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Friday, November 22, 2024
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पलामू – दुग्ध क्रांति की दिशा में झारखंड सरकार कदम बढ़ा दिया है

दुग्ध क्रांति की दिशा में झारखंड सरकार कदम बढ़ा दिया है। सरकार के इस प्रयास का सीधा फायदा किसान व जनसामान्य को मिलनेवाला है। विशेषकर पलामू के पशुपालक किसानों को इसका फायदा होगा। यह फायदा मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की शुरूआत से होगी। पलामू में मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित की जा चुकी है। प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के समीप गणके गांव में करीब 28 करोड़ की लागत से मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया गया है। अत्याधुनिक तकनीक से लैस इस प्लांट का वाटर ट्रायल पूर्ण कर लिया गया है। अब दूध का प्रोसेसिंग से लेकर पैकेजिंग का ट्रायल होगा। ट्रायल के दौरान प्लांट से बने दूध एवं अन्य उत्पाद की गुणवत्ता जांच एवं अन्य सभी आवश्यक प्रक्रियाएं पूर्ण होने के पश्चात विधिवत उद्घाटन की प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी। इसके बाद मेधा के नाम से उत्पाद को बाजार में उतारा जायेगा।मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट आने वाले समय में युवाओं के साथ-साथ पशुपालक किसान भाईयों को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगा। उन्हें रोजगार से जोड़ेगा। इससे डेयरी विकास और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। जिले के स्थानीय किसान दूध के व्यवसाय से सीधे जुड़कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकेंगे।सरकार एवं स्थानीय पलामू जिला प्रशासन दूध कारोबार को बढ़ावा देने एवं किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में निरंतर काम कर रही है। पलामू सहित राज्य में दूध के कारोबार की अच्छी संभावना देखी जा रही है। किसानों द्वारा पशुपालन कर दूध का कारोबार भी किया जाता है, लेकिन उसकी सप्लाई संगठित क्षेत्र में नहीं हो पाने से उन्हें इसका उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। साथ ही नियमित रूप से दूध की सप्लाई भी नहीं हो पाती है। प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित होने से किसानों में विश्वास जागृत होगा कि उनके पशु का दूध उचित दाम पर सालोंभर बिक्री हो सकेगी। ऐसे में किसान पशुपालन की दिशा में बेहतर कार्य करेंगे। इससे पलामू की अथर्व्यवस्था मजबूत होगी और किसान भी आत्मनिर्भर हो सकेंगे। रोजगार की तलाश में उन्हें दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा। प्लांट से लेकर पशुपालन में युवाओं एवं किसान भाईयों को अपने ही गांव-शहर में ही रोजगार मिल पायेगा।25 हजार से अधिक किसानों को होगा फायदा:मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना से पलामू के 25 हजार से अधिक किसानों को सीधा लाभ होगा। स्थानीय को रोजगार के साथ-साथ पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे किसानों की आर्थिक दशा सुधरेगी। प्रोसेसिंग प्लांट के लिए पशुपालक किसानों की दूध की खरीद की जायेगी। इसका उन्हें उचित मूल्य मिलेगा। पलामू में संचालित है 62 दूध संग्रह केन्द्रवतर्मान समय की बात करें तो पलामू में 62 दूध संग्रहण केन्द्र बनाये गये हैं। इससे 230 गांव जुड़े हैं। दूध की गुणवत्ता की जांच के लिए 46 संग्रहण केन्द्रों पर जांच की भी सुविधा उपलब्ध है, जिन केन्द्रों पर जांच की सुविधा नहीं है, वहां के दूध का नमुना संग्रह कर समीपवर्ती केन्द्र पर भेजकर जांच कराई जाती है और किसानों को उसका उचित मूल्य का भुगतान होता है। दूध संग्रहण केन्द्र से संग्रहित दूध को ठंडा करने हेतु 9 बल्क मिल्क कूलर भी स्थापित हैं। यहां पर संग्रहित दूध को ठंडा कर प्रोसेसिंग हेतु पलामू प्रमंडल क्षेत्र अंतर्गत लातेहार जिले में स्थापित प्रोसेसिंग प्लांट एवं रांची के प्रोसेसिंग प्लांट में भेजा जाता है। मेधा डेयरी प्लांट के नाम से संचालित होगा प्लांट, तकनीक है लैस है पूरा प्लांट:राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड के तकनीकी सहयोग से स्थापित मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट ‘मेधा डेयरी प्लांट, पलामू’ के नाम से संचालित होगा। संचालन झारखंड मिल्क फेडरेशन द्वारा किया जायेगा। प्लांट तकनीक से लैस है। 