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Thursday, September 19, 2024
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पारसनाथ पर अब सियासत शुरू, जैन समाज के पुरुषों में आक्रोश, महिलाओं की आंखों में आंसू

सम्मेदशिखर से कमलनयन: पारसनाथ क्षेत्र की पवित्रता को लेकर जैन समाज के आक्रोश के बीच पक्ष-विपक्ष में परस्पर सियासत शुरू हो गई है. पक्ष-विपक्ष दोनों एक-दूसरे को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं. हालांकि वोट बैंक की राजनीति के मद्देनजर शिखर जी पवित्रता बनाए रखने पर दोनों ओर से किसी भी तरह की पहलकदमी नहीं की गई है. सम्मेदशिखर जी को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के सरकारी प्रस्ताव के विरोध के कारण विश्व भर के जैन समुदाय उबले हुए हैं. अहिंसा परमो धर्म का पालन करनेवाले पारसनाथ तीर्थक्षेत्र पूरे देश में प्रस्ताव को वापस लेने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन और मौन जुलूस जैसे कार्यक्रम आयोजन किए जा रहे हैं. पर्यटन क्षेत्र घोषित कियेजाने संबंधी गजटीय अधिसूचना जारी होने के बाद जैन के पुरुष वर्गों में सरकार के प्रति गुस्सा है वहीं महिलाओं के आंसू छलक रहे हैं.  

सरकार के फैसले से हम सहमत नहीं: डॉ. रुचि

दरअसल, सम्मेदशिखर जैन समाज के लिए वैसा ही तीर्थक्षेत्र ऐसी सिद्धभूमि है, इसकी महत्ता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार एक हर जैनी शिखर जी वंदना कर अपना मनुष्य जीवन सार्थक मानता है. सम्मेदशिखर आनेवाला हर तीर्थयात्री पूरे मनोभाव से तीर्थंकरों का स्मरण कर उनके उपदेशों का पालन करता है. जैनियों का मानना है कि इस सिद्धक्षेत्र का कण-कण पवित्र है. अगर पर्यटन क्षेत्र घोषित हुआ तो इसकी पवित्रता पूरी तरह खंडित हो जाएगी. सरकारी अधिसूचना के बाद जैन समाज उद्वेलित है. पर्वत वंदना करने आयी महाराष्ट्र के औरंगाबाद की डॉ. रुचि विशाल पाटनी ने कहा कि अपने परिवार के साथ वह तीसरी बार सम्मेदशिखर आई है. यहां आकर उन्हें जो सुकून और आत्मिक शांति मिलती है, वह पर्यटन क्षेत्र बनने से नहीं मिलेगी. सरकार के फैसले से सहमत नहीं है. मध्यप्रदेश के सागर जिले से अभय जैन और उनकी बेटी अनुप्रेक्षा जैन ने कहा कि सरकार का यह फैसला बिल्कुल ही हमारे धर्म के खिलाफ है. हमारी सरकार से अपील है कि तीर्थराज जैसा पहले था वैसा ही रहने दिया जाए. धर्म मंगल जैन की विद्यापीठ की तारा बहन जी ने कहा कि सरकार का यह निर्णय अव्यावहारिक है और हम इसका समर्थन नहीं करते. उन्होंने यहां आनेवाले लोगों से आग्रह किया कि जो लोग यहां आते हैं वे धार्मिक यात्रा मान कर आएं, तभी इस क्षेत्र की पवित्रता बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि गिरिहीह जिला प्रशासन द्वारा इसकी पवित्रता को लेकर जो आदेश आया है उसका भी हमलोग प्रचार-प्रसार कर रहे हैं.

क्षेत्र की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रशासन कटिबद्ध: डीसी

जैन समाज के विरोध के इतर झारखंड सरकार के पर्यटन सचिव मनोज कुमार के निर्देश के आलोक में गिरिडीह जिला एवं पुलिस-प्रशासन ने पारसनाथ क्षेत्र में मांस-मदिरा के क्रय-विक्रय व उपभोग को लेकर काफी गंभीर है. पर्वत पर जानेवाले हर यात्री के बैग की जांच-पड़ताल के बाद ही जाने की अनुमति मिल रही है. इस बाबत गिरिडीह के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने कहा कि सरकार आदेश का अक्षरश: पालन किए जाने का निर्देश पुलिस-प्रशासन को दिया गया है, जिसकी मॉनिटरिंग की जा रही है. पूरे क्षेत्र में पुलिस गश्ती बढ़ाई गई है. क्षेत्र की पवित्रता बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं.

शिखर जी की पवित्रता बनाए रखना सरकार का दायित्व: मुनिश्री प्रमाण सागर

जैन समाज के संत शिरोमणि दिगंबर जैनाचार्य श्री108 विद्यासागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य अप्रितम साधक मुनि श्री108 प्रमाण सागर जी महाराज ने सरकारी प्रस्ताव की बाबत समस्त जैन समाज की भावनाओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि श्री सम्मेदशिखर जैन समाज की आत्मा है, जहां चौबीस में से बीस तीर्थंकरों सहित अनेक मुनियों ने मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त किया है. उन्होंने कहा कि इस सिद्धक्षेत्र की पवित्रता खंडित न हो इसका पालन करना और कराना शासन-प्रशासन का दायित्व है. सरकार को अपने फैसले पर गंभीरता से विचार करे एवं जैन समाज की आस्था को खंडित होने से बचाए. क्योंकि इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र बनाना जैन समाज की धार्मिक भावना के विपरीत है.   

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