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Saturday, November 23, 2024
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खलारी: प्रखंड कार्यालय बना कमीशनखोरी का अड्डा, पंचायतों में कुछ चुनिंदा को पहुंचाया जा रहा है विशेष लाभ

खलारी, 11 जून : सरकार द्वारा चलाए जाने वाले किसी भी योजना का अर्थ है, उस योजना का लाभ लाभुकों को मिले। साथ ही उस योजना के माध्यम से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का सृजन हो, ताकि धरातल पर अंतिम व्यक्ति तक उस योजना का लाभ पहुंचे। परंतु रांची जिले के खलारी प्रखंड में उलटी गंगा बह रही है। यहां योजनाओं का लाभ लाभुकों एवं स्थानीय बेरोजगारों को न मिलकर प्रखंड के बाबूओं और उनके नजदीकी व सगे संबंधी ही उठा पा रहे हैं या यूं कहा जाए कि यहां के बाबू ने सरकारी योजना पर अपना सिक्का जमा रखा हैं। अगर कोई मेठ या काम करने वाला इच्छुक व्यक्ति यहां रोजगार के लिए काम करना चाहे तो उसे सबसे पहले भारी-भरकम चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है, उसके बाद भी कोई गारंटी नहीं होती कि उसे काम मिल ही जाएगा। क्योंकि बाबूओं के एक ही चुनिंदा काम करने वाले मेठ और व्यक्ति हैं जिन पर इनकी विशेष कृपा दृष्टि बनी होती है और हो भी क्यों नहीं क्योंकि उस मेठ से पूरी तरह से उनका सांठगांठ होता है। हर कार्य के लिए संबंधित अधिकारियों का फिक्स कमीशन तय होता है तथा घपला कर सरकारी पैसे का बंदरबांट कैसे कर लेना है सारा सिस्टम पहले से बना होता है। इस वजह से नए व्यक्ति, संवेदक या मेठ को इंट्री ही नहीं मिल पाती। अगर कोई नया मेठ काम करना चाहे तो प्रखंड कार्यालय में मौजूद अधिकारी उसे दौड़ा-दौड़ा कर परेशान करते है। और अंत मे पेपर में त्रुटि बताकर उसे काम देने से इंकार कर दिया जाता है ताकि उनके चहेतों को लाभ पहुंचाया जा सके और अपना तय कमीशन समेटा जा सके। प्रखंड क्षेत्र के लपरा, हेसालोंग, नावाडीह एवं मायापुर पंचायत में अपने चहेते हो काम देने का कार्य जोर शोर से किया जा रहा है। इस कार्य में ब्लॉक के रोजगार सेवक एवं जेई बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं अपने चहेतो को गैरमजरूआ जमीन पर बागवानी एवं बिना सर्वे, जिओ टैग के सिंचाई कूप के साथ अन्य योजनाओं का कार्य देने में उन्हें कोई एतराज नहीं है परंतु कोई जरूरतमंद और सही हकदार को देना इन्हें मंजूर नहीं है। जबरजस्ती उसमें खामी निकाल कर रिजेक्ट कर देना इनकी आदत बन गई है। जानकार बताते हैं की उक्त पंचायतों में कुछ गिने चुने मेठ है जिनकी बाबुओं के साथ साठ गांठ, घनिष्ठता व नजदीक है। उनके अलावा और किसी को काम नहीं दिया जाता, ताकि इनका गोरखधंधा ऐसे ही चलता रहे। सरकार के योजनाओं का पैसा हड़पकर ये मामूली लोग आज करोड़पति बन गए हैं या यूं कहें करोड़ों के मालिक बन गए हैं अगर इसकी सही से जांच करवाई जाए तो सारा असलियत सामने आ जाएगा।

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