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Thursday, November 21, 2024
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ED ने छह माह के अंदर अबतक 6 को भेजा जेल, सातवां शिकार कहीं पिंटू तो नहीं…?, ED से झारखंड की ब्यूरोक्रेट्स बिरादरी भी हल्कान

नारायण विश्वकर्मा

रांची : झारखंड में छह माह से प्रवर्तन निदेशालय (ED) खनन घोटाले की जांच में लगा हुआ है. छह माह में अबतक 6 राजनीतिक रसूखवाले जेल जा चुके हैं. अब सातवें की बारी है. अमित अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद अब सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू पर ईडी का शिकंजा कस सकता है. कोलकाता के चर्चित कारोबारी अमित अग्रवाल पर ईडी की गाज गिरने के बाद सीएमओ के अंदर खलबली है. ईडी के अनुसार अमित अग्रवाल का झारखंड के करीब एक दर्जन ब्यूरोक्रेट्स से संपर्क था, तो फिर पिंटू इससे अछूता कैसे हो सकता है? पिंटू को लेकर सत्ता के गलियारे में यह सवाल गूंज रहा है. जुलाई माह में पिंटू का ईडी से सामना हो चुका है. तीन दिन की पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया था. झामुमो और सीएमओ के अंदर भी इसकी चर्चा है कि अमित अग्रवाल से पूछताछ शुरू होगी तो, ईडी के सामने पिंटू के कारनामों की कलई भी खुलेगी.

साहेबगंज के दो ही साहेब-पिंटू और पंकज

बता दें कि साहेबगंज में वैसे तो पत्थर माफियाओं का अखंड बिहार के जमाने से ही कब्जा रहा है. लेकिन 2015 से लेकर जून 2022 तक साहेबगंज, पाकुड़ और दुमका जिले में खनन घोटाले पर झारखंड की किसी भी सरकार ने इसपर अंकुश लगाने की कभी मुहिम नहीं चलाई. इस बीच 2020 से लेकर अबतक अवैध पत्थर उत्खनन और स्टोन चिप्स के धंधे में बेशुमार इजाफा हुआ है. कहीं कोई रोकटोक नहीं थी. दरअसल, साहिबगंज में टेंडर विवाद, अवैध खनन-परिवहन में मनी लांड्रिंग के तहत अनुसंधान के दौरान ईडी ने पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई की है। बताया जाता है कि हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार पिंटू सलाहकार की भूमिका में कम और घपले-घोटाले में अधिक रमा गया है. ट्रांसफर-पोस्टिंग भी बगैर उसकी मर्जी के नहीं होती है. साहेबगंज में मुख्य रूप से दो ही साहेब का हुकूम चलता है- पंकज मिश्रा और पिंटू. इन दोनों की रांची से लेकर साहेबगंज तक में चर्चा है. जेल में बंद हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार को फंसाने में अमित अग्रवाल तो सिर्फ एक मोहरा है. चाल तो ऊपर से चली गई है. कहते हैं राजीव कुमार को गहरी साजिश के तहत फंसाया गया है. शायद पैसे के लालच में वे आसानी से फंस भी गए. अमित अग्रवाल ईडी के सामने सबकुछ उगल सकता है. ईडी को सूचना मिली है कि पिंटू के इशारे पर ही पंकज मिश्रा संताल में अवैध खनन करवाते थे. कहा जाता है कि अवैध खनन और परिवहन पर पिंटू का ही नियंत्रण था.

