पहला दिन नीलोत्पल मृणाल के कार्यक्रम से आरम्भ
उपायुक्त ने स्थानीय विद्यार्थियों, युवाओं सहित सभी नागरिकों से कार्यक्रम में भाग लेने की अपील की।
गुमला :- साहित्य उत्सव अंतर्गत दिनांक 15 फरवरी को बिरसा मुंडा पार्क में शाम 04 बजे से कार्यक्रम आरम्भ होगा । कार्यक्रम के पहले दिन अपराह्न चार बजे कुड़ुख साहित्य के बदलते स्वरूप पर डाक्टर नारायण भगत और प्रेमचंद उरांव की परिचर्चा होगी एवं उसके बाद राष्ट्रीय स्तर के लेखक, कवि, सोशल मीडिया के रचनाकार तथा सामाजिक कार्यकर्ता नीलोत्पल मृणाल का कार्यक्रम होगा । नीलोत्पल मृणाल डार्क हॉर्स और औघड़ नामक प्रसिद्ध उपन्यास लिख चुके हैं तथा सोशल मीडिया पर उनकी कविताएं काफी प्रसिद्ध हैं । देश में युवाओं को मिलने वाला सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान “साहित्य अकादमी युवा अवार्ड” से सम्मानित नीलोत्पल मृणाल बिहार झारखंड से संबंध रखते हैं तथा साहित्य समाज सेवा के लिए इन्हें बिहार गौरव अवार्ड से नवाजा जा चुका है । इनके लिखे दोनों उपन्यास डार्क हॉर्स एवं औघड़ हिन्दी बेस्ट सेलर में शामिल रहे हैं । इनकी रचनाओं में गांव का सौंधापन और वास्तविकता का अनूठा संगम होता है ।
इस साहित्य उत्सव में राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न प्रकाशकों द्वारा पुस्तक मेला भी लगाया जा रहा है जहां हिंदी और अंग्रेजी साहित्य के साथ नागपुरी, कुड़ुख आदि जनजातीय साहित्य की किताबों की प्रदर्शनी लगेगी तथा ये बिक्री के लिए भी उपलब्ध होंगी ।
तीन दिवसीय कार्यक्रम में जिले के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों से संबंधित स्टॉल भी लगाया जाएगा तथा पार्क में फ्री एंट्री होगी। तीन दिन के पूरे कार्यक्रम में कुड़ुख साहित्य के डाक्टर नारायण उरांव, आदिवासी और स्त्री साहित्य की कवयित्री जसिंता केरकेट्टा, जनजातीय विकास के विशेषज्ञ रणेंद्र कुमार, चंद्रहास चौधरी, महेश्वर सोरेन, वरुण ग्रोवर, अनुकृति उपाध्याय, आदि भाग लेंगे । इसके अंतर्गत स्कूली विद्यार्थियों तथा स्थानीय युवाओं से ग्रामीण परिवेश विषय पर पेंटिंग, मूर्त कला, कविताएं, मॉडल्स आदि बनवाए गए हैं जिसके विजेता प्रतिभागियों की कृतियों का प्रदर्शन करते हुए उन्हें कार्यक्रम में सम्मानित भी किया जाएगा । दिनांक 16 एवं 17 फरवरी को पूर्ण 10 बजे से संध्या 6 बजे तक कार्यक्रम संचालित होंगे तथा लोग पुस्तक मेला और प्रदर्शनी सहित रागी के उत्पाद का भी स्वाद ले पाएंगे ।
उपायुक्त द्वारा इसे एक ऐतिहासिक अवसर बताते हुए सभी से बढ़चढकर सभी कार्यक्रम में भाग लेने की अपील की गई है । अन्य सभी साहित्यिक गतिविधियों के अतिरिक्त कार्यक्रम के दूसरे दिन संध्या 04.30 बजे से बिरसा के उदय विषयक कठपुतली नाच होगा तथा अंतिम दिन गुमला के प्रतिभागियों के लिए खुला मंच कार्यक्रम होगा जिसमें स्थानीय युवा अपने गीत, कविता सहित अन्य प्रस्तुति दे सकेंगे । जिला प्रशासन द्वारा पूरे कार्यक्रम के लिए जोर शोर से तैयारियां की जा रही हैं ।
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया