रांची : राज्यपाल सचिवालय को सही जानकारी नहीं देनेवाले कुलपति अजित कुमार सिन्हा की योग्यता का प्रमाण पत्र जारी करने की मांग की गई है. छात्र नेता कांग्रेस छात्र संगठन एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम से दायर परिवाद पत्र एवं राज्य के राज्यपाल सचिवालय की गरिमा को बनाए रखने के मकसद से झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार को कुलपति के पद के लिए अयोग्यता के साक्ष्य दिए हैं। उपलब्ध साक्ष्यों पर अब तक कुलपति अजित कुमार सिन्हा द्वारा अपने पक्ष में कोई ठोस आधार जारी नहीं किया जाना, इस मामले को सम्वेदनशील बनाता हैI अजित सिन्हा पर छात्र नेता इंद्रजीत सिंह द्वारा किए गए खुलासे के संदर्भ में राज्यपाल सचिवालय के प्रधान सचिव से अनुरोध किया गया है कि यदि अजित सिन्हा सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश और झारखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 2000 के सेक्शन 10 में विहित प्रावधान का अनुपालन हुआ है, तो उससे संबंधित साक्ष्य छात्रों एवं विश्वविद्यालय हित में जारी किया जाए.
जाने क्या है मामला?
बता दें कि रांची विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों में कुलपति के रिक्त पद के लिए 23 फरवरी 2018 को विज्ञापन जारी किया गया था। अजित सिन्हा को साइंटिस्ट डी के रूप में सरकार की ओर से निर्धारित अधिकतम वेतनमान 15600-39100, पे बैंड ग्रेड पे- 8700 है। सेवानिवृत्ति के समय उनका स्वप्रमाणित अधिकतम वेतनमान लेवल 13 तक ही रहा। प्रोफेसर के लिए निर्धारित वेतनमान लेवल 14 का कार्यानुभव उनके पास नहीं है, जबकि कुलपति पद के लिए जारी विज्ञापन में ये निर्धारित है कि 10 वर्षों का प्रोफेसर या समतुल्य पद कार्यानुभव होना चाहिए है, जो अभिलेखों से स्पष्ट नहीं होता। साथ ही अजित कुमार सिन्हा सेंट्रल तसर रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर, रांची में लगभग दो वर्ष पांच महीने तक निदेशक पद पर रहे तथा वहां से 60 साल की उम्र में 31 अगस्त 2018 में सेवानिवृत्त हुए। निदेशक पद का अधिकतम वेतनमान भी प्रोफेसर के निर्धारित वेतनमान के बराबर नहीं होता हैI
सिन्हा व्याख्याता के लिए निर्धारित योग्यता नहीं रखते
आरोप है कि अजीत कुमार सिन्हा को रांची विश्वविद्यालय से 1981 में जूलॉजी में 50.5 प्रतिशत प्राप्तांक के साथ एमएससी किया. इससे यह स्पस्ट है कि व्याख्याता के पद की नियुक्ति के लिए भी निर्धारित योग्यता नहीं रखते हैं। ऐसे में उनकी कुलपति के रूप में की गई नियुक्ति में उनके द्वारा दिए गए प्रमाण पत्रों की न्यायिक जांच अत्यंत ही आवश्यक हैI साथ ही यदि अजित कुमार सिन्हा सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2019 में पारित आदेश के अनुसार नियुक्त किए गए हैं, तो इसकी जानकारी आम जनों के लिए जारी किया जाना चाहिए, ताकि राज्यपाल सचिवालय की गरिमा बनी रहेI