पंडित धीरेन्द्र शास्री के बहाने यह लड़की सुहानी शाह कल से मीडिया में छाई हुई है जो पंडित धीरेन्द्र शास्री से अधिक चमत्कार दिखा कर आन एयर देश को बता रही है कि उसके अंदर यह गुण चमत्कार और कृपा जैसा कुछ नहीं है बल्कि यह मात्र एक कला है जो वह 7 साल की उम्र से कर रही है।सुहानी शाह के यूट्यूब चैनल और इंस्टा पर ऐसे हज़ारों अंतर्यामी टाईप चमत्कार भरे पड़े हैं जो धीरेन्द्र शास्री अब कर रहे हैं। आजतक की अंधविश्वासी ऐंकर श्वेता सिंह का बैंड बजाकर कल सुहानी शाह एबीपी न्यूज पर 2 घंटे तक बाबा धीरेन्द्र शास्री का बैंड बजाती रहीं।सुहानी शाह ने इस कला का करीना कपूर से लेकर इंडियन आयडल तक के जजों तक के ऊपर प्रदर्शन किया है।ऐसे ही एक और सख्स हैं “करन सिंह” जिन्होंने विराट कोहली से लेकर अनुराग कश्यप तक के ऊपर अपनी इस कला का प्रदर्शन किया है।दरअसल कोई भी इसे कर सकता है , सीख सकता है , इस कला को मनोविज्ञान और ट्रिक के माध्यम से किया जाता है, जिसे करण सिंह “मनोविज्ञान अध्यात्मवादी” कहते हैं।इसी कला के सहारे “माईंड रीडिंग” किया जाता है जबकि ट्रिक के सहारे किसी के दिमाग में वही सोचने के लिए मजबूर किया जाता है और मनोविज्ञान से उसके चेहरे और हाव भाव से उसके मस्तिष्क को पढ़ कर अंतर्यामी बनने का दावा किया जाता है।यदि आप इस कला विद्या पर 10-15 साल काम करें तो आप भी इसमें सिद्धहस्त हो सकते हैं, किसी के मोबाइल या क्रेडिट डेबिट कार्ड का पासवर्ड बता सकते हैं, किसी के दिमाग में क्या चल रहा है पढ़ सकते हैं।दरअसल जब जादू या चमत्कार देखने के माहौल और उम्मीद में आप रहते हैं तो अपना दिमाग सामने वाले के हवाले कर देते हैं , बाकी का काम उसके द्वारा किए जा रहे ट्रिक का होता है जिस पर आपका ध्यान भी नहीं जाता क्योंकि आप चमत्कार की आस में हैं और रोमांचित हैं।वैज्ञानिक अर्थों में यह मनोविज्ञान , ट्रिक और इसके साथ किए लगातार अभ्यास के कारण मिले अनुभव से कोई भी इस कला में सिद्धहस्त हो सकता है। कोई इसे दिव्यज्ञान कह कर भक्तों की धार्मिक भावनाओं का दोहन करते हुए भगवान बन जाता है तो कोई सुहानी शाह और करण सिंह की तरह इसे सिर्फ मनोरंजन तक सीमित कर लेता है।
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