नारायण विश्वकर्मा
बड़गाई अंचल कार्यालय ने दक्षिणी छोटानागपुर आयुक्त कार्यालय को दूसरी बार भी मांगी गई रिपोर्ट का समुचित जवाब नहीं दिया. ऐसा लगता है कि भुईंहरी जमीन का भूत अंचल कार्यालय को डरा रहा है. शायद इसलिए आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी अधूरी रिपोर्ट पर अब अंचल कार्यालय के ऊपर दबाव न बनाकर ऊपर जाने की तैयारी में हैं. बड़गाई सीओ ने आयुक्त कार्यालय को 1 जून को तीसरी बार अपनी रिपोर्ट भेजी है. सूत्र से पता चला है कि मोरहाबादी मौजा की भुईंहरी जमीन पर खड़े अरबों के प्रतिष्ठानों पर हाथ डालना अकेले अंचल कार्यालय के बूते की बात नहीं है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव, रांची डीसी और नगर निगम के आयुक्त को इसमें शामिल करने के बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई संभव है. मुमकिन यह भी है कि सरकार इसके लिए एसआईटी गठित कर दे. क्योंकि पल्स अस्पताल के अलावा भुईंहरी जमीन पर निर्मित अन्य प्रतिष्ठानों पर भी सरकार की निगाह है. उधर, पल्स अस्पताल के एसेट के बारे में ईडी ने अभी तक सार्वजनिक रूप से कुछ भी खुलासा नहीं किया है.
एक बार फिर लॉ विस्टा अपार्टमेंट को चिन्हित किया
बता दें कि 11 मई को आयुक्त कार्यालय द्वारा बड़गाई अंचल कार्यालय से मांगे गए आधे-अधूरे प्रतिवेदन पर आयुक्त कार्यालय ने ऐतराज जताया था. बड़गाई सीओ द्वारा 25 मई को आयुक्त कार्यालय को भेजे गए प्रतिवेदन में सिर्फ ला विस्टा अपार्टमेंट को फोकस किया. इसके बाद कमिश्नर ऑफिस ने (पत्रांक 10-14/1529, 30 मई 2022) सोशल एक्टिविस्ट इंद्रदेव लाल से प्राप्त आवेदन के जांच प्रतिवेदन के क्रम में पूरक सूचनाएं उपलब्ध कराने का आदेश बड़गाई सीओ को दिया था. आयुक्त कार्यालय ने बड़गाई अंचल कार्यालय के जवाब के आलोक में (पत्रांक 465(ii) 25 मई 2022) फिर तीन बिंदुओं पर जवाब मांगा था. कमिश्नर ने अंचल कार्यालय को तीन दिनों के अंदर प्रतिवेदन उपलब्ध कराने को कहा था.
एक पखवारे के बाद भी अभिलेख का पता नहीं
रिपोर्ट तो तीन दिनों के अंदर भेज तो दी गई, पर पूछे गए पूरक प्रश्नों के जवाब को गोल कर दिया गया है. दूसरे प्रतिवेदन में अशोक कुमार जैन, अनिल कुमार जैन, विजय कुमार जैन, रमेश कुमार जैन और वरुण बक्सी (जमाबंदीदारों) को वर्ष 2018-19 तक की रसीद निर्गत करने, दाखिल-खारिज वाद संख्या और पंजी-ii की विवरणी भेजी गई है. विवरणी में खाता सं-160, 161 और 162 को भुईंहरी जमीन बताया गया है. इसमें जमाबंदीदारों के खतियान भी संलग्न किए गए हैं. बड़गाई सीओ के हस्ताक्षर से जारी पत्र के अंत में कहा गया है कि चूंकि 1 जनवरी 2016 को बड़गाई अंचल कार्यालय की स्थापना की गई है. इसलिए संबंधित अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. उक्त अभिलेख की मांग जिला अभिलेखागार, रांची से अंचल कार्यालय (पत्रांक 464 (ii), 25 मई) से मांग की गई है. यही कट पेस्ट 1 जून 2022 के जवाब में भी है. 15 दिन बीतने के बावजूद अभिलेखागार से अभिलेख मिलने की खबर नहीं है.
नोट: jharkhand weekly के website पर (13 और 31 मई 2022) के अंक में विस्तार से खबर दी गई है.
