गुमला – गुमला जिला अंतर्गत स्थित सिसई प्रखण्ड के सरस्वती विद्या मंदिर कुदरा में सोमवार को सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह की जयंती मनाई गई.
कार्यक्रम की शुरूआत एचएम देवेंद्र वर्मा व योग प्रचारक घनश्याम आर्या ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन व गुरु गोविंद सिंह के तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया. इस दौरान एचएम देवेंद्र वर्मा ने छात्र छात्राओं को गुरु गोविंद सिंह के बलिदान को स्मरण करते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपना जीवन और समस्त परिवार का बलिदान दे दिया.गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही खालसा वाणी, ‘वाहे गुरु की खालसा, वाहेगुरु की फतेह’ का नारा दिया था.उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की,खालसा पंथ की स्थापना के पीछे इनका उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और मुगलों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाना था.उनका ‘चिड़िया नाल मैं बाज लड़ावां, ता गोविंग सिंह नाम कहावा’ वाक्य आज भी कई संदेश देता है.सिखों की पहचान के लिए उन्होंने पंच ककार यानी केस,कंघी,कृपाण,कच्छा और कड़ा धारण करने के लिए कहा था.जिसे सीख समाज के लोग आज भी धारण करते हैं. वे सिखों के अंतिम गुरु हुए.उनके बाद सिख समुदाय ने गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु बना लिया.
घनश्याम आर्या ने कहा धर्म व देश की रक्षा के लिए अपना सर्वत्र बलिदान देने वाले सीखो के दसवें गुरु गुरुगोविंद सिंह की जयंती पर उन्हें नमन कर प्रत्येक भारतवासी आज गौरव महसुस कर रहा है,उनका बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है.
शिक्षिका ममता कुमारी ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला और कहा गुरु गोविंद का मंत्र है- सवा लाख से एक लड़ाऊं। तब मैं गुरु गोविंद कहाऊं.
इस अवसर पर आचार्यो को साइंस ओलंपियाड फेडरेशन द्वारा प्रदत्त डायरी उपहार स्वरूप दिया गया. मंच संचालन कक्षा दशम की बहन स्वाति रानी ने किया. कार्यक्रम में आचार्य कमल सिंह, कौशल्या रानी, ममता कुमारी, सरिता मुखर्जी, नाथू भगत जितेंद्र कुमार आदि उपस्थित थे.
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया