हजारीबाग/चुरचू — विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. सुकल्याण मोइत्रा की सास एवं उनकी पत्नी श्रीमती सरिता बरला की माता बीना बारला का बुधवार सुबह निधन हो गया। वे चुरचू प्रखंड के डूमर गांव स्थित अपने आवास पर कुछ समय से बीमार चल रही थीं।
चार दशकों तक रही शिक्षा सेवा में, भारतीय नौसेना अधिकारी की थीं पुत्री
बीना बारला का जीवन शिक्षा और सेवा को समर्पित रहा। चुरचू मध्य विद्यालय में शिक्षिका के रूप में लगभग 40 वर्षों तक कार्यरत रहीं और वर्ष 2007 में सेवानिवृत्त हुईं। उनके पिता स्व. बसंत अवध्या भारतीय नौसेना से अवकाश प्राप्त अधिकारी थे। उनके पति स्व. डेविड बरला भी शिक्षण सेवा में रहे और कुछ वर्ष पूर्व उनका भी निधन हो चुका है।
अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब
बीना बारला का अंतिम संस्कार डूमर गांव के पारिवारिक सिमेट्री में ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया। संत लुका चर्च के पादरी निशांत कुमार भूईया एवं पादरी रंजीत मरांडी ने प्रार्थना सभा का संचालन किया। इस दौरान बाइबल के श्लोकों का पाठ हुआ तथा ईसा मसीह की स्मृति में समूहिक भजन प्रस्तुत किए गए।
मोमबत्तियों और पुष्पों के साथ अंतिम विदाई
उपस्थित लोगों ने बीना बारला को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी कब्र पर पुष्प चढ़ाए, मोमबत्तियाँ और अगरबत्तियाँ जलाकर भावभीनी विदाई दी। इस अवसर पर डूमर गांव सहित हजारीबाग, रांची और बोकारो से परिजन और शुभचिंतक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
परिवार में शोक की लहर
वे अपने पीछे स्व. पुत्र विनय बरला के परिवार सहित पुत्र असीम बरला, पुत्रियाँ सरिता बरला व अर्चना बरला, दामाद डॉ. सुकल्याण मोइत्रा और शिवाजी मोइत्रा, तथा अन्य सगे-संबंधियों को छोड़ गई हैं।
बीना बारला का जीवन समाज और शिक्षा के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।
न्यूज़ – विजय चौधरी