आईसेक्ट विश्वविद्यालय हजारीबाग के तरबा-खरबा स्थित मुख्य कैंपस सभागार में शुक्रवार को ड्रोन टेक्नोलॉजी इन एग्रीकल्चर विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि डीडीएम नाबार्ड प्रेम प्रकाश सिंह, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक, कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद, कृषि विभाग डीन डॉ अरविंद कुमार, कृषि एवं ड्रोन तकनीकी विशेषज्ञ रौशन कुमार, ऋतुराज, धीरज कुमार, विनित प्रकाश समेत अन्य के हाथों दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस मौके पर मंचासीन अतिथियों को कृषि विभाग की ओर से शॉल ओढ़ाकर एवं मोमेंटो व पौधा भेंटकर सम्मानित किया गया।
बता दें कि इस कार्यक्रम में ग्रेटर नोएडा, पश्चिम बंगाल, रांची, रामगढ़, गिरिडीह, चतरा, कोडरमा, हजारीबाग सहित अन्य जगहों से 160 से अधिक एग्रीकल्चर, आईटी समेत अन्य विभाग के विद्यार्थियों, शोधार्थियों व प्रगतिशील किसानों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल अतिथियों एवं प्रशिक्षुओं का स्वागत करते हुए डॉ अरविंद कुमार ने तीन दिनों तक चलने वाले इस पूरे कार्यक्रम की जानकारी दी।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद ने बड़ी तादाद में इस कार्यशाला में शरीक विद्यार्थियों व किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि दरअसल ऐसे कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि के नए तकनीकों को आम लोगों तक पहुंचाना है ताकि आधुनिक तकनीक का कृषि के क्षेत्र में उपयोग आसान बन सके। उन्होंने बताया कि कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों व किसानों को ड्रोन के उपयोग और आवश्यकता आधारित इनपुट एप्लिकेशन का उपयोग करना बताया जाएगा। वहीं मुख्य अतिथि डीडीएम नाबार्ड प्रेम प्रकाश सिंह ने कहा कि कृषि के विकास के मद्देनजर ऐसे कार्यशाला व प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना आईसेक्ट विश्वविद्यालय का सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि क्षेत्र में उन्नत तकनीक ना सिर्फ पैदावार बढ़ाएगी बल्कि आर्थिक रूप से संपन्नता की ओर भी हम तेजी से बढ़ेंगे। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक ने कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की संभावना जताते हुए इस ड्रोन टेक्नोलॉजी को देश की रीढ़ कही जाने वाली कृषि क्षेत्र के लिए अहम बताया। वहीं कृषि एवं ड्रोन तकनीक विशेषज्ञ रोशन कुमार ने कहा कि विज्ञान की दिशा में तेजी से दुनिया के कदम बढ़ रहें हैं और नई-नई तकनीकों के जरिए अन्य क्षेत्रों के साथ साथ कृषि के क्षेत्र में भी विस्तार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि विज्ञान की दिशा में तेजी से बढ़ने का उत्तम साधन गीता का अध्ययन भी है। ड्रोन टेक्नोलॉजी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी को समझने के लिए हमें उसके मायने समझने होंगे। इस तीन दिवसीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान हम इसके मायने समझेंगे, ताकि जिस उद्देश्य के साथ इस कार्यक्रम आपसब शरीक हुए हैं, उन उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। मौके पर विश्वविद्यालय के डीन एडमिन डॉ एसआर रथ, कृषि विभाग के सह प्राध्यापक डॉ सत्यप्रकाश, प्रभात किरण, प्रिया कुमारी, फरहीन सिद्दीकी, सीएस एंड आईटी डीन डॉ बिनोद कुमार समेत विश्वविद्यालय के कई प्राध्यापक-प्राध्यापिकाओं व कर्मियों के साथ साथ बड़ी संख्या में प्रशिक्षु शामिल थे। वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ दिवाकर निराला, डॉ रोजीकांत, डॉ रूद्र नारायण, उदय रंजन, रविकांत, रितेश कुमार, अमित कुमार, राजेश कुमार, कैलाश प्रसाद, अजय कुमार समेत अन्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
News – Vijay Chaudhary