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Saturday, October 26, 2024
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हुसैनाबाद में दिए गए सांप्रदायिक भाषण के विरुद्ध हिमंता बिस्व सरमा के खिलाफ शिकायत दर्ज, लोकतंत्र बचाओ अभियान ने चुनाव आयोग से की कार्रवाई की मांग

रांची : लोकतंत्र बचाओ अभियान ने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रविकुमार को पत्र लिख कर असम के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के सह प्रभारी हिमंता विस्व सरमा द्वारा 23 अक्टूबर को झारखंड के हुसैनाबाद में दिए गए सांप्रदायिक चुनावी भाषण को लेकर न्यायसंगत कार्रवाई की मांग की गई है. पत्र में यह भी कहा गया कि यह सुनिश्चित किया जाये कि कोई भी नेता अपने चुनावी भाषण में साम्प्रदायिकता न फैलाये और धार्मिक ध्रुवीकरण करने से बचें.

आखिर हिमंता ने हुसैनाबाद में क्या कहा था?

पत्र में कहा गया है कि हुसैनाबाद (जपला) में भाजपा की चुनावी सभा में असम के सीएम ने हुसैनाबाद गांव के नाम पर सवाल उठाते हुए मुसलमानों के खिलाफ हिंसापूर्ण बातें कही. उन्होंने कहा था कि हुसैनाबाद क्या नाम है? हमारे बगल के राज्य में राम एवं कृष्णा जन्मभूमि है, तो हुसैन यहां कहां से आ गया? झारखण्ड वीरों की भूमि है, अगर ज़िला बनेगा तो वीरों के नाम का बनेगा ऐसे नाम का नहीं जिसका यहां से कोई लेना-देना नहीं है, कोई परिचय नहीं है, कहां से आया कैसे आया, कोई नहीं जानता है. ऐसा नाम हमें ज़िला नहीं बनाना है. भाजपा की सरकार बनेगी तो कानून के रास्ते से हम झारखण्ड में NRC लागू करेंगे और एक-एक करके घुसपैठियों को कानून के रास्ते से लात मार के भगा देंगे. यह हमारा सबसे प्राथमिक काम होगा. यह चुनाव किसी को विधायक बनाना नहीं, किसी को मुख्यमंत्री बनाना नहीं, यह चुनाव घुसपैठियों को लात मारकर भगाने का यह चुनाव है.”

मुसलमानों के खिलाफ साम्प्रदायिकता फैलाने व चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण करने के मकसद से हिमंता ने दिया भाषण

पत्र में उनकी बातों का उल्लेख करते हुए कहा गया कि असम के सीएम का उक्त भाषण स्पष्ट रूप से मुसलमानों के विरुद्ध साम्प्रदायिकता फ़ैलाने और चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से दिया गया है. हुसैनाबाद शहर का नाम का लम्बा इतिहास है. इस भाषण में “हुसैन” नाम का ज़िक्र करके और साथ में “घुसपैठियों” पर अफवाह फैलाकर मुसलमानों को धार्मिक रूप से टारगेट किया जा रहा है और उनके विरुद्ध अन्य समुदायों में धार्मिक ध्रुवीकरण किया जा रहा है. यह भी गौर करें कि एक तरफ केंद्र सरकार संसद में बयान देते हैं कि “बांग्लादेशी घुसपैठियों” सम्बंधित उनके पास कोई आंकड़े नहीं हैं, और दूसरी तरफ इस पर चुनावी भाषण में झूठ और अफवाह फैलाया जा रहा है. यह भाषण आचार संहिता का खुला उल्लंघन है. पत्र में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को याद दिलाया गया कि अभियान का प्रतिनिधिमंडल उनसे पिछले 21 अक्टूबर को मुलाकात कर ऐसे नफरती और सांप्रदायिक भाषणों की संभावना के विषय में बताया था और कार्रवाई की मांग की थी. यह भी कहा गया था कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री समेत भाजपा नेताओं द्वारा लगातार ऐसे भाषण दिए गए थे लेकिन कार्रवाई नहीं हुई थी.

ये लोग भी शामिल थे

अभियान की ओर से अफ़जल अनीस, अजय एक्का, अंबिका यादव, अमृता बोदरा, अंबिता किस्कू, आलोका कुजूर, अरविंद अंजुम, बासिंग हस्सा, भरत भूषण चौधरी, भाषण मानमी, बिनसाय मुंडा, चार्ल्स मुर्मू, दिनेश मुर्मू, एलिना होरो, एमिलिया हांसदा, हरि कुमार भगत, ज्यां द्रेंज, ज्योति कुजूर, कुमार चन्द्र मार्डी, किरण, लीना, लालमोहन सिंह खेरवार, मानसिंग मुंडा, मेरी निशा हंसदा, मंथन, मुन्नी देवी, नंदिता भट्टाचार्य, प्रवीर पीटर, पंकू टुडू, रामचंद्र मांझी, राजा भारती, रमेश जेराई, रेशमी देवी, रोज़ खाखा, रोज मधु तिर्की, रिया तूलिका पिंगुआ, शशि कुमार, संदीप प्रधान, सिराज दत्ता, सुशील मरांडी, सेबेस्टियन मरांडी, संतोष पहाड़िया, टॉम कावला व विनोद कुमार ने पत्र जारी किया है.

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