रख लिया है। इसे देशवासी बखूबी समझ रहे हैं.