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Thursday, September 19, 2024
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जवान अजय राय का शव कल उनके गांव पहुंचेगा, जिला प्रशासन तैयारी में जुटा, माता-पिता ने रुंधे गले से कहा-बेटे पर हमें गर्व है

गिरिडीह: (कमलनयन) गिरिडीह : जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ के पुलवामा के अवंतीपुरा में शनिवार अहले  सुबह आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में गिरिडीह (झारखंड) का एक जवान अजय कुमार राय (28) शहीद हो गया। शहीद जवान जिले के देवरी थाना इलाके के ढेंगाडीह का रहनेवाले है। अजय कुमार राय फिलहाल गिरिडीह के सिरसिया के पटेलनगर में अपने परिवार के साथ किराए के मकान में रह रहा था। देवरी प्रखण्ड के लाल की शहादत की खबर के बाद शनिवार को शहीद के घर में सियासी दलों, सामाजिक संगठनों, सरकारी अफ़सरों का आने-जाने का क्रम देर शाम तक जारी रहा। रुंधे गले से पुत्र की शहादत पर पिता राजेन्द्र राय और मां स्वाति देवी को बेहद गर्व है. शहीद की शवयात्रा के लिए स्थानीय प्रशासन उनके घर ढेंगाडीह से श्मशान घाट तक के रास्ते की साफ-सफाई करा रहा है. उनकी शवयात्रा में शामिल होने के लिए गणमान्य के लिए उचित प्रबंध किया जा रहा है. खबर है कि जिला प्रशासन शहीद की अगुवानी की तैयारी में लगा हुआ है. 13 अगस्त को किसी भी समय शहीद का पार्थिव शरीर गिरिडीह पहुंच जाएगा.

 राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

बताया गया कि शहीद अजय का पार्थिव शरीर आने के पश्चात अंतिम संस्कार ढेंगाडीह (देवरी) में राजकीय सम्मान के साथ होगा। इसके लिए स्थानीय प्रशासन तैयारी जुट गया है. शहीद जवान अजय कुमार राय की 2017 में सीआरपीएफ में पोस्टिंग हुई थी और हाल ही में उनकी ड्यूटी अमरनाथ में लगाई गई थी। दिन के 12 बजे से शाम 3 बजे तक वे ड्यूटी पर मुस्तैद थे। इसी दौरान अचानक अहले सुबह आतंकवादियों की गोलीबारी में अजय कुमार राय शहीद हो गए। तीन भाई बहनों वाले शहीद जवान की पत्नी कल्पना कुमारी के दो पुत्र हैं। दरअसल जब एक नौजवान देश की रक्षा के लिए सरहद पर जाने को तैयार होता है तो, केवल एक परिवार ही तैयार नहीं होता हैं. तैयार होते हैं बूढ़े माता-पिता के वे सपने जो जन्म के साथ देखे जाते हैं. पत्नी की चूड़ियां, मंगलसूत्र, भाई-बहनों की हसरतें सब एक पल बिखर जाता है. देश का जब एक जवान शहीद होता है तो केवल एक परिवार ही नहीं रोता, बल्कि पूरा देश रोता है। हर वह इंसान रोता है जो शहादत के मायने समझ सकता है. तिरंगे में लिपटे जवान को जब एक मां आखिरी बार अपने सीने से लगाती हैं और पिता अपने जिगर के टुकड़े को तिरंगे में लिपटा देखते है तो सलाम की मुद्रा में देश की करोड़ों आंखें नम हो जाती है. नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी जाती है. शहीद के गांव में अभी चारों तरफ सन्नाटा बिखरा हुआ है. मौत की खबर मिलते ही शहीद जवान के घर लोगों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई है. देर रात लोगों का आना-जाना जारी रहा.   

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