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Sunday, November 24, 2024
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शहीद विश्वनाथ शाहदेव के उत्तराधिकारी प्रवीर नाथ शाहदेव ने परेशान होकर कर दी बड़ी घोषणा…अपनी सारी अचल संपत्ति स्वतंत्रता सेनानियों व शहीद सैनिकों के परिजनों लिए किया दान, सब कुछ सरकार पर छोड़ा

शपथनामे में कहा- यह घोषणा खुशी से नहीं बल्कि, आए दिन धमकी से परेशान होकर की.

श्री शाहदेव ने राज्यपाल व सीएम हेमंत सोरेन को पत्र के साथ शपथ पत्र भी भेजा

शाहदेव परिवार (गोतिया) का नहीं मिला साथ, मानसिक परेशानी से तनाव में रहते थे 

रांची : एक पुरानी कहावत है…घर फूटे गंवार लूटे. अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव और जगन्नाथपुर मंदिर के संस्थापक ठाकुर ऐनी नाथ शाहदेव के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी और झारखंड सेनानी कोष संचालन समिति व गृह मंत्रालय, झारखंड  सदस्य लाल प्रवीर नाथ शाहदेव ने अपने गोतिया-बिरादरी और कुछ असामाजिक तत्वों  से परेशान होकर एक बड़ी घोषणा कर दी है. श्री शाहदेव ने अपनी जान को खतरे का हवाला देते हुए अपनी सारी अचल संपत्ति दान में देने की घोषणा कर दी है. 12 सितंबर को जारी घोषणा में उन्होंने कहा है कि उनकी सारी अचल संपत्ति उनकी पत्नी सुनीता शाहदेव एवं बेटी महिमा शाहदेव के नावल्द मृत्यु हो जाने पर इस संपत्ति से प्राप्त राशि का खर्च शहीद व स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों, शहीद सिपाहियों एवं शहीद सैनिक के वंशजों पर सरकार खर्च कर सकेगी. लेकिन उन्होंने शपथनामे में यह भी जोड़ा है कि यह घोषणा वह प्रसन्नता से नहीं बल्कि, आए दिन धमकी से परेशान होकर की है. उन्होंने उन्होंने घोषणा पत्र और शपथ पत्र झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भेजा है. उनसे आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.

रांची डीसी की मौजूदगी में 75 लाख सालाना में नीलामी पर चढ़ा दिया गया

लाल प्रवीर नाथ शाहदेव ने Jharkhand weekly से बातचीत में बताया कि शाहदेव परिवार, जगन्नाथ मंदिर और मेला संचालन समिति मनमानी से क्षुब्ध होकर ऐसा निर्णय लेने पर मजबूर होना पड़ा है. उनका आरोप है कि जिला प्रशासन ने कभी उनका साथ नहीं दिया. यहां तक कि रांची डीसी की मौजूदगी में मेला संचालन समिति ने 75 लाख रुपए सालाना में डाक बुलाकर नीलामी पर चढ़ा दिया. अब रांची डीसी न्यास बोर्ड का गठन करने की कवायद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके भतीजे सुधांशु नाथ शाहदेव व गोतिया अन्य लोगों ने असामाजिक तत्वों से मिलकर आए दिन हमें परेशान करते थे. या धमकाते थे. इससे आजिज आकर हमने यह कदम उठाया है.

उन्होंने कहा कि मेला परिसर और जगन्नाथ मंदिर के आसपास की जमीन को लेकर भी विवाद चला आ रहा था. इसके जिला प्रशासन से लेकर झारखंड हाईकोर्ट तक की शरण में गए, लेकिन कहीं इंसाफ नहीं मिला. इधर, घर-परिवार को मिल रही कई तरह की धमकियों से मेरी मानसिक स्थिति बिगड़ रही थी. तनावपूर्ण माहौल से परिवार को निकालने के लिए मैने यह तरकीब निकाली है. अब सरकार की जो मर्जी है, मुझे कुछ नहीं कहना. ऐसा करने से मेरे मन का बोझ हलका हो गया है.

‘स्थानीय पुलिस प्रशासन या सरकार से कभी कोई सहयोग नहीं मिला’

उन्होंने कहा कि जगन्नाथपुर थाने का भी कभी सहयोग नहीं मिला. हालात इतने खराब हो चुके थे कि वे जगन्नाथपुर मंदिर पूजा-अर्चना के लिए ठीक से नहीं जा पाते हैं. वे अपने घर और यहां तक कि अपने बाथरूम में भी सीसीटीवी कैमरा लगा चुके हैं.

(लॉकडाउन के समय रथयात्रा के दौरान पूजा-अर्चना में लीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के पीछे बैठे हैं प्रवीर नाथ शाहदेव)

शाहदेव ने बताया कि आये दिन असामाजिक तत्वों द्वारा एवं कुछ शाहदेव परिवार के सदस्यों द्वारा जगन्नाथपुर मंदिर, बड़कागढ़ इस्टेट की जमींदारी और शहीद परिजनों की वंशावली के संदर्भ में जान का खतरा बना रहता है. इसको लेकर बराबर प्रशासनिक पदाधिकारियों एवं पुलिस पदाधिकारियों को आवेदन देकर अवगत कराया जाता रहा है. इसके बाद भी पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी. अंत में हमने दुखी मन से यह निर्णय लिया कि ऐसा न हो कि उनकी यह अचल संपत्ति ही उनके एवं उनके परिवार के लिए परेशानी का सबब बना हुआ था और जानमाल का भी खतरा बना हुआ है. इसलिए अंतत: काफी सोच-विचार कर अपने परिवार से सलाह-मशविरे के बाद ऐसा निर्णय लेना पड़ा.

 

 

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