पिंटू की मनमानी के कारण सीएम से मिलना आसान नहीं

ईडी के 5 हजार पन्ने की चार्जशीट में 2015 से लेकर रसूखदारों के अबतक के कारनामों का एक-एक कर खुलासा होता जा रहा है और सत्ता के दलालों पर शिकंजा कसता जा रहा है. ईडी की रिपोर्ट में पंकज-पिंटू की बातचीत की विवरणी भी ईडी के हाथ लग गई है. हेमंत सरकार में शामिल कांग्रेस के और झामुमो कोटे से बने मंत्री-अधिकारी, तमाम विधायक लेकर झामुमो के कार्यकर्ताओं तक को पिंटू के कारनामों के बारे में पता है. बताया जाता है कि संतालपरगना के एक जिले में शिबू सोरेन के साथ कभी बूलेट पर चलनेवाले उनके एक पुराने और अभिन्न मित्र, जो जेएमएम की केंद्रीय समिति के सदस्य भी हैं, ने साल भर पूर्व पिंटू से कहा था कि तुम्हारे कारनामों से हेमंत सोरेन पर आंच आ सकती है. तुम्हारी कारस्तानियों की चर्चा रांची भाया गुजरात और दिल्ली तक में है. तुम्हारे कारण ही हेमंत सरकार मुसीबत फंसने जा रही है. इसपर पिंटू ने गुरुजी के मित्र को झिड़कते हुए कहा था कि जिसको जो करना है करे, हमें इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़नेवाला है. कहते हैं कि झामुमो के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता हेमंत सोरेन से पिंटू की शिकायत करने का मन बनाया था, पर पिंटू उन्हें हेमंत सोरेन से मिलने ही नहीं देता है. इसकी चर्चा सीएमओ से लेकर जेएमएम परिवार तक में है.

ED की गाज पिंटू पर गिरी तो लपेटे में आएंगे कई दिग्गज

साहेबगंज में अवैध खनन मामले में ईडी का घेरा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों पर कसता जा रहा है। पंकज मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद हेमंत सोरेन के दूसरे सहयोगी पिंटू की घेराबंदी भी शुरू हो चुकी है। ईडी साहिबगंज के मिर्जा चौकी थाना क्षेत्र के पकड़िया मौजा में अभिषेक प्रसाद की कंपनी मेसर्स शिवशक्ति इंटरप्राइजेज का खनन पट्टे का मुआयना हो चुका है. उनके खनन लीज का पूरा क्षेत्र 1170 डिसमिल है। ईडी ने अपने विशेषज्ञ की मदद से पिंटू के खदान का एक-एक इंच मापा है। जाहिर है कि सत्ता शीर्ष की जानकारी में सबकुछ है, पर ये किसे अनुमान था कि साहेबगंज जैसे छोटे से शहर में ईडी अवैध पत्थरों के खनन और स्टोन चिप्स के कारोबार पर कभी अंकुश भी लगाएगा. लेकिन ईडी ने स्थानीय पुलिस-प्रशासन, जिला खनन पदाधिकारी और सत्ता के दलालों की तिकड़ी को नेस्तनाबूद कर दिया है. ईडी की अंतहीन कार्रवाई से तो हेमंत सरकार का सिंहासन भी अब डोलने लगा है.

क्या अमित अग्रवाल पर भारी पड़ेंगे रवि केजरीवाल…?

कहा जाता है कि जेएमएम में ट्रेजर रहे रवि केजरीवाल ने ही अमित अग्रवाल की इंट्री करवायी थी. कुछ दिन बाद अमित अग्रवाल ने चाटुकारिता के बल पर बहुत जल्द ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली. कहा जाता है कि करीब चार-पांच साल बाद अमित अग्रवाल ने ऐसा चक्रव्यूह रचा कि रवि केजरीवाल को भारी अपमानित कर पार्टी से चलता कर दिया गया. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार रवि केजरीवाल को लात-जूते से बुरी तरह पिटाई कर सीएम आवास से भगाया गया था. उनकी पिटाई के समय वहां मौजूद तकरीबन 7-8 लोग शामिल थे. इनमें पार्टी कुछ पदाधिकारी और वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. केजरीवाल से ईडी ने जब पूछताछ की तो उसने खुलासा करते हुए कहा कि हमारे सामने ही पंकज मिश्रा को काम से संबंधित मामले में डायरेक्शन देते थे. रवि केजरीवाल अब सरकारी गवाह बन चुके हैं. संभावना जतायी गई कि कोर्ट में बहस के दौरान रवि केजरीवाल ने अगर अपनी जुबान खोली तो, अमित अग्रवाल के अलावा पंकज मिश्रा, अभिषेक पिंटू, बच्चू यादव, प्रेम प्रकाश जैसे लोगों की गर्दन फंसेगी और इसकी आंच हर हाल में सीएमओ तक भी पहुंचेगी.  

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