गिरिडीह: शहर के एक स्थानीय होटल में शांति, न्याय एवं सद्भावना विषय एक्शन एड पटना द्वारा एक कार्यशाला आयोजित की गयी। उपस्थित सभी प्रतिभागियों को संविधान के मौलिक अधिकार, प्रस्तावना तथा सांप्रदायिक सौहार्द के दस्तावेज वितरित किए गए। इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता रामदेव ने इस कार्यशाला का उद्देश्य एवं लक्ष्य बताया। श्री विश्वबंधु ने कहा कि भारत एक प्राचीन सभ्यता व संस्कृति का देश है। विविधता इसकी पहचान है। किसी खास धर्म व जाति का वर्चस्व स्वीकार नहीं है। हिंदू-मुस्लिम सभी कई सदियों से मिलकर रहते आए हैं। विविधता विकास की ओर जाता है, एकरुपता विनाश की ओर जाता है। हमें सामाजिक, धार्मिक विविधता को स्वीकार करना चाहिए।
मणिपुर हिंसा, डबल इंजन सरकारों पर सवाल निशान है : कवि प्रदीप गुप्ता
रंगकर्मी और कवि प्रदीप गुप्ता ने सांप्रदायिक सद्भाव के लिए कविता पाठ किया। उन्होंने मणिपुर की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें देश को नहीं, सत्ता संचालकों को शर्म आनी चाहिए. दरअसल, डबल इंजनवाली सरकारों का ढिंढोरा पीटनेवाली मोदी सरकार पर सवालिया निशान है. संजू देवी ने मजदूरों के संघर्ष से जुड़े गीत सुनाया। श्रमिक संघ के नेता अमित यादव ने मौलिक अधिकार पर चर्चा की। जिप सदस्य अनवर अंसारी ने सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की वकालत की। अधिवक्ता प्रदीप कुमार पाण्डे ने कहा कि 2014 के बाद से देश की हालत बिगड़ गई है। 80 प्रतिशत हिंदू होने के बावजूद हिंदू खतरे में कैसे है, इसका सटीक जवाब नहीं मिलता। अधिवक्ता सुशील दास ने सामाजिक समता, शिक्षा और मौलिक अधिकार पर चर्चा की. सीपीआई से जुड़े श्रमिक संघ के नेता देव शंकर मिश्र ने विस्तार से बताया कि किस तरह उत्तर पूर्व भारत को केंद्र सरकार तबाह कर रही है। मणिपुर में डबल इंजन की सरकार है, फिर भी हालत नहीं सुधर रहा है। रीतलाल वर्मा ने कहा कि सभी को अपने-अपने घरों में संविधान की पुस्तक रखनी चाहिए और पढ़नी चाहिए।
बैठक में ये लोग थे शामिल
मुख्य वक्ता कर्मचारी संघ के नेता शंकर पांडेय ने बताया कि लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करना चाहिए। समाज में आज भी जाति एक सच्चाई है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। वोट की राजनीति के लिए इसका बदस्तूर इस्तेमाल जारी है और आगे भी रहेगा, यह भी कड़वी हकीकत है. इस अवसर पर, शांति मुर्मू, बबिता वर्मा, कंचन मुंडा, मो. रज्जाक अंसारी, अब्दुल मियां, हसीना खातून, सजदा खातून, मो. नसीर अंसारी, राजेश वर्मा आदि कई लोगों ने अपने विचार रखे।