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Friday, September 20, 2024
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ED का पूजा सिंघल के एसेट पर कब्जा: पर,सबसे बड़ा सवाल…भुईंहरी परिवार के साथ इंसाफ कौन करेगा? आखिर ननसेलेबुल जमीन का नक्शा कैसे पास हुआ? बैंक से लोन कैसे मिला?

नारायण विश्वकर्मा

रांची : निलंबित आईएएस पूजा सिंघल के हाथ से अब पूरी तरह से पल्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल निकल गया है. एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी (एए) ने पूजा सिंघल के पल्स हॉस्पिटल और डायग्नोस्टिक सेंटर की जब्ती को सही ठहराया दिया है. ईडी ने पूजा सिंघल के पल्स अस्पताल सहित 82.77 करोड़ की चार संपत्ति एक दिसंबर 2022 को जब्त कर ली थी. मौजूदा स्थिति में अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर लगभग छह महीने तक सामान्य रूप से चल सकते हैं.  पूजा सिंघल के एसेट पर ईडी का कब्जा तो हो गया. पर भुईंहरी जमीन (ननसेलेबुल) पर खड़ा पल्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का फैसला कब और कौन करेगा? भुईंहरी परिवार को इंसाफ दिलाने की जद्दोजहद करनेवाले आरटीआई एक्टिविस्ट इंद्रदेव लाल ने छह माह के अंदर ईडी से भुईंहरी परिवार के साथ इंसाफ की गुहार लगाई है.

तीन साल बाद भी सीएम की जांच रिपोर्ट पर अबतक कार्रवाई क्यों नहीं?

आरटीआई एक्टिविस्ट इंद्रदेव लाल ने हेमंत सरकार पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि सीएम हेमंत सोरेन ने स्वयं एक ट्वीट के जरिए 13 फरवरी 2020 को पल्स सुपर स्पेशिलिएटी अस्पताल की भुईंहरी जमीन की जांच का आदेश रांची के डीसी को दिया था. तीन साल बीतने के बावजूद जांच रिपोर्ट पर आखिर अबतक क्यों नहीं निर्णय लिया गया? श्री लाल ने कहा कि दस माह पूर्व कमिश्नर को भेजे गए जवाब में बड़गाई अंचल ने यह स्पष्ट कर दिया था कि पल्स सुपर स्पेशिलिएटी अस्पताल की जमीन भुईंहरी नेचर की है. इसके बावजूद हेमंत सरकार ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया? भुईंहरी जमीन पर पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा को एचडीएफसी बैंक से लोन कैसे मिल गया? नगर निगम ने ननसेलेबुल जमीन का नक्शा कैसे पास कर दिया? हालांकि ईडी ने करीब दस माह पूर्व नगर निगम के अधिकारियों से इस मामले में पूछताछ की थी. पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद पल्स अस्पताल निर्माण को लेकर ईडी ने जब दस्तावेज खंगालना शुरू किया, तब जुलाई माह में रांची के तत्कालीन डीसी छविरंजन ने उस जांच रिपोर्ट की छानबीन शुरू की. करीब एक माह में काफी नाटकीय ढंग से जांच रिपोर्ट मिलने की बात स्वीकारी गई. फिर यह कौन बताएगा कि जांच रिपोर्ट की फाइल आखिर कहां है?

भाजपा को हेमंत सरकार पर सवाल उठाने से परहेज क्यों?

यहां यह बताना जरूरी है कि सीएम द्वारा भुईंहरी जमीन की जांच का आदेश जारी करने के कुछ दिनों बाद पूजा सिंघल की सीएमओ में इंट्री हो गई थी और खनन विभाग उनके हवाले कर दिया गया था. यानी पूजा सिंघल का जो रसूख रघुवर सरकार में था, वही रसूख हेमंत सरकार में कायम हो गया. दूसरी तरफ विपक्ष ने जांच रिपोर्ट के बारे में कभी सरकार से सवाल ही नहीं किया. कुछ माह पूर्व निर्दलीय विधायक सरयू राय ने हेमंत सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि इस अस्पताल का नाम बदलकर प्रवर्तन अस्पताल कर देना चाहिए. उन्होंने इसे रिम्स के साथ अटैच कर देने का भी सुझाव दिया था. अब जबकि पूजा सिंघल के एसेट पर एक तरह से केंद्र सरकार का स्वामित्व स्थापित हो गया है. फिर भाजपा हेमंत सरकार से सवाल करने से क्यों परहेज कर रही है?

