रांची : हेमंत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम का वक्तव्य कि कुरमी को एसटी सूची में शामिल करने का प्रतिवेदन भेजा जायगा, तो वह वास्तव में आदिवासियों के लिए डेथ-वारंट साबित होगा। इसके लिए जेएमएम का सोरेन खानदान दोषी है। आदिवासी विरोधी सोरेन खानदान के इस खतरनाक षड्यंत्र के खिलाफ 1 जनवरी, 2023 को सेंगेल दुमका में फिर एक संथाल हूल (विद्रोह) का आगाज करेगा। आदिवासी सेंगेल अभियान राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने शनिवार को एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि पूरे देश के आदिवासी जुटेंगे, मशाल जुलूस निकालेंगे, सोरेन परिवार हटाओ आदिवासी बचाओ का शंखनाद के साथ जनसभा करेंगे। साहिबगंज में आदिवासी महिला की बर्बरतापूर्ण हत्या के खिलाफ भी आवाज बुलंद करेंगे। क्योंकि इसके पीछे भी सोरेन खानदान के वोट बैंक की राजनीति और धर्मांतरण की साजिश है।
सरकार की नियोजन नीति एक छलावा
श्री मुर्मू ने कहा कि वोट और नोट के लालच में सोरेन परिवार ने पूरे संतालपरगना को ईसाई मिशनरियों और मुसलमानों के हाथों सौंप दिया है। सोरेन परिवार ने हासा और भाषा विजय दिवस अब तक क्यों नहीं मनाया? संताली को झारखंड की प्रथम राजभाषा क्यों नहीं बनाया? सरना धर्म कोड के मामले पर टालमटोल का रवैया क्यों अपना रहे हैं? केवल लोभ-लालच और राजनीतिक स्टंटबाजी के लिए क्यों गलत स्थानीयता नीति और नियोजन नीति बनाकर शिक्षित बेरोजगार नवयुवकों को छलने का काम किया जा रहा है? इन सब बातों का जवाब मांगा जाएगा और विरोधस्वरूप हेमंत सरकार का पुतला दहन किया जाएगा।