झारखण्ड राज्य में दर्शनशास्त्र विषय में अकादमिक गतिविधियों को गति देने के उद्देश्य से क़रीब बीस वर्षों से निष्क्रिय पड़े झारखण्ड दर्शन परिषद के पुनर्गठन हेतु आवश्यक आम बैठक डॉ. अजय कुमार सिंह, सह-प्राध्यापक, दर्शनशास्त्र विभाग के नेतृत्व में आज दर्शनशास्त्र विभाग में सम्पन्न हुई। बैठक में ऑनलाइन तथा ऑफलाइन रूप से पूरे झारखण्ड राज्य से 50 से अधिक विद्वान सम्मिलित हुए। सभी वक्ताओं ने इस प्रयास की सराहना की तथा इसे समर्थन दिया।
इस बैठक को मुख्य रूप से सिद्धो कान्हू मुर्मू विश्विद्यालय से प्रोफेसर डॉ. आर. के. एस चौधरी, विनोबा भावे विश्वविद्यालय से डॉ. राज कुमार चौबे, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय से डॉ. आभा झा, रांची विश्वविद्यालय से डॉ. प्रदीप कुमार सिन्हा , डॉ. गीता सिंह इत्यादि ने संबोधित किया इस बैठक में झारखण्ड दर्शन परिषद के पुनर्गठन हेतु विभिन्न पदाधिकारियों का नाम प्रस्तावित किया गया। अध्यक्ष पद हेतु डॉ. अजय कुमार सिंह का नाम प्रस्तावित किया गया, कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में डॉ. आर. के. एस चौधरी तथा डॉ. पंकज कुमार का नाम प्रस्तावित किया गया। वहीं उपाध्यक्ष के रूप में डॉ. पुष्पा सिंह , डॉ. आभा झा, डॉ. राजकुमार चौबे, डॉ. दीपांजय श्रीवास्तव, डॉ. अजीत कुमार बरनवाल, डॉ. इन्द्रजीत प्रसाद सिंह तथा डॉ. विभेश चौबे का नाम प्रस्तावित किया गया। सचिव पद हेतु डॉ. सविता मिश्रा का नाम प्रस्तावित किया गया।
संयुक्त सचिव के पद पर डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, डॉ. गीता सिंह, डॉ. प्रदीप कुमार गुप्ता, डॉ. अनवर अली, डॉ. शशि शेखर, तथा डॉ. ऐ. के. सिंह का नाम प्रस्तावित किया गया। प्रवक्ता के रूप में डॉ. हेमेंद्र कुमार भगत का नाम प्रस्तावित किया गया वहीं कोषाध्यक्ष के रूप में डॉ. अशोक कुमार सिंह का नाम प्रस्तावित किया गया। संरक्षक के रूप में प्रो. सरस्वती मिश्रा, डॉ. राज कुमारी सिन्हा, प्रो. देबाशीष गुहा, डॉ. सुशिल अंकन, डॉ. प्रदीप कुमार सिन्हा, डॉ. एन . के अम्बष्ट, डॉ. मीरा देवी वर्मा, डॉ. राज राजेश्वरी वर्मा का नाम प्रस्तावित किया गया। उक्त बैठक में कार्यकारिणी सदस्य के रूप में में डॉ. आरती मोदक, डॉ. निवेदिता , डॉ. ताप्ती चक्रवर्ती, डॉ. सोनी सिंह, डॉ. सोनी परवीन, डॉ. भावना, प्रिया, डॉ. बिनीता कच्छप, डॉ. पास्कल बेक, डॉ. प्रीति कुमारी, श्री अरुण कुमार दस, डॉ. ललिता भगत प्रस्तावित किया गया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विभाग के सभी शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों तथा शोधार्थियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
News – Vijay Choudhary