अगर हमें इंसाफ नहीं मिला, तो ईडी की कार्रवाई अधूरी मानी जाएगी: कृष्णा मुंडा

उधर, भुईंहरी परिवार के वंशज कृष्णा मुंडा ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि ईडी को हमारी जमीन दिलाने की पेशकश करनी चाहिए. अगर जमीन वापसी नहीं हुई तो कम से कम हेमंत सरकार मुआवजा दिलाने की पहल तो करे. आखिर आदिवासी सीएम के रहते हमारे परिवार के साथ इंसाफ नहीं किया गया तो फिर आदिवासी समाज कैसे भला होगा? उसने कहा कि जल-जंगल और जमीन बचाने का ढोंग कर आदिवासी सीएम हेमंत सोरेन ने इधर जांच का आदेश दिया, उधर पूजा सिंघल को अपने बगल में बिठा लिया. रघुवर राज में भुईंहरी जमीन पर अस्पताल की नींव पड़ी और हेमंत राज में अस्पताल तैयार हुआ. ईडी को भले पूजा सिंघल के एसेट पर अधिकार मिल गया आदिवासी समुदाय अपनी फरियाद लेकर कहां जाए? इसलिए अब ईडी ही हमारे साथ इंसाफ करे. अगर हमें इंसाफ नहीं मिला, तो ईडी की पूरी कार्रवाई को अधूरा माना जाएगा.

ED राजस्व विभाग में पड़ी लंबित फाइल को खंगाले

उल्लेखनीय है कि इंद्रदेव लाल के आवेदन पर दक्षिणी छोटानागपुर के कमिश्नर रहे नितिन मदन कुलकर्णी ने कार्रवाई करते हुए बड़गाई सीओ से सवाल-जवाब किया था. अंचल कार्यालय ने कमिश्नर को भेजे गए जवाब में यह माना कि पल्स अस्पताल की जमीन भुईंहरी नेचर की है. इसके बाद कमिश्नर ने पूरी जांच रिपोर्ट राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को भेज दिया है. दस माह बाद भी सरकारी स्तर पर सीओ की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. श्री लाल ने कहा कि ईडी अगर पल्स अस्पताल से जुड़े सभी दस्तावेज की सूक्ष्मता से जांच करे तो कई ब्यूरोक्रेट्स इसकी जद में आएंगे. वहीं रांची नगर निगम के आयुक्त से यह पूछा जाना चाहिए कि आखिर नक्शा कैसे पास हो गया और बैंक ने बगैर जांच-पड़ताल किए बिना कैसे लोन पास कर दिया? कैसे बड़गाई अंचल कार्यालय से म्यूटेशन हुआ? किसने  इस जमीन का डमी मालिक बनकर अभिषेक झा को भुईंहरी जमीन को बेच दिया? उन्होंने कहा कि ईडी चाहे तो राजस्व विभाग में लंबित पड़ी फाइल की जांच कर सत्य के करीब आराम से पहुंच सकता है.

बंधु तिर्की भुईंहर परिवार की ओर से ईडी को आवेदन दें…! 

श्री लाल ने आदिवासियों के कथित हितैषी बंधु तिर्की पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने जमीन घोटाले को लेकर सीएम से एक उच्चस्तरीय आयोग के गठन मांग की है. विशेष कर उन्होंने पिछले 20 साल से हुए सभी जमीन फर्जीवाड़े की गहराई से जांच करवाने की सीएम से अपील की है. उन्होंने खुद आगे बढ़कर कहा है कि ईडी द्वारा झारखंड के कई जमीन घोटालों और संदेहास्पद ज़मीन सौदों की हो रही जांच का स्वागत किया है, तो वही क्यों नहीं ईडी को आवेदन देकर भुईंहरी जमीन के वंशजों को न्याय दिलाने की पहल करें, तब माना जाएगा कि वो आदिवासी समुदाय के सच्चे हितैषी हैं.

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