MLA बनने के बाद चमरा लिंडा ने भी साथ छोड़ा: कृष्णा मुंडा
इधर, भुईंहरदार परिवार सरकार से जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की लगातार मांग कर रहे हैं. भुईंहरदार परिवार का नेतृत्व कर रहे कृष्णा मुंडा का कहना है कि ये कितनी अजीब बात है कि भुईंहरी जमीन पर बसे पल्स अस्पताल को लेकर हुकूमत का पलड़ा अभी भी रसूखदारों की तरफ ही झुका हुआ है. इस मामले में आदिवासी विधायकों का रवैया तो और भी विचित्र है. उन्होंने कहा कि झामुमो विधायक चमरा लिंडा विधायक बनने से पूर्व भुईंहरी जमीन की जंग में हमलोगों का साथ दिया था. लेकिन विधायक बनने के बाद उसने फिर मुड़ कर नहीं देखा. ईडी प्रकरण में सबकुछ सामने आ जाने के बावजूद उसका कोई अता-पता नहीं है. उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार ने कभी इसपर ध्यान नहीं दिया. सीएम हेमंत सोरेन चाहते तो भुईंहरी जमीन पर पूजा सिंघल का पल्स अस्पताल कभी नहीं बनता. उन्होंने हेमंत सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनमें आदिवासी के प्रति थोड़ी भी हमर्ददी है, तो हमें हमारी जमीन वापस दिलाकर दिखाएं.
CO FIR दर्ज कर जमीन की मापी कराए: इंद्रदेव लाल
बड़गाई अंचल कार्यालय के रवैए को लेकर नाराजगी जताते हुए सोशल एक्टिविस्ट इंद्रदेव लाल ने कहा कि जब अंचल कार्यालय यह मान रहा है कि खाता सं-160, 161 और 162 भुईंहरी खाते की जमीन है, तो फिर तमाम लोगों की जमीन की मापी कर उनपर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कर रहा है? आखिर कौन उन्हें रोक रहा है? उन्होंने कहा कि कमिश्नर को भेजे गए दूसरे प्रतिवेदन में भी जैन बंधुओं के नाम 2018-19 तक की रसीद निर्गत करने, दाखिल-खारिज वाद संख्या और पंजी-ii की विवरणी भेजी गई है. कागजात के आधार पर अंचल कार्यालय कम से कम तमाम रसूखदारों को नोटिस तो जारी कर सकता है. क्या यह माना जाए कि जिला प्रशासन ने रसूखदारों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है? उन्होंने रांची नगर निगम की कार्यशैली पर भी उंगली उठाते हुए कहा कि पल्स अस्पताल की जमीन का फर्जी कागजात के आधार पर नक्शा पास कराया गया है. ईडी की जांच के क्रम में मीडिया के हवाले से नगर आयुक्त मुकेश कुमार के संज्ञान में भी यह मामला आ चुका है, इसके बावजूद अबतक वे नोटिस जारी करने का आदेश तक नहीं दे पाए हैं. उनका कहना है कि हेमंत सरकार को इस पूरे प्रकरण में अविलंब हस्तक्षेप करना चाहिए. क्योंकि अब इससे सरकार का इकबाल भी जुड़ गया है.
सरकार के एक्शन मोड का इंतजार
सूत्र बताते हैं कि भुईंहरी जमीन हड़प कर अरबों के प्रतिष्ठान खड़ा करनेवाले मालिकों की ऊपर तक पहुंच-पैरवी है. पल्स अस्पताल की भुईंहरी जमीन का एक सिरा दूसरे से भी जुड़ा हुआ है. पूजा सिंघल प्रकरण से सभी लोग परेशानी में पड़ गए हैं. अगर पल्स अस्पताल का मामला सामने नहीं आता, तो किसी की शामत नहीं आती. दरअसल भुईंहरी जमीन का मामला सरकार के गले की फांस बन गई है. वैसे सीएम हेमंत सोरेन ने कुछ दिन पूर्व कहा है कि सभी आदिवासी जमीन मामलों की जांच करायी जाएगी. इसकी शुरुआत बड़गाई अंचल के मोरहाबादी मौजा की जमीनों से जुड़े मामलों से की जा सकती है. क्योंकि बड़गाई अंचल द्वारा कमिश्नर ऑफिस को भेजी गई रिपोर्ट से यह तो स्पष्ट हो ही चुका है कि रसूखदारों ने भुईंहरी जमीनों को हड़प कर अपने प्रतिष्ठान आबाद किए हैं. अब देखना है कि इस पूरे प्रकरण में सरकार कब एक्शन मोड में आती है?