प्रयागराज : महाकुंभ का सबसे बड़ा दिन मौनी अमावस्या को माना गया है। यह पवित्र दिन 29 जनवरी को पड़ रहा है और अब इसमें 48 घंटे से भी कम का समय बचा है। जहां एक तरफ देश-दुनिया से श्रद्धालुओं का सैलाब प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने को बेताब है, वहीं प्रशासन इसकी तैयारी में चाक-चौबंद है।
मेला क्षेत्र में वाहनों का आवागमन फिलहाल पूरी तरह से रोक दिया गया है और शहर में भी कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं। पाबंदियों के बाद भी थक कर मेला क्षेत्र में पहुंचने वालों का स्वागत अदाणी-इस्कॉन का महाप्रसाद करता है। थकान के बाद मिले महाप्रसाद से लोगों को संबल मिल रहा है।
5-6 किलोमीटर पैदल चलने के बाद श्रद्धालुुुओं का हो रहा है महाप्रसाद से स्वागत
अगर कोई श्रद्धालु लखनऊ, दिल्ली, रांची, भुवनेश्वर या देश के किसी भी कोने से बस के जरिए महाकुंभ में आ रहे हैं तो, महाकुंभ पहुंचने के लिए उन्हें बस अड्डे से ई-रिक्शा, सिटी बस या टेंपो का सहारा लेना पड़ रहा है। ये वाहन चुंगी या नया पुल तक पहुंचाते हैं। यहां से कुंभ मेला क्षेत्र की शुरुआत लगभग 2 किलोमीटर दूर है, यहां से पैदल चलना होता है। अगर कोई ट्रेन से आ रहा है तो ट्रेन अमूमन नैनी जंक्शन या प्रयागराज जंक्शन पर रुकती है। प्रयागराज आने के लिए भी तमाम कुंभ स्पेशल ट्रेन चलाई गई हैं। कुंभ घूमने आए ज्यादातर श्रद्धालुओं ने व्यवस्था की तारीफ की और कहा कि लगभग 5 से 6 किलोमीटर चलना पड़ा, लेकिन स्नान के बाद स्वादिष्ट महाप्रसाद पाकर मन तृप्त हो जाता है.
महाप्रसाद पाकर क्या कहते हैं श्रद्धालु?
दिल्ली से अपने परिवार के साथ आए एस.के. माथुर का कहना है कि वो अपने वाहन से शहर तक आए, लेकिन पाबंदियों की वजह से वाहन को मेला क्षेत्र में नहीं ला पाए। ऐसे में उन्होंने शहर में वाहन को पार्किंग में खड़ा किया और तकरीबन 3 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके जब पीपा पुल नंबर 13 से मेला क्षेत्र में आए तो उनका स्वागत सेक्टर 19 में बने इस्कॉन शिविर के बाहर वॉलेंटियर्स ने महाप्रसाद से किया। उनका कहना है कि अदाणी-इस्कॉन द्वारा उपलब्ध कराए गए महाप्रसाद ने सारी थकान मिटा दी।
झारखंड के गोड्डा जिले से कुंभ स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु नारायण मंडल अपने परिवार के सदस्यों के साथ पहुंचे, इन्होंने सपरिवार इस्कॉन के सेक्टर 19 स्थित पंडाल में जाकर महाप्रसाद ग्रहण किया।
बिहार के जमालपुर (मुंगेर) के रहनेवाले संजीव कुमार गुप्ता ने भी अपनी पत्नी अंजलि के साथ महाप्रसाद ग्रहण किया। उनका कहना है कि अदाणी इस्कॉन के महाप्रसाद ने न सिर्फ शरीर बल्कि मन को भी पोषित किया है।
संबलपुर ओडिशा से प्रयागराज पहुंची सौदामिनी बेहरा ने रेलवे स्टेशन के पास अदाणी-इस्कॉन का महाप्रसाद ग्रहण किया। उन्होंने बताया कि वह अपने 6 साथियों के साथ जब उन्हें भूख लगी तो वह अदाणी-इस्कॉन के महाप्रसाद स्टॉल पर गए। वहां का महाप्रसाद न सिर्फ स्वादिष्ट लगा बल्कि बहुत ही पौष्टिक और सफाई के साथ वितरित किया जा रहा है। प्रसाद ग्रहण करने का अनुभव अद्भुत रहा।
प्रतिदिन एक लाख श्रद्धालुओं को महाप्रसाद उपलब्ध करने का है लक्ष्य
बता दें कि अदाणी समूह ने इस्कॉन के साथ मिल कर प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के मौके पर प्रतिदिन 1 लाख श्रद्धालुओं को महाप्रसाद उपलब्ध करने का लक्ष्य रखा है। सिर्फ मेला क्षेत्र में ही 3 अदाणी-इस्कॉन किचन दिन-रात खाना बनाने और वितरण के काम में लगे हैं। इसके अलावा अदाणी समूह दुनिया के सबसे बड़े हिंदू धार्मिक साहित्य के प्रकाशक गीता प्रेस के साथ मिल कर 1 करोड़ आरती संग्रह का वितरण भी कर रहा है।