भारत विविधता में एकता का देश है। कभी-कभी लगता है कि यह हमारी कमजोरी है। परंतु इसी में नए भारत को गढ़ने की शक्ति विद्यमान है। और यह कार्य एक खूबसूरत संघवादी व्यवस्था की स्थापना से संभव है। उक्त बातें आर एन महाविद्यालय हाजीपुर, बिहार से आए प्रोफेसर शशि भूषण कुमार ने कही। वह आज विनोबा भावे विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में ‘वर्तमान दौर में संघवाद’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने किया।
उन्होंने बताया कि सामान्य धारणा है कि संघवाद को भारत ने अमेरिका जैसे राष्ट्र से लिया है। परंतु जब हम भारत के इतिहास में खोज करते हैं तो संघवादी व्यवस्था की जड़े हमें अपने यहां भी दिखाई देते हैं ।
इस संबंध में उन्होंने सहयोगात्मक एवं दोहरी संघवाद के मॉडलों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संघवाद में कोई किसी के अधीनस्थ नहीं होते हैं। सभी एक दूसरे से सम्मान और श्रद्धा के सूत्र से जुड़े होते हैं। कुछ लोग एक भारत में एक मजबूत केंद्रीय सत्ता की वकालत करते हैं जो किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है। आवश्यकता है उसे सूक्ष्म संतुलन को खोज निकालने की जिससे हमारी केंद्रीय सत्ता और राज्यों की सत्ता के बीच खूबसूरत समन्वय की स्थापना होगी। यहीं से नए और आधुनिक भारत के निर्माण की यात्रा प्रारंभ होगी।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने कहा कि आने वाला दूर संघवाद का ही दूर है। आज इसी सिद्धांत के आधार पर यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ का गठन किया गया है जिससे वहां के विकास को नइ ऊर्जा मिली है। भूमंडलीकरण ने इस ओर इशारा किया है कि आने वाले समय में विश्व संघ का निर्माण संभव है। इसी के आधार पर एक विश्वराज तथा एक विश्व सरकार की स्थापना पर भी विचार किया जा सकता है। इससे सहयोग बढ़ेगा, खुशहाली आएगी।
कार्यक्रम में संत कोलंबा महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ अशोक राम, विभाग के शोधार्थी तथा तृतीय और प्रथम समसत्र के विद्यार्थी उपस्थित थे।
News – Vijay Chaudhary