20-20 हजार कीलो लीटर के दो मिल्क सायलो (टैंक) लगे हैं, जिसमें आये दूध का प्रोसेसिंग होगा। वहीं 5 हजार लीटर क्षमता की पास्तुराइजर लगे हैं, जो दूध में व्याप्त वैक्टिरियां को नष्ट करने का कार्य करेगा। वहीं 5 हजार लीटर क्षमता की क्रीम सैपरेटर लगे हैं, जिसके माध्यम से दूध के क्रीम को अलग किया जायेगा। वहीं 5 हजार लीटर क्षमता की होमोनाइजर लगे हैं। यहां से संतुलित दूध निकलेगा। सैपरेटर एवं होमोनाइजर के माध्यम से दूध की गुणवत्ता का विकास होगा। इसके अलावा अमोनिया रेफ्रिजरेटर प्लांट लगे हैं, जिसके माध्यम से दूध को ठंडा किया जायेगा। इसके अलावा दो हजार किलोग्राम प्रति घंटा क्षमता की दो ब्वाॅयलर लगे हैं। इससे दूध को गर्म करने की व्यवस्था की गयी है। दूध को 80 डिग्री तापमान पर गर्म करने का प्रावधान है, इसके बाद 4 डिग्री तापमान पर उसे ठंडा किया जाता है, ताकि दूध के बैक्ट्रिया को समाप्त किया जा सके।बिजली की व्यवस्था:प्लांट संचालन के लिए प्लांट परिसर में ही सब स्टेशन स्थापित किया गया है। इसमें 630 केबीए का ट्रासफाॅमर्र लगे हैं। वहीं सर्वो स्टेप्लाइजर लगा है, जिससे लो लो-वोल्टेज की समस्या नहीं आएगी और प्लांट का निर्वाध रूप से बिजली मिलेगी और उसका संचालन सही से हो सकेगा। बिजली कट की समस्या से निपटने के लिए 320 केवीए डीजी जेनरेटर लगे हैं, ताकि बैकअप पावर लिया जा सके।फायर फाइटिंग एवं ईटीपी की व्यवस्था:राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साइट इंचार्ज प्रदीप लायक ने बताया कि आग आदि दुघर्टनाओं से निपटने के लिए पाइपलाइन के माध्यम से फायर फाइटिंग की व्यवस्था की जा रही है। वहीं इफ्लेट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) की व्यवस्था की गई है। दूध प्रोसेसिंग प्लांट से निकलने वाले अपशिष्ट या पाइपलाइन की प्रतिदिन सफाई के बाद निकले पानी को ईटीपी के माध्यम से शुद्ध किया जायेगा। इसके बाद इस शुद्ध पानी का इस्तेमाल गाडेर्निंग के लिए किये जाने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि प्लांट की शुरु होने से पलामू के लोगों को लाभ होगा। झारखंड में 7 हो जायेगी प्रोसेसिंग प्लांट की संख्या : एमडीझारखंड मिल्क फेडरेशन के एमडी सुधीर कुमार ने बताया कि पलामू में दूध प्रोसेसिंग प्लांट की शुरूआत से राज्य में प्रोसेसिंग प्लांट की संख्या 7 हो जायेगी। वतर्मान समय में चार प्लांट क्रियाशील हैं। इनमें पलामू प्रमंडल के लातेहार एवं राजधानी रांची सहित कोडरमा और देवघर शामिल हैं, जबकि पलामू में स्थापित प्लांट की ट्रायल अंतिम चरण में है। इसके अलावा देवघर के सारठ एवं साहिबगंज में भी मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किये गये हैं। राज्य में दूध की आवश्यकता की होगी पूर्ति: आयुक्तप्रमंडलीय आयुक्त जटा शंकर चौधरी ने कहा कि गौ पालन किसान की गतिविधि में शामिल है। किसान खेती भी करते हैं और विभिन्न प्रजाति के दुधारू पशुओं का पालन भी करते हैं। दुधारू पशुओं से किसान दूध का उत्पादन करते हैं। पलामू प्रमंडल क्षेत्र में कई किसान हैं, गौ-पालन करते हैं। उनके दूध का सही बिक्री हो और सही जगह पर जाए और नियमित रूप से मूल्य का भुगतान हो, दूध बिक्री की समस्या नहीं हो, इसके लिए निरंतर सकारात्मक प्रयास की जा रही है। पलामू में मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट में दूध का प्रोसेसिंग होने से यहां के किसानों को फायदा होगा। वर्तमान में यहां दूध संग्रहण केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। इनमें कई संग्रहण केंद्रों पर दूध की गुणवत्ता जांचने की व्यवस्था भी है। 200 से अधिक गांवों के किसान इन संग्रहण केंद्रों से जुड़े हैं। पलामू में मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की शुरुआत होने से यहां के किसानों को बहुत फायदा होगा। आने वाले समय में यहां के किसान खेती के साथ-साथ दुधारू पशुओं का पालन भी अधिक- से- अधिक संख्या में करेंगे। इससे दूध का उत्पादन होगा और राज्य में दूग्ध की आवश्यकता की पूर्ति होगी। आयुक्त ने पलामू के पशुपालक किसान भाइयों से अपील किया कि किसान गौ-पालन पर ध्यान दें। इससे उन्हें अतिरिक्त लाभ होगगा। इससे आर्थिक दशा में सुधार होगी और वे आगे बढ़ पाएंगे।

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